अनुज शर्मा, पटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे से निबटने के लिए बिहार पुलिस की नोडल एजेंसी आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) राज्यभर के पुलिस अधिकारियों को हाइटेक प्रशिक्षण देने जा रही है. 19 मई से पांच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें पुलिस सब-इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर और डिप्टी एसपी स्तर के अफसर शामिल होंगे. इससे पहले इओयू ने 7000 से अधिक पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध की बारीकियों में प्रशिक्षित किया है. इओयू के एसपी डी अमरकेश ने प्रभात खबर से कहा कि “साइबर अपराध अब शहरी नहीं, ग्रामीण चुनौती बन गया है. अपराधी शिक्षित, अशिक्षित, अमीर और गरीब सभी को निशाना बना रहे हैं. ऐसे में हर थाना स्तर पर प्रशिक्षित अधिकारी की आवश्यकता है, जो तकनीकी साक्ष्यों को समझ सके और अपराधी को सजा तक पहुंचा सके”. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अफसरों को यह भी सिखाया जायेगा कि कैसे वे सोशल मीडिया कंपनियों, बैंकिंग संस्थानों और टेलीकॉम ऑपरेटरों से समन्वय बनाकर समय पर साक्ष्य जुटाएं. साथ ही, साइबर फॉरेंसिक, ट्रेसिंग टेक्नोलॉजी और केस डायरी की तकनीकी तैयारी भी प्रशिक्षण का हिस्सा होगी. साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने की विधि़. अपराध की प्रकृति को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की प्रक्रिया. सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार से जुड़े मामलों में डिजिटल सीजर, यूआरएल , स्क्रीनशॉट और समय-अवधि का सटीक ब्योरा कैसे तैयार किया जाए. फाइनेंशियल फ्रॉड मामलों में ट्रांजेक्शन डिटेल, आइपी एड्रेस और नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (एनएफआरआइ) में लॉग जानकारी कैसे एकत्र की जाए. डिजिटल साक्ष्य को कोर्ट में प्रस्तुत करने योग्य फॉर्मेट में सुरक्षित कैसे रखा जाए. 2024 में 6.3 लाख फ्रॉड कॉल दर्ज साइबर अपराध के मामले 2018 में जहां मात्र 374 थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 5,274 हो गयी. वर्ष 2024 में राज्य में 6.3 लाख फ्रॉड कॉल दर्ज की गयी, जिनमें से 1.2 लाख पीड़ितों ने चक्षु एप के माध्यम से इसकी शिकायत की. यह वृद्धि न केवल इंटरनेट की पहुंच और स्मार्टफोन उपयोग में बढ़ोतरी को दर्शाती है, बल्कि ठगों के आधुनिक होते जाने की ओर भी इशारा करती है.
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