अनुराग शरण, सासाराम कार्यालय
सोन नदी के तट पर बसा डेहरी शहर राजनीतिक रूप से समृद्ध रहा है. राष्ट्रीयस्तर की पार्टियों से यहां के समाजवादी लोहा लेते रहे हैं. डेहरी विधानसभा क्षेत्र के लोग बदलाव के पक्षधर रहे हैं. जिसका परिणाम रहा है कि कई-कई बार जीतने वाले भी कभी एक दल के होकर चुनाव में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे. नयी शुरू हुई गठबंधन की राजनीति ने चुनावों को और दिलचस्प बना दिया है. जब नेता को ही पता नहीं रहता कि वह किस दल के टिकट पर प्रत्याशी बनेगा, तो जनता, तो जनता है. उसे नेता को छकाने में और मजा आता है. वर्तमान की राजनीतिक परिदृश्य पर नजर डालें, तो यहां किसी राष्ट्रीय स्तर के दल ने अपना उम्मीदवार नहीं दिया है. इसके अलावा पांच दलों राष्ट्रीय जनता दल, लोजपा (रामबिलास), राष्ट्र सेवा दल, जनसुराज और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने अपने प्रत्याशी दिये और शेष पांच निर्दलीय मैदान में डटे हैं.चुनाव मैदान में हैं एक पूर्व और एक वर्तमान विधायकदूसरे चरण के नामांकन के अंतिम दिन महागठबंधन के प्रमुख दल राजद ने अपना पत्ता खोला, तो उसके विधायक फतेह बहादुर सिंह का टिकट कट गया. उनकी जगह राजद ने डेहरी-डालमियानगर नगर परिषद की मुख्य पार्षद शशि कुमारी की भसुर गुड्डू कुमार चंद्रवंशी को अपना प्रत्याशी बना दिया. विधायक फतेह बहादुर सिंह ने तत्काल पलटी मारी और आजाद समाज पार्टी (काशीराम) का दामन थाम, केतली चुनाव चिन्ह लेकर मैदान में उतर गये. वहीं, पूर्व विधायक प्रदीप कुमार जोशी अपने स्वयं के राष्ट्र सेवा दल से उम्मीदवार बन बैठे हैं. ये दोनों प्रत्याशी यहां मुकाबला को बहुकोणीय बनाने में जुटे हैं.
तीन नये खिलाड़ियों के उतरने से मुकाबला होगा रोचक:एनडीए के घटक दल लोजपा (रामबिलास) के राजीव रंजन सिंह, महागठबंधन के प्रमुख दल राजद के गुड्डु कुमार चंद्रवंशी और जनसुराज पार्टी के प्रदीप लल्लन सिंह विधानसभा के चुनाव में पहली बार उतरे हैं. तीनों की अलग-अलग समाज सेवा की अपनी पहचान है. तो, इसी कड़ी में पांच निर्दलीय इंद्रराज रौशन, मो एकराम अंसारी, रंजन कुमार, समीर कुमार और सरोज कुमार सिंह में से एक नाम रंजन कुमार आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान कायम किये हुए हैं. तो, अन्य चार भी समाजसेवा में आगे रहे हैं.
एक नजर में डेहरी चुनाव1952 में सोशलिस्ट पार्टी (एसपी) के बसावन सिंह ने कांग्रेस के अब्दुल कयूम अंसारी को मात्र 712 वोट से हराया था.1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) के बसावन सिंह ने कांग्रेस के हजारी सिंह को 2397 वोट से हराया था.
1962 में कांग्रेस के अब्दुल कयूम अंसारी ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बसावन सिंह को 19379 वोट से हराया था.1967 में कांग्रेस के अब्दुल कयूम अंसारी ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बसावन सिंह को 8405 वोट से हराया था.
1969 में कांग्रेस के रियासत करीम ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बसावन सिंह को 3038 वोट से हराया था.1972 में कांग्रेस के अब्दुल कयूम अंसारी ने भारतीय जनसंघ के वासुदेव नारायण सिंह को 21395 वोट से हराया था.
1977 में जनता पार्टी के बसावन सिंह ने कांग्रेस के खालिद अनवर को 4790 वोट से हराया था.1980 में जनता पार्टी (सेकुलर) चौधरी चरण सिंह के मोहम्मद इलियास हुसैन ने कांग्रेस (आई) के खालिद अनवर को 2033 वोट से हराया था.
1985 में कांग्रेस (आई) के खालिद अनवर ने लोकदल के मोहम्मद इलयास हुसैन को 6896 वोट से हराया था.1990 में जनता दल के मोहम्मद इलियास हुसैन ने भाजपा के बिनोद सिंह को 18300 वोट से हराया था.
1995 में जनता दल के मोहम्मद इलयास हुसैन ने भाजपा के बिनोद सिंह को 10056 वोट से हराया था.2000 में राष्ट्रीय जनता दल के मोहम्मद इलियास हुसैन ने भाजपा के गोपाल नारायण सिंह को 12787 वोट हराया था.
2005 फरवरी में राष्ट्रीय जनता दल के मोहम्मद इलयास हुसैन ने लोक जनशक्ति पार्टी के ई. राधा कृष्णा सिंह को 22256 वोट से हराया था.2005 अक्त्तूबर में निर्दलीय प्रदीप कुमार जोशी ने राष्ट्रीय जनता दल के मोहम्मद इलियास हुसैन को 43277 वोट से हराया था.
2010 में निर्दलीय ज्योति रश्मि ने राष्ट्रीय जनता दल के मोहम्मद इलियास हुसैन को 9815 वोट से हराया था.2015 में राष्ट्रीय जनता दल के मोहम्मद इलियास हुसैन ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के जितेंद्र कुमार को 3898 वोट से हराया था.
2019 के उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के ई. सत्यनारायण सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल के फिरोज हुसैन को 33993 वोट से हराया था.2020 में राष्ट्रीय जनता दल के फतेह बहादुर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के ई. सत्यनारायण सिंह को 464 वोट से हराया था.
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