अकोढ़ीगोला. वर्ष 2022 में लाखों रुपये खर्च पर दरिहट पंचायत में कचरा फेंकने के लिए इ-रिक्सा व ठेला की खरीद हुई थी, जो अब कबाड़ बन गया है. जहां-तहां खड़ा-खड़ा सड़ रहा है. इसकी जानकारी न तो मुखिया को है और ना ही पंचायत सचिव को. गांव में करीब एक वर्ष से साफ सफाई का कार्य बंद है. विदित हो सरकार की महत्वकांक्षी योजना लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत गांवों को साफ सफाई के लिए लाखों रुपये खर्च कर प्रत्येक वार्ड में दो दो स्वच्छता कर्मियों की बहाल की गयी थी. वार्डों का कचरा ढोने के लिए एक-एक ठेला और इ-रिक्सा की खरीद की गयी थी. घर-घर दो-दो डस्टबिन बांटा गया था. इसमें लोग कचरे भर कर रखते थे. स्वच्छता कर्मी उन डस्टबिनों का कचरा ठेला पर भरकर फेंकते थे. इस सिलसिला करीब एक वर्ष तक नियमित रूप से चला. बाद के दिनों में समय से मजदूरी नहीं मिलने से स्वच्छता कर्मियों ने काम छोड़ने लगे. कभी कभार पंचायत से कुछ स्वच्छता कर्मियों को एक दो माह की मजदूरी मिली. अब हालात ऐसी है कि गांव में किसी वार्ड में नियमित सफाई नहीं हो रही है. इससे गांव की गलियों में कचरे का अंबार देखा जा सकता है. वहीं, नालियां बजबजा रही हैं. उससे दुर्गंध आ रही है. इसकी चिंता न तो प्रशासन के लोगों है और ना ही पंचायत प्रतिनिधियों को है. हालत यह है कि कचरे ढोने के लिए खरीदा गया इ-रिक्सा व ठेला कबाड़ बन गया है. उसे लोग बकरियों को बांधने में इस्तेमाल कर रहे हैं. इस संबंध में मुखिया के कर्ताधर्ता संजीव प्रसाद का कहना है कि कुछ स्वच्छता कर्मी को छोड़कर अधिकांश सफाई नहीं कर रहे है और इ-रिक्सा व ठेला भी खराब हो गया है. उसकी मरम्मत कराकर सफाई का कार्य शुरू कराया जायेगा. बोले स्वच्छता प्रवेक्षक –इस संबंध स्वच्छता प्रवेक्षक शंकर शर्मा का कहना है कि तीन चार वार्डों ने सफाई का कार्य चल रहा था. पिछले माह कुछ स्वच्छता कर्मियों को एक माह का मजदूरी दिया गया था. अन्य वार्डों में स्वच्छता कर्मी सफाई करना बंद कर दिया है. क्योंकि, मजदूरों की समय से मजदूरी नहीं मिलती है. स्वच्छता कर्मियों को हर माह समय से मजदूरी दिया जाये, तो हर वार्ड में नियमित सफाई करायी जा सकती है. इस संबंध में पंचायत सचिव स्वाति कुमारी का कहना था कि इसके बारे में जानकारी नहीं है. इसके बारे में स्वच्छता प्रवेक्षक बता सकते हैं.
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