महाराजगंज : धूप से तपती धरती पर सब्जियों की उपज कम हो रही है. किसानों के खेत सूखे पड़ रहे हैं. खेत में लगी सब्जियों का पटवन करना महंगा पड़ रहा है, जिससे किसान आर्थिक रूप से परेशान हैं. बाजार में अधिकतर सब्जियां बाहर के बाजारों से आने लगे हैं. सड़क किनारे ठेला लगाये दुकानदार घंटों ग्राहकों की बाट जोह रहे हैं. इस बीच कुछ ग्राहक सब्जियों के भाव पूछ कर लौट जा रहे हैं.
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गरीब की थाली से गायब हो रहीं हरी सब्जियां
महाराजगंज : धूप से तपती धरती पर सब्जियों की उपज कम हो रही है. किसानों के खेत सूखे पड़ रहे हैं. खेत में लगी सब्जियों का पटवन करना महंगा पड़ रहा है, जिससे किसान आर्थिक रूप से परेशान हैं. बाजार में अधिकतर सब्जियां बाहर के बाजारों से आने लगे हैं. सड़क किनारे ठेला लगाये दुकानदार […]
यह हालत सिर्फ एक दुकानदार की नहीं बल्कि लगभग सभी सब्जी विक्रेताओं की है. दरअसल इन दिनों उत्पादन में कमी होने के चलते हरी सब्जियों का भाव आसमान छू रहा है. टमाटर, करैला, परवल, बैगन, लौकी, नेनुआ हरी सब्जियों के दाम में वृद्धि होने के चलते गरीब तबका के लोगों की थाली से सब्जियां दूर होने लगी हैं.
हरी सब्जी के तौर पर नेनुआ, भिंडी, लौकी, कटहर, बैगन, कोहड़ा, पत्ता गोभी, परवल, कुनरू, मूली, खीरा, टमाटर सब्जियां 30 रुपया प्रति किलो के ऊपर भाव से बिक रहे हैं. भले रसूखदारों की थाली में सब्जियां सज रही हों, लेकिन बदलते मौसम के चलते हरी सब्जियों के दाम आमलोगों की खरीद से बाहर हो गया है.
गाजर, हरा धनिया, अदरक की भी कीमत कम नहीं है. सब्जी विक्रेताओं का माने तो सूखे के चलते हरी सब्जियों के उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ा है. क्षेत्र में उत्पादन कम होने से बाहर से हरी सब्जियां मंडी में आ रही हैं. हरी सब्जियों के दाम में आगामी महीने तक गिरावट होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
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