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आम गैरमजरूआ तालाबों के उद्धार से बढ़ेगा सरकारी राजस्व

सीवान : जिले में सरकारी तालाबों की संख्या 3795 के आसपास है. जिसमें आधे से ज्यादा तालाब गैरमजरूआ आम की श्रेणी के हैं. इसमें 1118 तालाब ही गैरमजरूआ खास यानी सैरात यानी सरकारी तालाब हैं. जिनसे सरकार को राजस्व आय हो रही है. आम तालाब लंबे समय से समाज की मिल्कियत रहे है. सरकारी दखल […]

सीवान : जिले में सरकारी तालाबों की संख्या 3795 के आसपास है. जिसमें आधे से ज्यादा तालाब गैरमजरूआ आम की श्रेणी के हैं. इसमें 1118 तालाब ही गैरमजरूआ खास यानी सैरात यानी सरकारी तालाब हैं. जिनसे सरकार को राजस्व आय हो रही है. आम तालाब लंबे समय से समाज की मिल्कियत रहे है.

सरकारी दखल और देखरेख के अभाव के कारण दबंगों और असरदार लोगों ने तालाबों के किनारे अपने खलिहान बनाने शुरू किया फिर कच्चे मकान और अब पक्के मकान बना लिए हैं. कई जगहों पर दुकानें भी खुल गयी हैं. वहां से तालाब का नामोनिशान मिट चुका है. ऐसे 279 तालाब हैं जो सरकारी कागजों में तालाब के रूप में चिह्नित हैं, लेकिन वहां आज बाजार लगते हैं, बरात का जलसा सजता है या फिर कोई अन्य व्यावसायिक कार्य हो रहे हैं.
जल जीवन हरियाली अभियान के तहत इन तालाबों की सुध ली जा रही है, परंतु उन तालाबों के बारे में नहीं सोचा जा रहा जो आज भी आठ माह तक पानी संजो कर रखती हैं और उनमें मछली पालन करके सरकार राजस्व जुटा सकती है. ऐसे आम गैरमजरूआ जमीनों पर अवस्थित गैरमजरूआ आम तालाबों की खोज में जिला प्रशासन जुट गया है.
अतिक्रमण हटाने के बजाय मत्स्य विभाग ने हर साल खोदे गये औसतन 40 तालाब : मत्स्य विभाग के प्रयास से पिछले तीन साल में हर साल औसतन 40 तालाब खोदवाए गए हैं जो निजी तालाब हैं जिसका उपयोग मछली पालक करते हैं. वैसे जिले में अनुमानित कुल निजी तालाबों की संख्या को लेकर अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं लेकिन 1990 से लेकर 2005 तक निजी तालाबों की खुदाई हुई ही नहीं है
इसलिए इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. सरकारी उदासीनता के कारण बिना अनुदान के खोदे गये तालाबों का रिकॉर्ड भी सरकार के पास नहीं हैं. वैसे अनुमानित तौर हरेक गांव में ऐसे औसतन दो-तीन तालाब हैं ही जिसमें मछली पालन का कार्य किया जा रहा हैं.
आय बढ़ाने के लिए सरकारी तालाबों की खोज जारी
सैराती 1118 तालाबों की नीलामी से सरकार को राजस्व आय होती है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में तालाबों से राजस्व आय का लक्ष्य 32 लाख निश्चित किया था. जबकि वास्तविक आय 45.80 लाख हुई. इस तरह मत्स्य विभाग को 50 फीसदी ज्यादा आय हुई.
चालू वित्तीय वर्ष में भी अक्तूबर तक 100 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंच चुका है. मत्स्य विभाग का प्रयास है कि जिले के सरकारी तालाबों को आय के स्त्रोत से जोड़ा जा सके. अगले साल के लिए मिलने वाले लक्ष्य को इसी साल हासिल किया जा चुका है.
गैरमजरूआ खास और आम तालाब
तालाबों को दो भागों में बांटा गया. गैर-मजरूआ आम व गैर मजरूआ खास. गैर-मजरूआ आम तालाब वैसे तालाब थे जिसे आम जन के उपयोग के लिए छोड़ दिया गया. उसका मालिकाना हक सरकार ने अपने पास नहीं रखा. गैर-मजरूआ खास तालाब वे हैं जो जमींदारी उन्मूलन के बाद सरकार ने अपने कब्जे में लिया और उसे सरकारी संपत्ति यानी सैरात बनाया.
इन्हीं तालाबों का प्रबंधन और राजस्व आय का विवरण सरकारी आंकड़ों में मौजूद हैं. वर्तमान समय में जिले में कुल 1118 तालाब ही गैर-मजरूआ खास तालाबों की सूची में शामिल हैं, बाकी जो आम तालाब थे.

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