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आठ कमरों में होती है 1700 छात्राओं की पढ़ाई

Sasaram news. प्रखंड मुख्यालय स्थित गंगोत्री प्रोजेक्ट बालिका प्लस टू स्कूल की छात्राओं को अब भी कई बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. इसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है. विद्यालय में कमरों की कमी है. बेंच-डेस्क की भी कमी है.

समस्या. गंगोत्री प्रोजेक्ट प्लस टू विद्यालय में संसाधनों की भारी कमी से परेशानी

फोटो-1- गंगोत्री प्रोजेक्ट प्लस टू विद्यालय में पढ़ाई करतीं छात्राए.

प्रतिनिधि, चेनारीप्रखंड मुख्यालय स्थित गंगोत्री प्रोजेक्ट बालिका प्लस टू स्कूल की छात्राओं को अब भी कई बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. इसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है. विद्यालय में कमरों की कमी है. बेंच-डेस्क की भी कमी है. इन बुनियादी संसाधनों की कमी से बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. छात्राएं रेखा कुमारी व पुष्पा कुमारी ने बताया कि विद्यालय में बेंच-डेस्क और कमरे के अभाव की वजह से एक बेंच पर छह से सात छात्राओं को बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. इससे काफी दिक्कत होती है. विद्यालय में कमरे की कमी होने की वजह से गर्मी के दिनों में सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है. बरसात के समय में ग्राउंड में पानी भर जाता है, जिससे साइकिल से जाने में भी दिक्कत होती है. दो सौ से अधिक छात्राएं साइकिल से भी आती हैं. पैर व टायर फिसल जाने से वह गिरकर चोटिल हो जाती हैं. छात्राओं ने बताया कि अभी विद्यालय में 1700 से अधिक छात्राएं पढ़ाई करने के लिए आती हैं. गंगोत्री प्रोजेक्ट विद्यालय में टोटल 10 कमरे हैं. एक कमरे में लैब, तो दूसरे कमरे में कंप्यूटर स्मार्ट क्लास चलता है. आठ कमरों में 1700 छात्राओं को पढ़ाई करनी पड़ती है.

समाजसेवी कन्हैया शर्मा ने बताया कि उक्त विद्यालय में छात्राओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसकी जानकारी हमें कई छात्राओं से मिली है. छात्राओं का कहना है कि कमरे का अभाव होने की वजह से एक बेंच पर छह-सात स्टूडेंट्स को बैठाया जाता है. इसकी जानकारी मिलते ही मैंने जिला अधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि विद्यालय में कमरे का निर्माण कराया जाये, ताकि छात्राओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो. वहीं, चेनारी निवासी अशोक जायसवाल, धनंजय मिश्रा, बीडीओ यादव ने बताया कि लगभग 10्र-12 वर्ष पूर्व से ही रामदुलारी गंगा इंटर स्तरीय स्कूल में गंगोत्री प्रोजेक्ट को शिफ्ट कर कर चलाया जा रहा है. गंगोत्री स्तरीय स्कूल की स्थापना 1967 में ही हुई थी. लेकिन, अब तक विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हो सका है. गंगोत्री प्रोजेक्ट इंटरस्तरीय विद्यालय का भवन बना भी है, तो वह लोकल राजनीति का शिकार है. इस संबंध में मामला न्यायालय में चल रहा है. इससे गंगोत्री प्रोजेक्ट इंटरस्तरीय स्कूल 2008 से ही रामदुलारी गंगा हाइस्कूल में शिफ्ट कर चलाया जा रहा है. विद्यालय के पास एक एकड़ 66 डिसमिल जमीन होते हुए भी विद्यालय शिफ्ट में चल रहा है.

क्या कहती हैं छात्राएं

छात्रा प्रियंका कुमारी, आभा कुमारी, प्रीति कुमारी, स्वीटी कुमारी, संगीता कुमारी, अमृता कुमारी, खुशी कुमारी, प्रियंका कुमारी, रीता कुमारी, चांदनी कुमारी, रूपा कुमारी, खुशबू कुमारी, डिंपल कुमारी, पिंकी कुमारी, रानी कुमारी आदि का कहना है कि कमरों की कमी के कारण उन्हें बैठकर पढ़ने में दिक्कत होती है. इस विद्यालय में नामांकित 1700 छात्राओं को बैठकर पढ़ने के लिए मात्र आठ वर्ग कक्ष हैं. अगर एक साथ सभी बच्चे पढ़ने आ जाएं, तो उन्हें बैठाने में प्रबंधन को दिक्कत होती है. जैसे-तैसे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. ठंड के मौसम में तो काम चल जाता है, पर गर्मी के मौसम में परेशानी बढ़ जाती है. लेकिन, शिक्षा विभाग द्वारा कमरों का निर्माण नहीं कराया जा रहा है.

रोहतास और कैमूर से पढ़ाई के लिए आती हैं छात्राएं

गंगोत्री प्रोजेक्ट इंटरस्तरीय स्कूल में दो जिलाें की छात्राएं पढ़ने आती हैं. कैमूर जिले के सवार, पांडेयपुर, वासनी, कुडाढ़ी, अमाव, बरांव व भीतरीबांध सहित एक दर्जन से अधिक गांवों की छात्राएं यहां पढ़ने आती हैं.

क्या कहते हैं विद्यालय के प्रधानाध्यापक

प्रभारी प्रधानाध्यापक संतोष कुमार ने बताया कि कमरे की कमी से छात्राओं को बैठाने में दिक्कत होती है. विद्यालय में लगभग 1700 छात्राओं का नामांकन है. 10 कमरे हैं. एक कमरे में लैब, तो दूसरे में स्मार्ट क्लास है. आठ कमरों में सभी छात्राओं को बैठाकर पढ़ाई करायी जाती है. 17 शिक्षकों की नियुक्ति है. विद्यालय में पीएमश्री योजना के तहत अभी और छात्राओं का नामांकन होगा. मध्य विद्यालय भरंदुआ विद्यालय की छठी से आठवीं तक की छात्राओं का नामांकन विद्यालय में होगा. दो से तीन सौ और छात्राओं का नामांकन होने की उम्मीद है.

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