छपरा. गंगा के बढ़ते जलस्तर ने एक बार फिर सदर प्रखंड के मुसेपुर पंचायत के वार्ड संख्या छह व सात के ग्रामीणो की नींद उड़ा दी है. बाढ़ का पानी घरों में घुस चुका है. रास्ते जलमग्न हैं. और जनजीवन पूरी तरह से ठप हो चुका है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि प्रशासन की नजर अभी भी इन बाढ़ग्रस्त इलाकों की ओर नहीं पहुंची है. स्थानीय दोनों वार्डवासियों का आरोप है कि वर्ष 2024 में जब बाढ़ ने पूरे मुसेपुर पंचायत को अपनी चपेट में लिया था, तब भी इन वार्ड के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया था. पंचायत के दस में से केवल इन्हीं दो वार्डों को सरकारी सहायता से वंचित रखा गया. न खाद्यान्न मिला, न मुआवज़ा, और न ही कोई स्वास्थ्य सुविधा.बचाव नहीं, बस भरोसे की डोर इस वर्ष पुनः वही हालात बन चुके हैं. नाव की सुविधा नहीं, सामुदायिक किचन नहीं, राहत शिविरों का नामोनिशान तक नहीं है. ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन इस बार उन्हें राहत पहुंचाये, क्योंकि यह केवल पानी का संकट नहीं, बल्कि जीवन और सम्मान का सवाल है. वहीं स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि विशेष सर्वेक्षण कर इन दो वार्डों को प्राथमिकता पर राहत सूची में शामिल किया जाये. हम किसी विशेष सुविधा की मांग नहीं कर रहे. बस वही अधिकार चाहते हैं जो बाकी वार्डों को मिलते हैं.
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