छपरा. सर्किट हाउस सभागार में गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित ””आपके द्वार”” कार्यक्रम के तहत महिला जनसुनवाई का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में आयोग की अध्यक्ष विजया राहतकर ने 46 मामलों की सुनवाई की और इनमें से 20 मामलों का तुरंत निष्पादन भी किया. इस कार्यक्रम में महिला जनसुनवाई में आयोग ने महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा की. आयोग के अध्यक्ष ने प्रत्येक मामले के समाधान के लिए किये गये कार्यवाही की जानकारी प्राप्त की और कोर्ट संबंधित व गंभीर मामलों के लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये. कुछ मामलों में पुलिस अधीक्षक को भी समय सीमा के भीतर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया.
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा प्राथमिकता
सुनवाई के बाद प्रेस से बातचीत करते हुए आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग का मुख्य कर्तव्य महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा कि आयोग महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए समय-समय पर सरकार से महत्वपूर्ण अनुशंसा करता है और महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने में भी सक्रिय भूमिका निभाता है.महिला थानों की सराहना और आवाज दो कार्यक्रम की प्रशंसा
विजया राहतकर ने बिहार में सभी जिलों में महिला थानों के खुलने की सराहना की, इसे महिलाओं के लिए एक सशक्त पहल बताया. इसके साथ ही उन्होंने सारण पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ””आवाज दो”” कार्यक्रम की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से महिलाओं को अपनी समस्याओं को अधिकारियों तक पहुंचाने में आसानी होगी, और यह एक बहुत अच्छा कदम है.
सीवान बालिका गृह मामले पर आयोग की प्रतिक्रिया
सीवान के बालिका गृह से फरार हुई लड़कियों के मामले पर आयोग ने गंभीरता से संज्ञान लिया और प्रशासन से रिपोर्ट की मांग की. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक चूक की जांच की जा रही है और लड़कियों को ऐसी गलतियां नहीं करनी चाहिए.स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया
महिला जनसुनवाई के बाद, जिलाधिकारी अमन समीर ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को स्मृति चिह्न भेंट किया. इस अवसर पर प्रमंडलीय आयुक्त गोपाल मीणा, पुलिस उपमहानिरीक्षक नीलेश कुमार, पुलिस अधीक्षक डॉ कुमार आशीष और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे.
महिलाओं के खिलाफ अपराध पर नई कानूनी जानकारी
आयोग ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर नई कानूनी जानकारी भी दी, जिसमें दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या जैसे अपराधों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है. भारतीय न्याय संहिता 2023 में महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए कई नयी धाराएं जोड़ी गयी हैं, जैसे कि दुष्कर्म के दोषियों को आजीवन कारावास या जुर्माने की सजा, और घरेलू हिंसा से संबंधित मामलों में विशेष कार्रवाई.नये कानूनों की प्रमुख सुविधाएं
– महिलाओं को पुलिस थाने में आने से छूट, उन्हें अपने घर से ही पुलिस सहायता प्राप्त करने का अधिकार.- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की प्राथमिकता से जांच.- अस्पतालों में पीड़ित महिलाओं को निशुल्क चिकित्सा सुविधा.- सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद महिलाओं की गिरफ्तारी पर प्रतिबंध.
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