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मकर मेला में प्रतियोगिताओं के लिए राजगीर तैयार, पहली बार होगी दही खाओ प्रतियोगिता, कवियों की भी सजेगी महफिल

राजकीय मकर मेला में इस बार आपको मुफ्त में भरपूर दही खाने के साथ ही पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त करने का भी अवसर मिलेगा. मेला में 14 जनवरी को ब्रह्मकुंड में महाआरती तो 15 जनवरी को संत समागम की भी तैयारी है. अलग-अलग तिथियों में अलग-अलग कार्यक्रम जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित किया गया है.

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के अवसर पर पंच पहाड़ियों और गर्म पानी के झरनों के लिए प्रसिद्ध राजगीर में 14 जनवरी से भव्य राजकीय मकर संक्रांति मेला का आयोजन किया जाता है. इस आठ दिवसीय मेले में दूर-दराज और दूसरे जिलों से लाखों श्रद्धालु जुटते हैं. लोग राजगीर के पवित्र गर्म पानी के झरनों और तालाबों में मकर संक्रांति स्नान करते हैं. इस वर्ष भी मेला को लेकर जोरदार तैयारी है. इस बार मकर मेले में हर शाम रंगारंग सांस्कृतिक संध्या का आयोजन तो होगा ही 16 जनवरी को अखिल भारतीय कवियों की महफिल भी सजेगी. 14 जनवरी को ब्रह्मकुंड में महाआरती तो 15 जनवरी को संत समागम की भी तैयारी है. अलग-अलग तिथियों में अलग-अलग कार्यक्रम जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित किया गया है.

स्टेट गेस्ट हाउस में होंगे सभी स्पोर्ट्स कार्यक्रम

स्पोर्ट्स से जुड़े सभी कार्यक्रम स्टेट गेस्ट हाउस परिसर में कराया जायेगा. सभी आयोजनों के लिए डीएम द्वारा अलग-अलग जिला स्तरीय समन्वयक बनाये गये हैं. निर्धारित कार्यक्रमों के अनुसार 14 और 21 जनवरी को स्टेट गेस्ट हाउस परिसर में पतंग उत्सव का आयोजन होगा. इस उत्सव में भाग लेने वालों को दो तरह के पुरस्कार दिये जायेंगे. एक फैंसी और आकर्षक पतंग लाने वालों को और दूसरा पतंगबाजी में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों को.

फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबॉल, कबड्डी, एथलेटिक्स का आयोजन भी 15 से 18 जनवरी तक स्टेट गेस्ट हाउस परिसर में ही आयोजित की जायेगी. बच्चों से संबंधित क्विज एवं वाद विवाद प्रतियोगिता 17 जनवरी को तो दुधारू पशु प्रदर्शनी और कृषि उत्पाद प्रदर्शनी का आयोजन 20 जनवरी को युवा छात्रावास (मेला थाना) में किया जायेगा. 19 जनवरी को टमटम और पालकी सजावट प्रतियोगिता भी युवा छात्रावास में ही किया जायेगा.

दही खाओ इनाम पाओ प्रतियोगिता

मकर मेला में आपको मुफ्त में भरपूर दही खाने का भी मौका मिलेगा, साथ ही पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त करने का भी अवसर मिलेगा. मकर संक्रांति के अवसर पर बिहार स्टेट मिल्क को ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (कॉम्फेड) पटना की इकाई नालंदा डेयरी बिहारशरीफ के द्वारा सुधा दही खाओ इनाम पाओ प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है. यह प्रतियोगिता 14 जनवरी को 11:30 बजे राजगीर के मकर मेला (किला मैदान) में आयोजित किया जाएगा.

सबसे अधिक दही खाने वाले को मिलेगा पुरस्कार

प्रतियोगिता में सबसे अधिक दही खाने वाले दो लोगों को नालंदा डेयरी द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा तथा उन्हें प्रशस्ति पत्र भी दिया जाएगा. इस प्रतियोगिता में कोई भी व्यक्ति जिनकी उम्र 15 साल से अधिक है भाग ले सकते हैं. प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के लिए उनकी जरूरत के हिसाब से पीने के पानी की व्यवस्था के साथ ही चीनी, गुड़ की भी व्यवस्था की जाएगी. प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए प्रतिभागियों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है.

पहले आओ पहले पाओ के आधार पर रजिस्ट्रेशन

पहले आओ पहले पाओ रजिस्ट्रेशन के आधार पर इस प्रतियोगिता में शामिल होने का अवसर दिया जाएगा. नालंदा डेयरी के चीफ एग्जीक्यूटिव पीके सिंहा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में 100 जेंट्स एवं 50 महिलाओं के हिस्सेदारी की व्यवस्था की गई है. प्रतियोगिता में दही खाने के लिए निबंधित प्रतिभागियों को 3 मिनट का समय दिया जाएगा. इस अवधि में सबसे ज्यादा दही खाने वाले प्रथम एवं द्वितीय विजेताओं को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जाएगा.

पहले कई दिनों तक चलने के बाद राजगीर पहुंचते थे श्रद्धालु

राजगीर का मकर मेला सांकृतिक, प्राकृतिक, आध्यात्मिक और पारंपरिक पृष्ठभूमि का संवाहक है. पहले जब आवागमन के साधन सुलभ नहीं थे, तब मगध क्षेत्र और आस-पास के जिलों के लोग पैदल और बैलगाड़ी से मकर संक्रांति स्नान के लिए आते थे. स्नानार्थी मकर स्नान के लिए पेड़ों के नीचे डेरा डालते थे. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग गर्मजल के झरनों- कुंडों में स्नान और रिश्तेदारों से मिलने की लालसा में पैदल रास्ता आते थे. बड़े-बूढ़े बताते हैं कि पहले कई दिनों तक चलने के बाद राजगीर पहुंचते थे. कुंडों में स्नान करने और परिजनों से मुलाकात बाद उनकी सारी थकावट दूर हो जाती थी.

कभी परिजनों से मिलने का माध्यम हुआ करता था मकर मेला

पहले मेला परिवारों से मिलने जुलने का प्रमुख केंद्र होता था. मां- बेटी, सास – बहू, ननद- भौजाई, फूआ- मौसी मेले में आते और एक दूसरे से मुलाकात कर आह्लादित होते थे. बुजुर्ग बताते हैं कि आज भी याद है उस समय मेले की रातें किस तरह समां बांधते थे. रोशनी के लिए लालटेन, ढ़िबरी, पेट्रोमेक्स जलाते थे. सर्द रात में अलाव जलते थे, लेकिन अब आधुनिकता की दौड़ में मेला का स्वरूप बदल गया है. आवागमन के सुलभ साधन से भी पुरानी परंपराएं कुंद पड़ गयी हैं.

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मकर मेले में दिखता है मगध का आन-बान-शान

राजगीर का मकर मेला समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है. इस मेले में मगध का आन-बान-शान परिलक्षित होता है. मेला में मगध की सांझी विरासत का अद्भुत समन्वय झलकता है. झरनों की कल-कल धारा, पक्षियों की कलरव, चह-चहाहट और नृत्य संगीत मनोहारी होती है. मेला विविधता से भरा पूरा होता है.

एक ओर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य-संगीत का मनभावन प्रदर्शन होता है, तो दूसरी ओर बच्चों का क्विज , वाद-विवाद प्रतियोगिता होती है. फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबॉल, कबड्डी, दंगल, एथलेटिक्स आदि खेल-कूद प्रतियोगिताओं के साथ व्यंजन मेला, मनोरंजन, दुधारू पशु प्रदर्शनी, किसानों के उत्पादों की प्रदर्शनी आदि के स्टाॅल होते हैं.

सरकार की विभिन्न योजनाओं से रूबरू कराने के उद्देश्य से विभागीय प्रदर्शनी लगाये जाते हैं. किसानों को आधुनिक तकनीक से अवगत कराने के लिए कृषि, आत्मा, उद्यान, मत्स्य, गव्य, पशुपालन पदाधिकारियों द्वारा प्रत्यक्षण कराया जाता है.

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