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Chhapra News : तेज पछुआ हवा से घट रही खेतों की नमी, चिंता में किसान

Chhapra News : मंगलवार से चल रही तेज पछुवा हवा के कारण खेतों में नमी तेजी से घट रही है, जिससे मक्के के पौधे पीले पड़ने लगे हैं और गेहूं की बालियां सूखने लगी हैं.

बनियापुर. मंगलवार से चल रही तेज पछुवा हवा के कारण खेतों में नमी तेजी से घट रही है, जिससे मक्के के पौधे पीले पड़ने लगे हैं और गेहूं की बालियां सूखने लगी हैं. इस मौसम में खेतों में नमी की कमी के कारण गेहूं के पौधे गिरने लगे हैं, जिससे किसानों के लिए समस्या का सबब बन गया है. पिछले साल अक्टूबर के बाद से बारिश नहीं होने की वजह से रबी फसलों की बुआई के दौरान सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न हुई थी. किसानों ने किसी तरह से बुआई के लिए खेतों में सिंचाई की और अब जब गेहूं की फसल पूरी तरह तैयार नहीं हुई, तब तक तेज हवा के कारण असमय पकने का डर बढ़ गया है.

मक्के और गेहूं की फसलें प्रभावित

अनुभवी किसानों का कहना है कि धान की फसल खराब हो गयी और अब गेहूं की फसल की हालत भी खराब होती जा रही है. मक्के की फसल भी इस तेज हवा के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रही है. किसानों ने खाद-बीज का उचित प्रयोग कर मक्के की बुआई की थी, लेकिन पौधों के असमय पीले पड़ने और सूखने से लागत का खर्च भी डूबता नजर आ रहा है. गुड्डू प्रसाद, दशरथ राय और अमित कुमार जैसे किसानों ने कहा कि काफी खर्च के बाद मक्के की बुआई की गयी थी, लेकिन अब उनके लिए आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है.

सिंचाई में कठिनाई और पानी की कमी

खेतों में नमी की कमी की वजह से मक्के के पौधों की सिंचाई करने में किसानों को काफी परेशानी हो रही है. राज्य सरकार के नलकूप और नहरों से पानी नहीं छोड़े जाने की वजह से किसानों को निजी पंप सेट्स का सहारा लेना पड़ रहा है. पंप सेट के जरिए सिंचाई करने में 200-220 रुपये प्रति घंटे का खर्च आ रहा है, जबकि नमी की कमी के कारण एक घंटे में मात्र एक से 1.5 कट्ठा खेत में सिंचाई हो पा रही है. इसके अलावा, पानी सूखने के कारण खेतों में दरारें पड़ जाती हैं, जिससे फिर से सिंचाई करनी पड़ती है.

सब्जी उत्पादक किसानों को भी परेशानी

तेज धूप और तापमान में वृद्धि के कारण सब्जी उत्पादक किसानों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. भिंडी, लौकी, हरी मिर्च, खीरा और करेला जैसी सब्जियों की अच्छी उपज के लिए खेतों में नमी बनाये रखना आवश्यक है, लेकिन अब नमी तेजी से घट रही है. स्थानीय स्तर पर इन सब्जियों का उत्पादन अब तक शुरू नहीं हुआ है, जिसके कारण उपभोक्ताओं को ऊंची कीमत पर सब्जियां खरीदनी पड़ रही हैं.

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