पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित विद्यापति सभागार में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के तत्वावधान में शिक्षकों का पांच दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुआ. अध्यक्षता करते हुए डायट की प्राचार्या डॉ आकांक्षा कुमारी ने कहा कि प्रशिक्षण में आये जिले के विभिन्न प्रखंडों के चयनित शिक्षकों ने अनुशासित होकर कार्यशाला पूर्ण किया है. प्राचार्या डॉ कुमारी ने गुरु शिष्यों के परंपरा पर एक मिसाल पेश करते हुए कहा कि एक शिष्य ने गुरु से सफलता का उपाय पूछा था. गुरु ने शिष्य को बताया था कि किसी भी समस्या को हल करने का तरीका है, लेकिन पहले उसे अपनी जड़ पकड़नी होगी. गुरु ने शिष्य को सलाह दी थी कि अपनी कला पर घमंड न करें. गुरु ने शिष्य को सफलता के सही मायने बताये थे. गुरु-शिष्य की परंपरा से ही शिक्षा और विद्या का प्रसार होता है. गुरु-शिष्य की परंपरा से नई पीढ़ी तक ज्ञान पहुंचता है. गुरु से हमें यह सीख मिलती है कि हम जो कर रहे हैं, वह काम सही है या नहीं. गुरु से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने कामों के लिए किसी दूसरे की मदद का इंतज़ार नहीं करना चाहिए. गुरु से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी कला को निखारने के लिए गुरु की सलाह माननी चाहिए. कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि डायट मोहनिया के प्रभारी प्राचार्य संजय कुमार ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी योग्यता के हिसाब से ही फल मिलता है. बीते समय को बदल नहीं सकते, इसलिए दुख देने वाली बातों को भूलकर जीवन के अच्छे अनुभवों पर ध्यान लगाना चाहिए. अपनी बुराई सुनकर परेशान नहीं होना चाहिए, अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए. विद्यार्थियों को पढ़ाई का महत्व समझाना चाहिए और अनुशासन बनाए रखना चाहिए. समापन सत्र का संचालन व्याख्याता डॉ अंकिता ने किया. मौके पर मोहनिया डायट के व्याख्याता रविन्द्र कुमार गुप्ता, दीनानाथ राय, डा कंचनमाला, डा रूबी कुमारी, डा विनय कुमार, सना नवाज, शांभवी कुमारी, सेजल सुमन, श्वेता प्रियदर्शिनी, सोनी कुमारी, मलका समरीन, संजना कुमारी, दिव्या भारती, फैयाज अहमद, मो. फसीउद्दीन, ललन कुमार, मो. अरबाज, मो. कबीर, धर्मवीर आदि मौजूद थे.
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