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कम नंबर, समय खत्म फिर भी हुआ एडमिशन

सहरसा : बीएनएमयू के बीएड विभाग में बहुत बडा फर्जीवाड़ा सामने आया है. आरएम कॉलेज के बीएड विभाग में कुलानुशासक प्रो डॉ अरविंद कुमार अपने पुत्र तंजीव कत्यायन का नामांकन शिष्टाचार की सभी पराकाष्ठा पार करते हुए पांच जनवरी को कराने में सफल रहे. जबकि विश्वविद्यालय द्वारा नामांकन की अंतिम तिथि 21 दिसंबर तक ही […]

सहरसा : बीएनएमयू के बीएड विभाग में बहुत बडा फर्जीवाड़ा सामने आया है. आरएम कॉलेज के बीएड विभाग में कुलानुशासक प्रो डॉ अरविंद कुमार अपने पुत्र तंजीव कत्यायन का नामांकन शिष्टाचार की सभी पराकाष्ठा पार करते हुए पांच जनवरी को कराने में सफल रहे. जबकि विश्वविद्यालय द्वारा नामांकन की अंतिम तिथि 21 दिसंबर तक ही थी. विभाग द्वारा 22 जनवरी को पूरे नामांकन की सूची भी भेज दी

कम नंबर, समय…
गयी थी. विश्वविद्यालय द्वारा बीएड में नामांकन के लिए भेजे गये प्रथम एक सौ छात्रों की लिस्ट में सामान्य कोटि के छात्रों के नामांकन के लिए 70 प्रतिशत कट ऑफ मार्क्स रखा गया था. इसमें लगभग 68 छात्रों ने अपना नामांकन लिया था. बाकी बचे सीट के लिए विश्वविद्यालय द्वारा भेजे गये 32 छात्रों की लिस्ट में 23 छात्रों ने नामांकन लिया. तीसरी लिस्ट में 69 प्रतिशत अंक वाले 7 छात्रों की लिस्ट भेजी गयी. इसमें 5 छात्रों ने नामांकन लिया. चौथी और अंतिम लिस्ट में 50 प्रतिशत वाले 4 छात्रों की सूची विश्वविद्यालय द्वारा भेजी गयी. इसमें कुल 3 छात्रों ने नामांकन लिया. इस तरह एक सौ सीटों के लिए हुए नामांकन में 99 सीटों पर नामांकन लिया जा सका. इन सभी सीटों पर लिये गये नामांकन की सूची बीएड विभाग विभागाध्यक्ष बिधान चंद्र चौधरी द्वारा समय पर विश्वविद्यालय को सौंप दिया गया.
इसके बाद प्रतिकुलपति डॉ फारूक अली द्वारा महाविद्यालय प्रधानाचार्य डॉ राम वल्लभ झा के नाम पत्र भेज कुलानुशासक प्रो डॉ अरविंद कुमार के पुत्र तंजीव कात्यायन के नामांकन को लेकर सिफारिश की गयी. इस सिफारिश को प्रधानाचार्य द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इसकी जानकारी कुलानुशासक डॉ कुमार को होने के बाद वे 5 जनवरी को तकरीबन दो बजे कॉलेज पहुंच प्रधानाध्यापक कक्ष में प्रधानाध्यापक के साथ नामांकन को लेकर बहस करने लगे. डॉ कुमार अभद्र भाषा का प्रयोग व धक्का-मुक्की पर उतर गये. महाविद्यालय में मौजूद शिक्षक व कर्मियों ने किसी तरह मामले को शांत किया व डरे हुए प्रधानाचार्य डॉ झा ने प्रतिकुलपति के पत्र पर कुलानुशासक डॉक्टर कुमार के पुत्र के नामांकन की सिफारिश तत्काल कर दी. आनन-फानन में दिन के 4 बजे नामांकन ले लिया गया. कुलानुशासक की दबाव नीति काम आयी व उनके पुत्र तंजीव कात्यायन का नामांकन हो गया.
इस घटना का वीडियो वायरल होने पर कुलपति प्रो डॉक्टर अवध किशोर राय ने इसे संज्ञान में लेते हुए तत्काल जांच के लिए कमेटी गठित कर दी एवं कुलानुशासक को लंबी छुट्टी पर भेज दिया. कुलपति द्वारा गठित टीम में प्रतिकुलपति की अध्यक्षता में टीम गठित की गयी है. जबकि प्रतिकुलपति के पत्र के आलोक में ही यह नामांकन हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार तंजीव कात्यायन को 50 प्रतिशत अंक ही मेधा सूची के अनुसार प्राप्त है. मेधा सूची में वह काफी पीछे है. ऐसे में उनका नामांकन विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़ा की ओर संकेत करता है. विश्वविद्यालय में बीएड में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा की आशंका व्यक्त की जा रही है.

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