Sitamarhi : सीतामढ़ी. सीतामढ़ी जंक्शन से मुजफ्फरपुर और पाटलिपुत्र (पटना) जाने वाले रेल यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन यात्रियों को फिलवक्त 14 घंटे तक लंबा इंतजार करने की मजबूरी बन गयी है. सीतामढ़ी के यात्रियों को हो रही परेशानी को व्यक्त करते हुए केंद्रीय रेलवे रेलयात्री संघ व कैट के जिलाध्यक्ष राजेश कुमार सुन्दरका ने कहा कि मुजफ्फरपुर और पाटलिपुत्र जाने के लिए आखिरी नियमित ट्रेन 63265 दरभंगा-पाटलिपुत्र मेमू दोपहर में 2.30 बजे है. इसके बाद मुजफ्फरपुर और पाटलिपुत्र जाने के लिए सीधे सुबह 4.20 बजे 15507 पाटलिपुत्र मेमू इंटरसिटी ट्रेन है. दोपहर 2.30 बजे से लेकर दूसरे दिन सुबह 4.20 तक मुजफ्फरपुर और पाटलिपुत्र जाने के लिए नियमित एक्सप्रेस ट्रेन के अलावा पैसेंजर व इंटरसिटी ट्रेन नहीं होने से हजारों यात्री अन्य व्हीकल से जाने को मजबूर हैं. मुजफ्फरपुर के लिए रोजाना महज चार ट्रेन और पटना के लिए तीन ट्रेन है. पाटलिपुत्र के लिए पहली पाटलिपुत्र मेमू इंटरसिटी ट्रेन सुबह 4.20 व दूसरी दानापुर मेमू ट्रेन सुबह 8.05 बजे, फिर सुबह 8.30 बजे केवल मुजफ्फरपुर के लिए डेमू व पाटलिपुत्र के लिए आखिरी मेमू ट्रेन दोपहर 2.30 बजे है. जबकि सीतामढ़ी मुजफ्फरपुर के बीच दो एक्सप्रेस ट्रेन लिच्छवी एक्सप्रेस एवं सदभावना एक्सप्रेस का परिचालन हो रहा है. इसमें सद्भावना एक्सप्रेस सप्ताह में तीन दिन है. — धक्का मुक्की खाते सफर करने की बन गयी मजबूरी पढ़ाई, इलाज, नौकरी व अन्य जरूरी कामकाज से सीतामढ़ी से रोजाना हजारों लोग मुजफ्फरपुर और पटना आवाजाही करते हैं. यात्रियों की संख्या के अनुपात में ट्रेनें नहीं चलने से रोजाना बड़ी संख्या में यात्री जंक्शन से लौट जाते हैं. मुजफ्फरपुर और पटना जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों के अनुपात में कम कोच होने की वजह से ट्रेन जंक्शन पर खड़ी होते ही कुछ ही पलों में भर जाती है. धक्का मुक्की झेल नहीं पाने वाले बड़ी संख्या में यात्री जंक्शन से लौट जाते हैं. सीतामढ़ी के यात्रियों का कहना है कि मुजफ्फरपुर और पटना रूट पर सबसे कम ट्रेन चलती है. इस रूट एक भी सुपरफास्ट ट्रेन नहीं चलती है. कैट के सचिव आलोक कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर और पटना के लिए 14 घंटे ट्रेन नहीं होने की वजह से ज्यादा किराया चुका कर अन्य व्हीकल से यात्रियों को जाना पड़ रहा है. जबकि कई बार मांग के बावजूद ट्रेन पटना जंक्शन नहीं जाती है और पाटलिपुत्र से पटना आने जाने में दो घंटे बर्बाद हो जाते हैं. संबंधित रेल पदाधिकारियों को अविलंब ट्रेनों की संख्या बढ़ाने, चल रही ट्रेनों में कोच की संख्या बढ़ाने और पटना जंक्शन ले जाने हेतु कारवाई करनी चाहिए.
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