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आयकर की छूट पा रहे ट्रस्ट-सोसाइटी का बिहार में फिर से किया जायेगा आकलन, इस तारीख तक करना होगा आवेदन

इनकम टैक्स रिटर्न दायर और अपनी आय प्रदर्शित करने की छूट पा रहे ट्रस्ट-सोसाइटी या ऐसे अन्य सभी तरह के संस्थानों का फिर से आकलन किया जायेगा.

पटना. इनकम टैक्स रिटर्न दायर और अपनी आय प्रदर्शित करने की छूट पा रहे ट्रस्ट-सोसाइटी या ऐसे अन्य सभी तरह के संस्थानों का फिर से आकलन किया जायेगा. यह सभी तरह के चैरिटेबल और धार्मिक संस्थानों पर भी लागू होगा, जिन्हें जनसेवा या अन्य तरह की सेवाओं के नाम पर आयकर देने से छूट मिली हुई है.

आयकर विभाग इनके इनकम और कार्यप्रणाली का फिर से मूल्यांकन करेगा. इसके बाद यह तय किया जायेगा कि इन्हें आयकर देने या आय प्रदर्शित करने की छूट जारी रखी जाये या नहीं. इसके लिए एक अप्रैल से 30 जून तक सभी संबंधित संस्थानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा.

इसके बाद इन सभी चैरिटेबल संस्थानों से जुड़े तमाम पहलुओं की समुचित जांच करने के बाद ही उन्हें आयकर देने से छूट प्रदान की जायेगी, जो संस्थान निर्धारित समय-सीमा के अंदर आवेदन नहीं करेंगे, उनका निबंधन स्वत: रद्द मान लिया जायेगा. जो संस्थान सभी मानक पर सही पाये जायेंगे, उन्हें एक यूआरएन यानी यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जायेगा.

बिहार में काफी पुराने संस्थानों का कोई हिसाब ही नहीं

बिहार में हाल के कुछ वर्षों में करीब 10 हजार संस्थानों को आयकर विभाग की तरफ से 12-ए सर्टिफिकेट दिया गया है, जिसके तहत उन्हें अपनी आय पर टैक्स देने में छूट मिली हुई है. परंतु बिहार में बहुत बड़ी संख्या ऐसे संस्थान भी हैं, जो ये सुविधा 30-35 वर्षों या इससे ज्यादा समय से उठा रहे हैं. इन बेहद पुराने संस्थानों की संख्या बिहार में कितनी है, इसकी कोई सूचना आयकर विभाग के पास नहीं है. अब नये स्तर से संस्थानों का रजिस्ट्रेशन होने से विभाग को एकदम सटीक आंकड़ा मिल जायेगा कि कितने संस्थानों को ऐसी सुविधा प्राप्त है.

आयकर के नियम में हुआ अहम बदलाव

केंद्र सरकार ने इससे संबंधित आयकर विभाग के कानून ‘12-ए’ में एक अहम बदलाव किया है. पहले 12-ए सर्टिफिकेट जिस संस्थान, ट्रस्ट या सोसाइटी को मिल जाता था, उन्हें सालाना अपनी आय दिखाने और किसी तरह का टैक्स देने से पूरी तरह से छूट मिल जाती थी. यह छूट उन्हें आजीवन मिलती रहती होती थी. परंतु अब इसमें अहम संशोधन करते हुए संस्थानों को ‘12-ए-बी’ सर्टिफिकेट दिया जायेगा.

इस नये बदलाव में यह किया गया है कि यह सर्टिफिकेट सिर्फ पांच वर्षों के लिए वैद्य होगा. प्रत्येक पांच साल पर इन्हें अपने क्रियाकलापों को प्रदर्शित करते हुए आय की पूरी जानकारी ऑडिट रिपोर्ट के साथ देनी होगी. यानी प्रत्येक पांच साल पर इनका रजिस्ट्रेशन रिन्यू होगा. इसके बाद ही उन्हें अपने आय पर इनकम टैक्स देने की छूट जारी रहेगी. अगर कोई गड़बड़ी पायी गयी, तो यह सर्टिफिकेट रद्द हो जायेगा और संबंधित संस्थानों को टैक्स जमा करना होगा. यह नियम एक अप्रैल से पूरे देश में लागू हो गया है.

Posted by Ashish Jha

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