22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Chhapra News : सदर अस्पताल में दलालों की सक्रियता से मरीज परेशान

Chhapra News : सदर अस्पताल में दलालों का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है, जो मरीजों और उनके परिजनों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है. इमरजेंसी और ओपीडी विभाग में आने वाले हर 10 में से एक मरीज को दलाल आसानी से अपने जाल में फंसा लेते हैं और उन्हें निजी क्लीनिकों में जाने के लिए मजबूर कर देते हैं

छपरा. सदर अस्पताल में दलालों का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है, जो मरीजों और उनके परिजनों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है. इमरजेंसी और ओपीडी विभाग में आने वाले हर 10 में से एक मरीज को दलाल आसानी से अपने जाल में फंसा लेते हैं और उन्हें निजी क्लीनिकों में जाने के लिए मजबूर कर देते हैं. यह समस्या अस्पताल के चिकित्सा कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण और भी बढ़ गयी है, जिससे मरीजों को उनकी पसंद के अस्पताल में इलाज कराने का विकल्प नहीं मिलता.

सदर अस्पताल में प्रतिदिन आठ सौ मरीज ओपीडी में रजिस्टर होते हैं और लगभग 150 मरीज इमरजेंसी में एडमिट होते हैं. इनमें से करीब 30 फीसदी मरीजों को दलाल अपनी चंगुल में फंसा कर उन्हें आसपास के निजी क्लिनिकों में भेजने में सफल हो जाते हैं.

औचक निरीक्षणों के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं

बीते छह महीनों में जिला प्रशासन द्वारा 10 से अधिक बार औचक निरीक्षण किये गये हैं, जिसमें कई बार इमरजेंसी विभाग से दलालों को गिरफ्तार भी किया गया. कुछ समय पहले डीएम अमन समीर ने भी अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था और उन्होंने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिये थे कि दलालों की सक्रियता पर तुरंत अंकुश लगाया जाये. हालांकि, निरीक्षण के बाद स्थिति में थोड़ी सुधार हुई थी, लेकिन फिर से दलाल सक्रिय हो गये हैं.

एक साल में दो दर्जन से अधिक प्राथमिकी दर्ज

पिछले एक साल में दलालों के खिलाफ दो दर्जन से अधिक प्राथमिकी भगवान बाजार थाना में दर्ज की गयी हैं. इन मामलों में ज्यादातर मरीजों और उनके परिजनों द्वारा प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. कुछ मामलों में सदर अस्पताल प्रबंधन ने भी कार्रवाई की है. हाल ही में अल्ट्रासाउंड विभाग के पास से दो दलालों को गिरफ्तार किया गया और ओपीडी के पास एक महिला दलाल को भी पकड़ा गया.

अधिकतर निजी क्लिनिक में नहीं रहते हैं चिकित्सक

सदर अस्पताल के आसपास सौ से अधिक निजी क्लिनिक संचालित हो रहे हैं, जिनमें से अधिकतर में चिकित्सक नहीं होते. इन क्लिनिकों में स्टाफ द्वारा ही जांच और इलाज किया जाता है. कई क्लिनिकों पर केवल चिकित्सक के नाम का बोर्ड लगा रहता है. हाल ही में अस्पताल के बगल में स्थित एक निजी नर्सिंग होम में महिला की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया. जांच के दौरान यह सामने आया कि जिस चिकित्सक के नाम का बोर्ड लगा था, वह किसी अन्य जिले में कार्यरत था.

मरीजों को किया जा रहा है जागरूक

मरीजों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. सदर अस्पताल के ओपीडी व इमरजेंसी में आये मरीजों को बेहतर इलाज मिले इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. दलालों की सक्रियता खत्म हो इस पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है. चिकित्सक व कर्मियों को भी गाइडलाइन जारी किया गया है. जब भी ऐसे मामले सामने आते हैं. तो स्थानीय पुलिस को भी सूचना दी जाती है. जिसके बाद कार्रवाई होती है. अब पहले से अधिक चौकसी बरती जा रही है.

डॉ आरएन तिवारी, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel