मोरवा : गरमी के दस्तक के साथ ही पेयजल संकट शुरू हो गया है. गिरते जलस्तर के कारण के चापाकलों में पानी का कमना शुरू हो गया है. कहीं कहीं तो चापाकल जवाब भी देने लगा है. बता दें कि विगत चार सालों में पेयजल समस्या के निदान के लिए कोई ठोस उपाय नही किये गये हैं.
दो साल पहले विधायक मद से पूरे प्रखंड में 125 चापाकल लगाने की बात कही गयी लेकिन इनमें से कुछ गड़ा कुछ कागज पर ही सिमट कर रह गया. पहले से लगाये गये सरकारी चापाकल मामूली मरम्मत के अभाव में बेकार हो गये हैं जबकि नया लगा इंडिया मार्का चापाकल भर पानी देने से साफ इनकार कर रहा है. सिर्फ प्रखंड मुख्यालय में ही 19 चापाकल लगाये गये हैं जिसमें एक को छोड़कर सभी जवाब दे चुका है. चापाकलों से गंदा पानी देना तो आम बात है.
पानी जांच की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. लोग आर्सेनिक युक्त दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इसी तरह कई चौक चौराहे और सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल सुविधा की कोई व्यवस्था ़नहीं है. गर्मी के दिनों में यात्रियों को भी पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है. पेयजल समस्या से लोग के साथ साथ पशुओं को भी जूझना पड़ रहा है क्योंकि जलाशयों के पानी घटने से उसे भी पानी के लिए तरसना पड़ता है.