पूर्णिया : पानी के बदले पूर्णियावासी जहर पी रहे हैं. जिले के भूगर्भीय जल में न केवल लौह मात्रा अधिक है बल्कि टीडीएस का अनुपात भी मानक से ज्यादा है. नतीजतन पानी के दुष्प्रभाव से जिले की अधिकांश आबादी रोगग्रस्त है. हालांकि शहर में आयरन रिमूवल प्लांट लगाया गया है पर यह नकारा साबित हो रहा है क्योंकि शहर के सभी मोहल्लों तक पाइप का कनेक्शन नहीं हो सका है. नतीजतन हर मुहल्ले में शुद्ध पेयजलापूर्ति की व्यवस्था अभी तक नहीं हो सकी है.
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पानी के साथ आज भी जहर पी रहे लोग,नकारा है आयरन रिमूवल प्लांट
पूर्णिया : पानी के बदले पूर्णियावासी जहर पी रहे हैं. जिले के भूगर्भीय जल में न केवल लौह मात्रा अधिक है बल्कि टीडीएस का अनुपात भी मानक से ज्यादा है. नतीजतन पानी के दुष्प्रभाव से जिले की अधिकांश आबादी रोगग्रस्त है. हालांकि शहर में आयरन रिमूवल प्लांट लगाया गया है पर यह नकारा साबित हो […]
दरअसल, पूर्णिया के भूगर्भीय जल में लौह की मात्रा काफी अधिक है.भारतीय मानक के अनुसार शुद्ध पेयजल में यह मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होनी चाहिए जबकि पूर्णिया में यह मात्रा 3.0 मिली ग्राम से 5.5 मिली ग्राम प्रति लीटर तक है. पेयजल में अत्यधिक लौह अयस्कों के कारण ही पूर्णिया की अधिकांश आबादी पेट एवं अन्य कई रोगों से ग्रसित है.
इतना ही नहीं, जिले में कई ऐसे इलाके हैं जहां टीडीएस का अनुपात 300 के करीब है. कई गांवों में यह अनुपात चार सौ पार कर गया है. जानकारों का कहना है कि तीन से चार सौ टीडीएस वाला पानी अत्यधिक दुषित पानी की श्रेणी में आता है जबकि चार से पांच सौ टीडीएस वाले पानी को नहाने योग्य भी नहीं माना जाता है.
इसका खुलासा सर्वे के बाद आयुष्मान नामक संस्था ने किया है. इसकी रिपोर्ट भी संस्था द्वारा सरकार को भेजी गई है. पेयजल के इस संकट से सरकार भी अनजान नहीं.यही वजह है कि इससे मुक्ति दिलाने के लिए पूर्णिया में शुद्ध पेयजलापूर्ति योजना शुरू की गयी थी.
विभागीय जानकारों के अनुसार पीएचइडी ने इस योजना का काम 2011 में ही पूरा कर लिया पर विडंबना यह है कि जिला मुख्यालय में शुद्ध पेयजल के भंडारण के बावजूद शहरवासियों को पीने का शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा है. जानकारों का कहना है कि गंगा कोसी नदियों के समीपस्थ होने के बाद भी इस इलाके का पानी दूषित है.
जलमीनार तो बना पर शुद्ध जल मिलना मुश्किल
सात निश्चय योजना के तहत शहर में सात जलमीनार पहले से है. इसके बाद भी करीब 194 करोड़ की लागत से सात और जलमीनार का निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गयी. इन जलमीनारों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. खुश्कीबाग स्टेशन रोड, पूर्णिया पूर्व प्रखंड कार्यालय का जलमीनार और फोर्ड कंपनी के जलमीनार चालू अवस्था में हैं.
खुश्कीबाग के जलमीनार से पानी सप्लाइ तो होती है लेकिन वह पीने लायक नहीं है. पूर्णिया पूर्व प्रखंड कार्यालय स्थित जलमीनार का भी बुरा हाल है. पूर्णिया सिटी और चिमनी बाजार में भी पानी नहीं पहुंच रहा है. शहर में जलमीनार बनाया गया है पर इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है.
लाइन बाजार में पी रहे लोग दूषित जल
शहर के लाइन बाजार में लोग अभी भी दूषित जल पी रहे हैं. आलम यह है कि यहां लोग अपने बीमार रिश्तेदारों का इलाज कराने आते हैं और खुद बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं. उल्लेख्य है कि लाइन बाजार हॉस्पिटल एरिया है और यहां रोजाना करीब 20 हजार से अधिक लोग इलाज के लिए आते हैं जिसमें अधिकतर लोग दूषित जल के कारण विभिन्न बीमारियों से ग्रसित रहते हैं पूर्णिया के पानी में आयरन की मात्रा काफी है जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है जबकि कचरा और नाले का गंदा पानी भी पानी को दूषित कर रहा है. दूषित पानी के कारण चर्म रोग, डायरिया, कॉलेरा, पोलियो, हेपेटाइटिस ए एवं अन्य कई प्रकार के बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं.
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