10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

सदाचार से रहने वाला गृहस्थ भी ब्रह्मचारी : सुंदरराज स्वामी

SASARAM NEWS.केवल विवाह नहीं करने वाला ही ब्रह्मचारी नहीं हैं, बल्कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी एक नारी के परिवार, समाज व देश के प्रति अपने सुकर्मों को समर्पित करने वाले भी ब्रह्मचारी है. ब्रह्मचारी ही दुनिया में सुख-शांति से जीने का अधिकारी है.

चेनारी के हटा ग्राम चल रहा चतुर्थ मास ज्ञान महायज्ञ

प्रतिनिधि, चेनारी

केवल विवाह नहीं करने वाला ही ब्रह्मचारी नहीं हैं, बल्कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी एक नारी के परिवार, समाज व देश के प्रति अपने सुकर्मों को समर्पित करने वाले भी ब्रह्मचारी है. ब्रह्मचारी ही दुनिया में सुख-शांति से जीने का अधिकारी है. उक्त बातें नगर पंचायत चेनारी के हटा ग्राम के बगल में हो रहे चतुर्थ मास ज्ञान महायज्ञ में प्रवचन के दौरान सुंदर राज स्वामी ने कही. उन्होंने कि सदाचार से जीना, सात्विक भोजन करना, परोपकार एवं दया की भावना रखना, सरलता आदि सभी अच्छ आचरण व कर्म ब्रह्मचारी के लक्षण हैं. उन्होंने कहा कि संस्कारित ढंग से विवाह के बंधन में बंधकर अपनी पत्नी साथ गृहस्थ जीवन का पालन करना भी ब्रह्मचर्य कहा जाता है. स्वामीजी ने कहा कि मनुष्य को 25 साल के बाद 50 वर्ष की आयु तक समर्पित रूप में जीवन जीना अपने आप में ब्रह्मचर्य है. अपनी पत्नी के बाद समान उम्र की नारी को बहन, छोटी उम्र की बेटी या बड़े उम्र की नारी को मां के रुप में स्वीकार करना भी ब्रह्मचारी के लक्षण हैं. उन्होंने नारी की महत्ता अंकित करते हुए कहा कि स्त्रियां जगत की संस्कृति है. स्त्रियां सृजन व पालक दोनों होती हैं. आज जो भी योगी, संन्यासी और बड़े लोग देखे-सुने जाते हैं, वे सब उन्हीं माताओं की देन हैं. अन्यथा संसार महापुरुषों से शून्य हो जाता. इसलिए स्त्रियों को विशेष आचरण युक्त जीवन जीना चाहिये. उन्होंने कहा कि सिर्फ कामना और याचना से लक्ष्य पाना संभव नहीं है. यह स्थिति सिर्फ बाल्यकाल में ही उचित है. बालक रोकर ही अभिभावकों से अपनी हर कामना पूर्ति कराने का प्रयास करता है, लेकिन बाल-काल के बाद इस विधि से किसी चीज की प्राप्ति की कामना नहीं करे. व्यक्ति को लक्ष्य के स्वरूप के अनुकूल ही प्रयास करना पड़ता है. यदि लक्ष्य ऊंचा है तो उसके लिए असाधारण प्रयास करना पड़ेगा. मानव जीवन में आत्मा या परमात्मा की उपलब्धि सर्वोच्च उपलब्धि है. इसके लिए मनुष्य को कई जन्मों तक साधना करनी पड़ती है. सद्गुरू की कृपा से इस दुर्लभ लक्ष्य की प्राप्ति सुगम हो जाती है. आज के भौतिक युग में आर्थिक उपलब्धि को ही महान उपलब्धि लोग मानते हैं. लेकिन आध्यात्मिक उपलब्धि की तुलना में अर्थोपलब्धि नगण्य है. आध्यात्मिक पुरुष के पीछे लक्ष्मी स्वयं लग जाती है. श्री सुंदर राज स्वामी जी ने कहा कि व्यास जी स्वलिखित भागवत के प्रचार प्रसार के प्रति चिंतित थे. उन्होंने निर्णय किया कि भगवान कथा में भगवान आते हैं तो भागवत के श्लोकों के माध्यम से सुखदेव जी को अपने आश्रम से लौटने को मजबूर कर दिये. उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में पिता को भी समयानुसार अपनी विरासत पुत्र को सौप देनी चाहिये. इस दौरान ज्ञान महायज्ञ में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुट रही है. कैमूर जिला और रोहतास जिला के विभिन्न गांवो से भारी संख्या में ग्रामीण जुट रहे हैं. यज्ञ मंडप के सक्रिय सदस्य मेहनत कर सभी आए हुए भक्तों को प्रसाद वितरण और बैठाने का काम कर रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel