सासाराम नगर. क्या भाई? कहां-कहां आज घूमे हैं. हम कहां घूमे हैं. अबत सब बड़का-बड़का दुआरी-दुआरी घूम रहा है. बस सुबह में खड़ा हो जाना है. फिर देखिये पैर, तो ऐसे छू रहा है. जैसे हमलोग इसके रिश्तेदार हैं. यहीं व्यवस्था अगर पूरे साल रहता, तो कितना अच्छा रहता ओझा जी. एकदम मुंह का बात छिन लिये आप. कुछ भी कहीए लोकतंत्र में यह व्यवस्था सबसे बढ़िया है. अगर पांच वर्ष का समय नहीं रहता, तो इ लोग दिखता भी नहीं और हमलोग केवल वोट देते रह जाते. और बताइए यहां पर कब से बैठे हैं. एक घंटा हो गया है. आपका इंतजार कर रहे थे. तब कुछ नया ताजा खबर बताइए. क्या बताएं? आधा कर्मचारी क्लेक्ट्रेट वाला आकर केवल अपना दुखड़ा गा रहा है. कह रहा है कि हमारे यहां छठ हो रहा है और हमको छुट्टी नहीं मिला. बीमारी वाला भी सर्टिफिकेट लगाये थे. लेकिन, कोई अधिकारी सुनबे नहीं किया. इसलिए छठी माई से अबकी बार माफी मांग के ड्यूटी पर लग गये हैं. बच्चा सबको भी मना कर दिये कि मत आना. यहां आकर क्या करोगे? जब हमसे मुलाकाते नहीं होगा. 24 घंटा सब पेरले रह रहा है. ओझा जी बीच में बोले, तो आप कुछ सलाह काहे नहीं दे दिये. हम काहे सलाह दें. इस सबका पेट देख रहे हैं. कुल पब्लिक का पैसा खा खाकर बड़ा हो गया है. अगर पिला गमछा वाला इसबार आ गया, तो इ लोग का तो बाद में पहले इ लोग के हाकीम का बुखार छोड़ायेगा. हां महाराज गजबे इसबार का चुनाव हो रहा है. अबकी लड़ाई बड़ा तगड़ा है. सबके बुद्धि हेराइल बा कुछ पते नहीं चल रहा है कि कौन बाजी मारेगा? लेकिन, एक बात है. दोनों गठबंधन को स्कूल के बस्ता वाला झोला ढोआ कर ही मानेगा. लड़का सब बड़ा खुश है. हमारा बेटा भी मोबाइल में उसीको देखता है और रोज नया-नया ज्ञान देता है. फूल पूरा जिला में साफे हो गया है. अब ओकर संघतिया सबमें केतना जोर है. इ सबके पता है. बाकी ऐने देखल जाये. त जेकरा ललटेन के बाती बनावल गईल. ओकरा पुलिस पकड़ के ले गईल. पुरानका पूरा जोर लगइले बाड़ें. येह बार के चुनाव बड़ा मजेदार होता. बहुत देर हो गईल लागत शर्मा जी नहीं आयेंगे. चलिए कुछ सब्जी लेकर घरे चलल जाये. ना त ऐकनी के चक्कर में भोजनो ना भेंटाई.
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