सात फेरों के बंधन की हुई गांठ ढीली, दरक रहे हैं वैवाहिक रिश्ते प्रतिनिधि, पूर्णियाकेस स्टडी-114 अगस्त की रात सदर थाना क्षेत्र के रामबाग में रवि शेखर उर्फ बौआ झा की उसके शयन कक्ष में घुस कर अपराधियों ने चाकू से गोद कर हत्या कर दी. 03 महीने बाद जब हत्याकांड का सनसनी खेज खुलासा हुआ तो स्पष्ट हुआ कि बौआ झा की हत्या की सुपारी उसकी पत्नी काजल ने ही 01 लाख रुपये में दी थी. वजह यह थी कि बौआ अपनी पत्नी को अक्सर प्रताड़ित किया करता था. प्रताड़ना से ऊब कर काजल ने इंजीनियरिंग के छात्र ऋषिकेश यादव को अपना दिल दे बैठी. उसके बाद ठीक फिल्मी पटकथा की तरह ऋषिकेश और काजल ने मिल कर बौआ को रास्ते से हटाने की योजना तैयार की. योजना कार्यरूप में परिणत हुआ और बौआ झा की हत्या हो गयी. खास बात यह थी कि मौत के अंतिम क्षणों तक काजल और ऋषिकेश बौआ झा के साथ मौजूद था. केस स्टडी- 203 बच्चों के पिता के सिर प्यार का ऐसा जुनून छाया कि प्रेमिका के प्यार को पाने के लिए रास्ते में बाधक बनी पत्नी की कुल्हाड़ी से काट कर हत्या कर दी. घटना 30 नवंबर की रात श्रीनगर थाना क्षेत्र के खुट्टी धुनैली गांव की है. स्थानीय संजय राम रानीगंज के पास स्टेट हाइवे पर एक ढाबे में काम करता था. वहीं पर एक युवती से संजय को प्यार हो गया. इस बात की भनक जब पत्नी रेखा देवी को लगी तो संजय को ढाबे पर नौकरी करने से रोक दिया. संजय रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली चला गया. लेकिन प्रेमिका को पाने की ललक में फिर वापस गांव आया और पत्नी को बांस काटने के बहाने बांसबाड़ी ले जाकर कुल्हाड़ी से हत्या कर दी. केस स्टडी-3मुफस्सिल थाना क्षेत्र के वीरपुर स्थित एक ईंट भट्ठा में काम करने वाली 18 वर्षीया मोफिदा खातून ने 27 नवंबर की रात ईंट भट्ठा में ही केरोसिन अपने शरीर पर डाल कर आग लगा ली. बुरी तरह झुलसी मोफिदा को सदर अस्पताल लाया गया, जहां उसने अंतिम सांसें ली. मृतका के पिता मुबारक अली की मानें तो मृतका के पति सिराजुल अली न केवल शराबी प्रवृत्ति का था बल्कि उसके चरित्र पर भी पत्नी को हमेशा शक बना रहता था. इस बात का प्रतिरोध मोफिदा अक्सर किया करती थी. जवाब में सिराजुल उसकी जी भर पिटाई किया करता था. प्रताड़ना की हद हो गयी तो खुद को मोफिदा ने आग के हवाले कर दिया. केस स्टडी-4दोनों एक ही मुहल्ले में पले-बढ़े और बचपन की मित्रता बाद में प्यार में बदल गयी. संयोगवश इंजीनियरिंग की पढ़ाई हुई नागपुर में साथ-साथ की तो प्यार परवान चढ़ता चला गया. परिजनों की उपेक्षा कर शास्त्रीनगर की रश्मि और अभिषेक 03 वर्ष पूर्व प्यार के बंधन में बन गया. दोनों ने नागपुर नगरपालिका में अपना ब्याह रचाया. अब 2015 में अभिषेक रायपुर की किसी लड़की के साथ ब्याह रचाने की तैयारी कर रहा है. इस बात को लेकर रश्मि ने पूर्णिया एसपी के समक्ष गुहार लगायी. वहीं युवक अभिषेक के अनुसार उसने रश्मि के साथ शादी नहीं की. सच चाहे जो हो, फटाफट प्रेम और विवाह का यह विद्रुप चेहरा ही कहा जा सकता है. गृहस्थ वह तपोवन है जिसमें त्याग, संयम और सहिष्णुता की परीक्षा होती है. लेकिन शादी और गार्हस्थ जीवन के प्रति यह नजरिया अब बीते दिनों की बात हो गयी है. फास्ट फुड और नैनो संस्कृति के इस दौर में सात फेरों के बंधन की गांठ ढीली पड़ रही है. नतीजा यह है कि वैवाहिक रिश्ते फास्ट फुड की तरह आनन-फानन में पूरे हो रहे हैं तो उसी तेजी से दरक भी रहे हैं. जिसकी वजह यह है कि शादी अब पवित्र रिश्ता नहीं रह कर महज एक कांट्रेक्ट रह गया है. एकल परिवार, विवाहेत्तर संबंध, भागदौड़ की जिंदगी, असहिष्णुता तथा चट प्यार और पट ब्याह जैसे कई कारण हैं, जो टूटते वैवाहिक संबंध और बिखरते परिवार की कहानी बयां कर रही है. विवाहेत्तर संबंध बना है मुख्य कारण पति-पत्नी के बीच जब भी वो की इंट्री होती है, वैवाहिक रिश्ते के जड़ पर चोट पहुंचती है. दरअसल वो में इतना आकर्षण होता है कि इस नये रिश्ते की गांठ मजबूत होती चली जाती है और अग्नि को साक्षी मान कर जो सात फेरे लिए जाते हैं, उसकी बंधन ढीली पड़ती चली जाती है. रवि शेखर उर्फ बौआ झा मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ. पति द्वारा प्रताड़ना से परेशान बौआ की पत्नी काजल को किसी हमदर्द की तलाश थी, जो ऋषिकेश यादव के रूप में सामने आया. दरअसल बौआ और काजल के रिश्ते इस कदर दरक चुके थे कि वहां से वापसी संभव नहीं थी. ऐसे में नयी जिंदगी और नयी दुनिया बसाने के सपने ऋषिकेश और काजल ने जो संजोये थे, वह एक झटके में जमींदोज हो गया. भागदौड़ व असहिष्णुता लील रही पारिवारिक जिंदगी नये दौर में रिश्ते अब फेसबुक और वाट्स अप तक सिमट कर रह गया है. पारिवारिक जिंदगी पर निजी जिंदगी तवज्जों पा रही है. पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं और भागदौड़ की वजह से व्यक्तिगत रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं. पति एक शहर में तो पत्नी दूसरे शहर में, ऐसे में शारीरिक और मानसिक दूरी रिश्तों की गरमाहट को कायम नहीं रख पा रहा है. वहीं वह दौर और था जब पति परमेश्वर समझा जाता था और महिलाओं के मामले में ‘ यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता ‘ जैसी मानसिकता होती थी. अब पति-पत्नी महज पार्टनर बन कर रह गये हैं और निजी जिंदगी में असहिष्णुता का दौर भी अपेक्षाकृत बढ़ चुका है. जिसका परिणाम वैवाहिक रिश्ते के टूटन के रूप में सामने आता है. कसबा के संजय राम द्वारा पत्नी रेखा देवी की कुल्हाड़ी से हत्या भागदौड़ व असहिष्णुता का ही परिणाम कहा जा सकता है. चट प्यार, पट ब्याह, खट तलाक टू जी, थ्री जी और अब फोर जी, उसके बाद शायद फाइव जी की भी कल्पना हो रही होगी. इंटरनेट और फेसबुक के बाद चट प्यार और पट ब्याह का भी प्रचलन बढ़ा है. पहले पिता, मामा और ताऊ के संरक्षण में और काफी पड़ताल के बाद वैवाहिक रिश्ते तय होते थे. अब मामा और ताऊ की जगह चेंटिंग ने ले रखी है और शादी का स्थान पैतृक आवास की जगह न्यायालय बन गया है. यही वजह है कि चट प्यार के बाद पट ब्याह भी हो रहा है, लेकिन खट तलाकी समस्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है. शास्त्रीनगर के रश्मि और अभिषेक की कहानी भी चट प्यार और पट ब्याह तथा अब इनकार से जुड़ी हुई है. टिप्पणीपहले की शादी में सामाजिक सहमति थी तो स्थायित्व भी था. अब शादी का मतलब स्वच्छंदता और स्वच्छेचारिता है. आपसी टकराव की स्थिति में कोई मध्यस्थ भी नहीं होता है. अति महत्वाकांक्षा के कारण पति-पत्नी के बीच दूरियां बढ़ती है, जो अपराध के रूप में सामने आती है. इन सबके पीछे कारण यह है कि अब बच्चों को नैतिक शिक्षा नहीं दी जाती है. कहने के लिए सोशल मीडिया, लेकिन सबसे अनसोशल मीडिया की वजह से वैवाहिक रिश्ते दरक रहे हैं. डा एम आइ रहमान, प्राध्यापक, मनोविज्ञान विभाग, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा फोटो:- 04 पूर्णिया 10परिचय:- सात फेरे की प्रतीकात्मक तसवीर.
सात फेरों के बंधन की हुई गांठ ढीली, दरक रहे हैं वैवाहिक रश्तिे
सात फेरों के बंधन की हुई गांठ ढीली, दरक रहे हैं वैवाहिक रिश्ते प्रतिनिधि, पूर्णियाकेस स्टडी-114 अगस्त की रात सदर थाना क्षेत्र के रामबाग में रवि शेखर उर्फ बौआ झा की उसके शयन कक्ष में घुस कर अपराधियों ने चाकू से गोद कर हत्या कर दी. 03 महीने बाद जब हत्याकांड का सनसनी खेज खुलासा […]
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