बिक्रमगंज. बिक्रमगंज शहर के गुलजारबाग मुहल्ला में शनिवार को गर्व और गौरव का माहौल रहा, जब सेना में लेफ्टिनेंट बने अब्दुल रमीज अशरफ पहली बार अपने पैतृक घर पहुंचे. सेना के रिटायर्ड अधिकारी कासिम खान के इकलौते पुत्र अब्दुल रमीज के स्वागत में पूरे मुहल्ले ने एकजुट होकर उनका भव्य अभिनंदन किया. ढोल-नगाड़ों की गूंज, फूल-मालाएं और जयघोष के बीच जब अब्दुल घर पहुंचे तो हर चेहरा गर्व से दमक उठा. अब्दुल ने सेना में अधिकारी बनने तक के अपने सफर को साझा करते हुए कहा कि यह रास्ता आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. सीडीएस की परीक्षा में पांचवें प्रयास में सफलता पाने वाले अब्दुल ने बताया कि उन्होंने स्कूली पढ़ाई आर्मी स्कूल से की और फिर हिमाचल यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली. उनका बचपन से सपना था कि वे सेना में अफसर बनें और उन्होंने उसी दिशा में मेहनत जारी रखी. उन्होंने बताया कि उनके पिता सेना में अधिकारी थे और अब रिटायर हो चुके हैं. वर्तमान में पूरा परिवार मेरठ में निवास करता है, लेकिन बिक्रमगंज से भावनात्मक जुड़ाव अब भी गहरा है. गांव लौटने पर उन्होंने कहा, यहां आकर जो अपनापन मिला है, वह शब्दों में नहीं बताया जा सकता. बदलता बिक्रमगंज अब प्रभावित कर रहा घर आने के बाद अपने दोस्तों के साथ सुबह घूमने निकले, उस बदलाव पर खुश अब्दुल ने पैतृक शहर बिक्रमगंज में बदलाव को लेकर उन्होंने कहा, आज सुबह फील्ड में गया तो देखा कि यहां लड़कियां भी लड़कों के साथ दौड़ रही हैं, व्यायाम कर रही हैं. यह बहुत ही सकारात्मक बदलाव है. बिक्रमगंज अब जाग रहा है और यह समाज के लिए शुभ संकेत है. उन्होंने कहा इस प्रकार का वातावरण युवाओं के भविष्य के लिए प्रेरणादायक है.अब्दुल ने युवाओं को संदेश दिया कि असफलता से घबराएं नहीं, लगातार प्रयास करें और अपने लक्ष्य पर अडिग रहें. उनके आने से गुलजारबाग में जैसे पर्व सा माहौल रहा और हर वर्ग के लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं.
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