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धमाकों से गूंजता रहा है जूट मिल परिसर

रामेश्वर जूट मिल : एक सप्ताह दो बम विस्फोट की घटना से मिल प्रबंधन सकते में रामेश्वर जूट मिल के साढ़े चार हजार से अधिक मजदूरों को अब अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा है. मिल परिसर में सप्ताह भर में दूसरी बम विस्फोट की घटना ने प्रशासन को भी सवालों के घेरे में ला दिया […]

रामेश्वर जूट मिल : एक सप्ताह दो बम विस्फोट की घटना से मिल प्रबंधन सकते में

रामेश्वर जूट मिल के साढ़े चार हजार से अधिक मजदूरों को अब अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा है. मिल परिसर में सप्ताह भर में दूसरी बम विस्फोट की घटना ने प्रशासन को भी सवालों के घेरे में ला दिया है. मिल प्रबंधन के सूचना के बाद भी उस पर कार्रवाई नहीं करना प्रशासन के ऊपर उठना लाजिमी है.

समस्तीपुर : जिले के एकमात्र उद्योग रामेश्वर जूट मिल में एक सप्ताह के भीतर हुए दो बम विस्फोट की घटना से जहां मिल प्रबंधन सकते में है. वहीं मिल बंद होने की सूरत में साढे चार हजार से अधिक मजदूर और उनके परिवारों के समक्ष भविष्य को लेकर आशंका के बादल भी मंडराने लगे हैं. दूसरी ओर सप्ताह के अंदर बम विस्फोट की घटना ने पुलिसिया तंत्र पर भी सवालों के घेरे में है.

जानकारों का बताना है कि इन दिनों मिल में हो रहे बम विस्फोट की मूल वजह प्रबंधन द्वारा अपराधियों को रंगदारी नहीं देना है. मिल प्रबंधक बीएन झा ने इसकी जानकारी पुलिस को दी थी.

जानकार बताते हैं कि पुलिस को कुछ मोबाइल नंबर भी मुहैया कराया गया था. लेकिन एक सप्ताह बाद भी पुलिस मोबाइल धारकों को चिह्न्ति कर कोई कार्रवाई नहीं कर सकी. नतीजा अपराधियों ने एक बार फिर घटना को अंजाम दे डाला.

आधिकारिक रुप से दर्जन भर विस्फोट और फायरिंग की घटना अबतक हुई है.लेकिन जानकारों की मानें तो रामेश्वर जूट मिल में मजदूर यूनियन और कामगार यूनियन के बीच वर्चस्व को लेकर घात प्रतिघात का सिलसिला काफी पुराना है. जब दोनों संगठन अपने शवाब पर थे तो विस्फोट और फायरिंग की घटनाएं रोज की बात हुआ करती थी. इन घटनाओं में अबतक करीब दर्जन भर लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.

सीसीटीवी लगाने की हो रही कवायद

समस्तीपुर. मिल प्रबंधन के द्वारा कामकाज पर नजर रखने के लिये पूर्व में मिल परिसर में आठ सीसीटीवी कैमरा लगाया था. जो पिछले वर्ष हुये आगजनी की घटनाओं में खराब हो गये है. मंगलवार की रात बम विस्फोट के बाद जांच करने मिल परिसर पहुंचे एएसपी आनंद कुमार ने भी प्रबंधन से मिल परिसर और उसके आसपास संवेदनशील जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात कही थी. प्रबंधन के सूत्रों का बताना है कि सीसीटीवी लगाने के लिये प्रक्रियाओं का दौर शुरू है. जल्द ही मिल के सभी इलाकों पर सीसीटीवी की निगरानी होगी.

पिकेट हटाना साजिश तो नहीं

समस्तीपुर : जूट मिल और उसके आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिये जिले की पुलिस प्रशासन कितनी चिंतित है इसका अंदाजा पुलिस के क्रियाकलापों से जाहिर होता है. जानकारों की मानें तो मजदूर नेता पृथ्वीराज चौहान की हत्या के बाद अपराधियों पर नकेल के लिये मिल परिसर के समीप पुलिस पिकेट का निर्माण कराया गया था. कुछ दिनों तक तो पुलिस के जवान वहां दिखे फिर धीरे धीरे उन्हें हटा लिया गया. एक बार फिर वर्ष 14 में जब अपराधियों ने मिल में दस्तक दी और गेट नंबर तीन पर मजदूर नेता रविंद्र प्रसाद की हत्या कर दी.

इसके बाद मिल के समीप पुलिस पिकेट फिर से बनाया गया. लेकिन अज्ञात कारणों ने दो माह पूर्व हटा दिया गया है. स्थानीय लोगों बताते है कि घटना होने के बाद पिकेट बनाना और फिर हटा लेना साजिश के तहत किया जाता है इससे अपराधियों का मनोबल बढ जाता है और वे एक नयी घटना को अंजाम दे देते है.

आशंका से दहले है मिलकर्मी

समस्तीपुर : एक सप्ताह के अंदर बम विस्फोट की दो घटनाओं से मिलकर्मी दहशत में है.सबकुछ जानने के बावजूद कोई भी कर्मी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है.

कुछ कर्मियों ने दबे स्वर में बताया कि मिल प्रबंधन के नजरिये पर ही मिल में शांति कायम होगी. या तो प्रबंधन को अपराधियों के समक्ष झुकना होगा. नहीं तो अपराधी ऐसी घटनाओं को आगे भी अंजाम देते रहेंगे. पुलिस प्रशासन की बात पर कर्मियों ने सवालिया लहजे में बताया कि जिन लोगों को पुलिस 15 वर्षो में खोज भी नहीं सकी है उन पर क्या कार्रवाई करेगी. वह तो सिर्फ खानापूर्ति के लिये यहां पहुंचती है.

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