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मुकेश पाठक को संरक्षण देनेवालों में तिरहुत के बाहुबली पूर्व विधायक भी

सीतामढ़ी : कुख्यात मुकेश पाठक ने दरभंगा पुलिस के सामने कई राज उगले हैं. उसने खुलासा किया है कि अपराधियों के अलावा उसे कई नेताओं का भी संरक्षण प्राप्त है. इनमें तिरहुत के एक बाहुबली पूर्व विधायक व चंपारण के पूर्व सांसद के रिश्तेदार का नाम शामिल है. मुकेश पाठक के खुलासे से मुकेश पाठक […]

सीतामढ़ी : कुख्यात मुकेश पाठक ने दरभंगा पुलिस के सामने कई राज उगले हैं. उसने खुलासा किया है कि अपराधियों के अलावा उसे कई नेताओं का भी संरक्षण प्राप्त है. इनमें तिरहुत के एक बाहुबली पूर्व विधायक व चंपारण के पूर्व सांसद के रिश्तेदार का नाम शामिल है. मुकेश पाठक के खुलासे से

मुकेश पाठक को

पुलिस भी सकते में है. खुलासे के

बाद सफेदपोश लोगों के साथ मुकेश पाठक के संबंध के साक्ष्य जुटाने में एसटीएफ व कई जिलों की पुलिस लग गयी है. मुकेश ने पुलिस को बताया है कि अपराध की दुनिया में कदम रखने के साथ ही उसे बाहुबली पूर्व विधायक का संरक्षण मिलना शुरू हो गया था. यह सिलसिला आज भी जारी है.
बार हत्या के केस में जेल गया. वहीं से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा. 2003 में वह शराब का ठेका लेना चाहता था. उसका ग्रामीण प्रेमनाथ ठाकुर पहले से शराब के कारोबार में था. वो विरोध करने लगा. इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया. चार मार्च 2003 को प्रेमनाथ ठाकुर ने घर पर उसकी पत्नी सलोनी देवी की गोली मार कर हत्या कर दी. प्रतिशोध में उसने प्रेमनाथ की हत्या कर दी.
मुकेश ने यह भी बताया है कि प्रेमनाथ की हत्या के बाद उसने तत्कालीन विधायक के घर पर शरण ली थी.
मुकेश ने यह भी बताया है कि दरभंगा वाला केस खुल जाने के बाद गिरोह के सभी सदस्य काफी परेशान थे. बेल हो जाने के बाद प्रमुख मुन्नी देवी व पूर्व सांसद रघुनाथ झा के भतीजा नवीन झा को गवाहों को मैनेज करने व दबाव बनाने के लिए लगाया गया था.
अत्याधुनिक हथियार से लैस है गिरोह
मुकेश ने बताया है कि बिहार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अत्याधुनिक हथियारों से लैस संगठित गिरोह है. वह 2009 से संतोष झा के स्थापित संगठन का सक्रिय सदस्य है. संगठन का मुख्य काम बिहार में कार्यरत निर्माण कंपनियों व संवेदकों से प्राक्कलित राशि का एक से तीन प्रतिशत लेवी वसूलना है. लेवी की रकम धमकी से नहीं मिलने पर हत्या कर दी जाती है.
काम के आधार पर मिलता है वेतन
मुकेश ने स्वीकार किया है कि गिरोह में उसे व संतोष झा को छोड़ कर सदस्यों को काम के अनुसार 15 से 40 हजार तक का वेतन मिलता है. गिरोह के पास एके-56, एके-47, कारबाइन व नाइन एमएम का पिस्टल जैसे अत्याधुनिक हथियार हैं. काम करने से पहले संगठन के सदस्यों को हथियार उपलब्ध कराया जाता है.
काम हो जाने पर के बाद हथियार निर्धारित जगह पर पहुंचा दिया जाता है. हथियार नेपाल के लक्ष्मीपुर बलरा के सुशील झा के यहां रखे जाते थे. वहां पर संगठन के सदस्यों का आना-जाना लगा रहता है.

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