अरविन्द कुमार जायसवाल, बीकोठी. दिवराधनी गांव में 151 वर्ष से मां दुर्गा का दरबार सज रहा है. 151 वर्ष पूर्व यहां के ग्रामीण मां दुर्गा की पूजा अर्चना एवं बलि के लिए शिलानाथ रुपौली जाया करते थे. हालांकि इसमें आ रही परेशानियों को लेकर ग्रामीणों ने अपने गांव दिवराधानी में माता के स्थापना का प्रण लिया था. तत्कालीन ग्रामीण बच्चा सिंह, मखन सिंह,भोजन सिंह,बिहारी सिंह, लटूरी सिंह, नेती यादव एवं अन्य ने छागर की बलि देकर छागर को दिवराधानी लाये एवं गांव में फूस का एक घर बनाकर उसमें पूजा अर्चना शुरू की. माता की महिमा से इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली गई, यहां मैथिली विधि से पूजा अर्चना होती है और अष्टमी और नवमी को मुख्य पूजा की जाती है. यहां महानवमी के दिन बली प्रदान का कार्य किया जाता है. हर वर्ष नवमी के दिन करीब 3 से 4 हजार छागर की बली दी जाती है .बलिकर्ता उत्तम सिंह ने बताया कि माता की कृपा से बलि का कार्य कर पाता हूं. वर्ष 2008 में भीषण कोसी त्रासदी के समय दिवरा धनी पंचायत के आस पास के कई गांव पूर्ण जलमग्न हो गये थे. लोगों का मानना है कि माता की कृपा से दिवरा पंचायत वर्ष 2008 की कोसी त्रासदी में पूर्णतया सुरक्षित रहा . मेलाध्यक्ष विक्रम कुमार उर्फ छोटू सिंह ने बताया कि पूजा स्थल महीने भरआकर्षण का केंद्र बना रहता है. जय मां भवानी नाट्य कला परिषद द्वारा मेला में जगह जगह श्रद्धालुओं के लिए समुचित व्यवस्था की जाती है. नामचीन कलाकारों को बुलाया जाता है.
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