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जनता के सामने नहीं खुल रहे गठबंधन के मारे हुए उम्मीदवार

तत्कालीन विधायक भी जनता के बीच जाने से कर रहे परहेज, पार्टी से इशारे के इंतजार में, निर्दलीय बहा रहे पसीना, गांव-गांव पहुंचकर जनता को बता रहे हैं अपना एजेंडा

आमोद सिंह, सासाराम

बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. जिले में नामांकन शुरू होने में मात्र पांच दिन शेष है. यानी 13 अक्त्तूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. जनता चुनावी मोड में आ चुकी है. चौक-चौराहों व बाजारों में चुनावी बहस जारी है. लेकिन, गठबंधन के मारे नेता खुल कर यह नहीं कह पा रहे हैं कि मैं उम्मीदवार हूं. अधिकांश की जुबान पर एक ही बात, देखिये सीट किस दल को मिलता है. अगर मेरी पार्टी को मिला, तो मैं उम्मीदवार बनूंगा. यही अगर-मगर उन्हें जनता के बीच खुल कर सामने नहीं आने दे रहा है. कुछ दबाव की रणनीति के तहत अपने को भावी प्रत्याशी बता अपने दल के प्रचार में लगे थे, वे भी शांत हो पटना रवाना हो चुके हैं. विधानसभा चुनाव दो गठबंधनों व एक नये दल जनसुराज के साथ होगा. रोहतास के सात सीटों पर इन तीनों दलों की ओर से (निर्दलीय छोड़कर) अब तक कोई एक भी ऐसा नेता है, जो सीधे तौर पर कह सके कि मैं उम्मीदवार हूं. आलम यह कि जो विधायक हैं, वे भी सीट और टिकट को लेकर संशय में हैं. गाहे-बगाहे ही किसी कार्यक्रम में दिख जा रहे हैं. जिले के सातो विधानसभा सासाराम, डेहरी, काराकाट, नोखा, दिनारा, करगहर और चेनारी में कमोबेश यही स्थिति बनी हुई हैं.

बात करें सासाराम विधानसभा क्षेत्र की, तो यहां महागठबंधन से राजद के विधायक राजेश कुमार गुप्ता हैं. 2015 में एनडीए से यह सीट पिछली बार जदयू के पास थी. इस बार किसको मिलेगी? यह अभी तय नहीं हुआ है. इसलिए इस खेमे से उम्मीदवार भी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. हालांकि, चुनाव की घोषणा से ठीक पहले तक भाजपा से डॉ सचिन का प्रचार रथ शहर-शहर गांव-गांव घूम कर सरकार की योजनाओं को जनता को बता रहा था. प्रत्यक्ष रूप से वह भी खुद को उम्मीदवार बताने से कतरा रहे हैं. वहीं, जनसुराज से कई खिलाड़ी मैदान में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. तो, युवा कांग्रेस से विवेक कुमार सिंह उर्फ डब्ल्यू भईया और धौडांढ़ पंचायत के मुखिया जयशंकर शर्मा राजद से टिकट की उम्मीद में मैदान में प्रचार में जुटे थे. डेहरी विधानसभा में महागठबंधन से राजद के टिकट पर फतेह बहादुर सिंह पिछली बार चुनाव जीते थे. इस बार वीआइपी के जिलाध्यक्ष विवेक सिंह कुशवाहा भी अपनी दावेदारी पेश करने में लगे हैं. काराकाट में भाजपा से राजेश्वर राज और माले से अरुण सिंह अपना टिकट कंफर्म मान रहे हैं. लेकिन, खुल कर जनता के बीच नहीं हैं. नोखा में राजद विधायक अनिता देवी भी सार्वजनिक स्थलों से खुद की दूरी बनायी हुई हैं, तो एनडीए खेमे से पिछली बार हारे जदयू के नागेंद्र चंद्रवंशी के अलावा कोई अन्य की सुगबुगाहट नहीं दिख रही है. दिनारा में अंदर खाने में सबसे अधिक मारामारी एनडीए खेमे में चल रही है. एक साथ तीन-तीन बड़े नेता पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह (जदयू), राजेंद्र सिंह (भाजपा) और आलोक सिंह (आरएलएम) अपनी दावेदारी पेश करने में जुटे हैं. वहीं, महागठबंधन के खेमे में केवल फुसफुसाहट हो रही है. विधायक विजय कुमार मंडल से नाराज एक धड़ा कैंडिडेट बदलने की मांग कर रहा है. लेकिन, वह खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. करगहर में एनडीए के साथ-साथ महागठबंधन में भी कई दावेदार सामने दिख रहे हैं. वर्तमान विधायक संतोष कुमार मिश्र की मुश्किलें उनके गठबंधन में ही बढ़ी हुई है, जबकि एनडीए खेमे में जदयू के पूर्व विधायक वशिष्ठ सिंह को दिनेश राय से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, इन दोनों में से टिकट किसे मिलेगा? इस पर से पर्दा अंतिम समय में उठने की संभावना है.चेनारी में महागठबंधन के पास बड़े चेहरे की कमी दिख रही है, तो वहीं एनडीए में पूर्व के दो विधायक व तत्कालीन एक विधायक के बीच टिकटों की चिक-चिक होने की संभावना बनी हुई है, जो नेताओं को खुलकर अपनी बात करने से रोक रही है.

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