छपरा. स्वास्थ्य विभाग ने छपरा मंडल कारा में बंद कैदियों के लिए विशेष शिविर का आयोजन किया, जिसमें टीबी की स्क्रीनिंग की गयी. इस शिविर का मुख्य उद्देश्य जेल में टीबी के फैलने के खतरे को कम करना था, जो बंद वातावरण में बहुत अधिक हो सकता है. शिविर के दौरान, कैदियों की सीवाइ-टीबी टेस्ट और अल्ट्रा पोर्टेबल एक्सरे मशीन से जांच की गयी. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि इस विशेष शिविर में कुल 1075 कैदियों की सीवाइ-टीबी स्क्रीनिंग की गयी. इसके अलावा, 350 कैदियों की पोर्टेबल एक्सरे मशीन से एक्सरे की गयी और उनकी बीपी भी चेक की गयी. डॉ रत्नेश्वर ने बताया कि टीबी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन सकती है, खासकर जब यह जेल जैसे बंद और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर फैलती है, जिससे न केवल कैदियों को, बल्कि जेल से रिहा होने के बाद आम जनता को भी खतरा हो सकता है. सीवाइ-टीबी टेस्ट एक उन्नत तकनीक है, जो मोंटेक्स टेस्ट से बेहतर है. इस परीक्षण में ट्यूबरकुलिन नामक पदार्थ को त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है और 48 से 72 घंटे के भीतर परिणाम सामने आते हैं. यदि टीबी के बैक्टीरिया के प्रति शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है, तो त्वचा पर उभार या लाली दिखाई देती है. इस परीक्षण के द्वारा टीबी के बैक्टीरिया की उपस्थिति का संकेत मिलता है, लेकिन पुष्टि के लिए अन्य परीक्षण भी आवश्यक होते हैं. टीबी के संदिग्ध मामलों के लिए, सीवाइ-टीबी में पॉजिटिव पाये गये कैदियों को टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट दवाएं दी जाएंगी. शिविर के दौरान लैब तकनीशियन राज किशोर प्रसाद, संजय कुमार गिरी, संजेश कुमार सिंह, एएनएम मनीषा सोनी, और सी-19 रिस्पांस मैकेनिज़म के जिला पर्यवेक्षक पंकज कुमार सिंह समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी मौजूद रहे.
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