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मातृभूमि, मातृभाषा व अपनी संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन करना है उद्देश्य

मातृभूमि, मातृभाषा व अपनी संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन करना है उद्देश्य

बारहवां विद्यापति पर्व समारोह सह मिथिला संस्कृति महोत्सव आयोजित सहरसा . जिले के सत्तरकटैया प्रखंड स्थित लक्ष्मीनिया गांव में स्थापित विद्यापति सांस्कृतिक परिसर में बुधवार को 12वां विद्यापति पर्व समारोह सह मिथिला संस्कृति महोत्सव आयोजित किया गया. इस मौके पर कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थापक भोगेंद्र शर्मा निर्मल, अध्यक्ष विद्यानंद यादव, पूर्व मुखिया अरविंद यादव, कुमार विक्रमादित्य, ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा, प्रो भवानंद झा, अंजू झा सहित अन्य लोगों ने दीप प्रज्वलित कर किया. वहीं कार्यक्रम का संचालन किसलय कृष्ण ने किया. संस्थापक भोगेंद्र शर्मा ने बताया कि विगत 12 वर्षों से प्रतिवर्ष 19 एवं 20 नवंबर को स्थापना दिवस मनाया जाता है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य अपनी मातृभूमि, मातृभाषा एवं अपनी संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन करना है. उन्होंने कहा कि लक्ष्मीनिया पंचायत में देसिल वयना के उन्नायक महाकवि बाबा विद्यापति धाम, उगना महादेव, राजा जनक, लोरिक, सलहेश, दिना भदरी, कारू खिरहरी, महर्षि याज्ञवल्क्य, पंडित मंडन मिश्र, उभय भारती, गार्गी, मैत्री, मांगैन कामत सहित मां सीता की 11 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गयी है. जिसके कारण यह सांस्कृतिक परिसर धाम बन गया है. इस धाम के बनने के कारण मिथिला के अन्य जिलों से लोग इस दर्शनीय स्थल पर पहुंचकर पूजा अर्चना कर रहे हैं. वही किसलय कृष्ण ने बताया कि संस्थापक भोगेंद्र शर्मा बहुत ही निर्धन एवं उम्दा किस्म क कलाकार हैं. जिन्होंने अपनी पेंटिंग कला के माध्यम से उपार्जन कर अपने परिवार एवं इस धाम को जीवंत किया. उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष स्थापना दिवस पर मैथिली गायको का यहां जमावड़ा होता है. वहीं साहित्यिक गतिविधि के तहत मैथिली कवि गोष्ठी सम्मेलन का भी आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है. इसी मंच पर प्रसिद्ध मैथिली गायक पवन नारायण झा की अंतिम प्रस्तुति हुई थी. जिसके कारण यह मंच प्रति वर्ष उन्हें श्रद्धांजलि देते उनके नाम पर पुरस्कार दिया जा रहा है. मौके पर रजनीश कुमार शर्मा, कुमोद यादव, फुलेश्वर राम, शंभू पासवान, सुनील ठाकुर, हरे राम ठाकुर, अरविंद राम एवं अशोक यादव ने बताया कि इस धाम के बनने से मैथिली सभ्यता संस्कृति व परंपरा को अक्षुण्ण रखते इसका संवर्धन एवं संरक्षण किया जा रहा है. इस धाम के बनने से स्थानीय लोगों में काफी हर्ष है. साथ ही प्रतिवर्ष इस तरह के आयोजन किये जाने की मांग की. संस्थापक भोगेंद्र शर्मा ने बताया कि यह सांस्कृतिक परिसर बिहार सरकार के पर्यटन सूची में शामिल है. ऐसे में जिला प्रशासन को इस स्थान की सतत निगरानी कर इसे सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा प्रदान किये जाने की मांग की.

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