सहरसा : सरकारी कामकाज में व्यवधान को रोकने के लिए कलेक्ट्रेट गेट पर धरना पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो सड़क जाम कर यातायात बाधित करने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? जबकि लगभग एक वर्ष पूर्व तत्कालीन एसडीएम सौरभ जोरवाल ने जिले में कहीं भी सड़क जाम कर यातायात बाधित कर आम लोगों को परेशान करने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश निकाला था.
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कलेक्ट्रेट गेट पर धरना पर प्रतिबंध तो सड़क जाम कर यातायात बाधित करने पर क्यों नहीं?
सहरसा : सरकारी कामकाज में व्यवधान को रोकने के लिए कलेक्ट्रेट गेट पर धरना पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो सड़क जाम कर यातायात बाधित करने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? जबकि लगभग एक वर्ष पूर्व तत्कालीन एसडीएम सौरभ जोरवाल ने जिले में कहीं भी सड़क जाम कर यातायात […]
लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से अपनी मांग मनवाने के लिए कथित संगठनों द्वारा अव्यवस्था फैलायी जाती रही और लोग बेवजह के जाम में फंस मानसिक, शारीरिक व आर्थिक रूप से परेशानी झेल रहे हैं.
क्या विरोध का यही है एकमात्र तरीका: कभी सड़क तो कभी पुल बनाने के लिए. कभी चोर पकड़ने के लिए तो कभी बिजली तार ठीक करने के लिए. कभी बदमाश या हत्यारे की गिरफ्तारी के लिए तो कभी गिरफ्तार अपराधी को छोड़ने के लिए शहर के प्रमुख चौक-चौराहों को जाम कर दिया जाता है. लोकतंत्र में अपनी बात रखने का सबको अधिकार है, लेकिन सवाल है कि क्या विरोध करने या अपनी मांग मनवाने का सड़क जाम ही एकमात्र तरीका है?
क्या सड़क जाम करने और घंटों यातायात बाधित करने से आम लोगों को कोई परेशानी नहीं होती है? क्या उनकी मांग से सभी इत्तेफाक रखते हैं? जाम करने वाले कथित संगठनों और प्रशासनिक तंत्रों को यह सोचना चाहिए कि इस जाम से आम लोगों को कितना नुकसान होता है.
इस जाम में बीमार को अस्पताल ले जा रहे एंबुलेंस भी फंसते हैं. स्कूल जा या वापस लौट रही बसें भी फंसती हैं. ट्रेन पकड़ने स्टेशन जा रहे लोग भी फंसते हैं. अन्य शहरों की तरह यहां भी प्रशासन को विरोध प्रदर्शन के लिए खास जगह तय करना चाहिए.
यात्रियों ने कहा, यातायात बाधित करना अपराध की श्रेणी में हो शामिल
सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग भले ही स्वयं को नेता समझ लेते हों. लेकिन आम राहगीरों के बीच उनकी बहुत खराब व गंदी छवि बनती है. सोमवार को शंकर चौक के जाम में फंसे मधुसूदन झा ने कहा कि शहर में कतिपय संगठनों ने बहुत खराब परंपरा शुरू कर दी है.
इन्हें आम राहगीरों की परेशानी से कोई मतलब ही नहीं है. ये लोगों को परेशान कर कैसी राजनीति कर रहे हैं. सोना सिंह ने कहा कि सड़क जाम कर आम लोगों को परेशान करने के कारण ही पीड़ित ने गुजरात में हार्दिक पटेल को सरेआम मंच पर थप्पड़ मारा था. ट्रेन पकड़ने बच्चों के साथ स्टेशन जा रही सीमा देवी ने कहा कि एक तो आसमान से आग के गोले बरस रहे हैं, ऊपर से सड़क जाम की आफत.
प्रशासन को यथाशीघ्र सड़क जाम कर यातायात बाधित करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करनी चाहिए. डॉक्टर के पास इलाज को जा रही सुभद्रा सिंह को शंकर चौक से वापस लौट गांधी पथ, बनगांव रोड, महावीर चौक होते चांदनी चौक पहुंचना पड़ा. उन्होंने कहा कि प्रशासन को ऐसी राजनीति पर यथाशीघ्र विराम लगाना चाहिए. सड़क जाम कर यातायात बाधित करने को भी अपराध की श्रेणी में शामिल करना चाहिए.
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