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पटना एयरपोर्ट पर पांच सितंबर से शुरू हो जायेगा नया एटीसी टावर, जानें कब से चालू होगा नया टेक्निकल ब्लॉक

नये एटीसी टावर का निर्माण चार महीने पहले हुआ है और इसमें उपकरण लगाने का काम इन दिनों हो रहा है. इस माह के अंत तक इसे पूरा कर लिया जायेगा. उसके बाद नये एटीसी टावर और टेक्निकल ब्लाॅक का पैरेलल ट्रायल रन शुरू होगा. इसके अंतर्गत पुराने एटीसी टावर और टेक्निकल ब्लॉक का इस्तेमाल जारी रहेगा.

पटना. पांच सितंबर से पटना एयरपोर्ट पर नये एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) टावर और टेक्निकल ब्लॉक का ट्रायल रन शुरू हो जायेगा. नये एटीसी टावर का निर्माण चार महीने पहले हुआ है और इसमें उपकरण लगाने का काम इन दिनों हो रहा है. इस माह के अंत तक इसे पूरा कर लिया जायेगा. उसके बाद नये एटीसी टावर और टेक्निकल ब्लाॅक का पैरेलल ट्रायल रन शुरू होगा. इसके अंतर्गत पुराने एटीसी टावर और टेक्निकल ब्लॉक का इस्तेमाल जारी रहेगा और उसके साथ साथ नये एटीसी टावर और टेक्निकल ब्लॉक में लगे उपकरणों का इस्तेमाल भी शुरू हो जायेगा. फ्लाइट ऑपरेशन में चार-पांच महीने तक दोनों का एक साथ इस्तेमाल जारी रहेगा. उसके बाद डीजीसीए और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी के द्वारा नये एटीसी टावर और टेक्निकल ब्लॉक में लगे उपकरणों के कामकाज की समीक्षा की जायेगी. इसे पूरी तरह सही पाये जाने पर पुराने एटीसी टावर का इस्तेमाल बंद कर दिया जायेगा और नये एटीसी टावर का ही पूरी तरह इस्तेमाल शुरू कर दिया जायेगा.

लैंडिंग और टेकऑफ में होगी सुविधा

पटना एयरपोर्ट के नये एटीसी टावर और उससे जुड़े टेक्निकल ब्लॉक भवन में सीएनएस (कम्युनिकेशन, नेवीगेशन और सर्विलांस) से जुड़े अत्याधुनिक उपकरण लगाये गये हैं. इससे पटना के हवाई क्षेत्र में उड़ने वाले विमानों की अधिक बेहतर निगरानी की जा सकेगी. साथ ही उनसे बेहतर संचार संपर्क भी स्थापित किये जा सकेंगे. इससे यहां विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ भी अधिक सुविधाजनक हो जायेगी. नये एयरपोर्ट टर्मिनल के निर्माण के बाद जब पटना से आने जाने वाले विमानों की संख्या बड़ा इजाफा होगा, तब पटना एयरपोर्ट पर निर्मित अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त यह टेक्निकल ब्लॉक और नया एटीसी टावर बेहद उपयोगी होगा.

2018 से चल रहा है पटना एयरपोर्ट का विस्तारीकरण

2018 में पटना एयरपोर्ट का विस्तारीकरण शुरू हुआ. 1216 करोड़ की लागत से इसके निर्माण कार्य शुरू हुआ. इसमें पहले टर्मिनल भवन, दूसरा एटीसी और टेक्निकल भवन, तीसरा स्टेट हैंगर बनना तय हुआ. इसको 4 साल में बन जाना था, लेकिन 5 साल बीत गए, लेकिन बहुत सारे निर्माण कार्य स्थल पर मात्र पाइलिंग का काम ही हो पाया है. पूरे एयरपोर्ट को 4 साल में बन कर तैयार हो जाना था, लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी अभी काफी काम बाकी है. संबंधित अधिकारी अब भी कोरोना की दुहाई दे रहे हैं. अब जुलाई 2024 से इससे विमानों का ऑपरेशन होने की उम्मीद है.

2026 तक पूरे तरीके से बन कर तैयार हो जाएगा एयरपोर्ट

एयरपोर्ट पर सुविधाएं बढ़ाने का बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है. एयरपोर्ट के डायरेक्टर के अनुसार काम पूरा होने में देरी हुई है, लेकिन अब जुलाई 2024 में यह काम पूरा हो जाएगा. जमीनी हकीकत कुछ और है. अनुमानित कम से कम 3 साल और वहां का समय लगेगा वहां का काम पूरा होने में. यानी 2024 की जगह 2026 तक एयरपोर्ट पूरे तरीके से बन कर तैयार हो जाएगा. कंस्ट्रक्शन कंपनियों काम हुई देरी का कारण पैसे की कमी बता रहें हैं. उनके पास वर्किंग कैपिटल की कमी है, लेकिन भी भी तकनीकी भवन निर्माण लगभग पूरा हो गया है. टेक्निकल भवन का काम भी 99 फीसदी पूरा हो चुका है.

750 वाहनों की पार्किंग होगी

ग्राउंड फ्लोर पर एराइवल और प्रथम तल्ले पर डिपार्चर लाउंज रहेगा. एक और भवन जो जी प्लस थ्री होगा. इसमें एटीसी, कम्युनिकेशन, सर्विलांस कार्गो और फायर स्टेशन यूनिट रहेगी. यह कार्गो यूनिट 10 किलो मीट्रिक टन क्षमता की है. 65155 वर्गमीटर में बनने वाला टर्मिनल भवन जी प्लस टू होगा. इसके बेसमेंट में बैगेज, सब स्टेशन, एसी प्लांट आदि होगा. मल्टीलेवल पार्किंग के भवन बनने का काम लगभग पूरा हो चुका है. यहां कुल 750 वाहनों की पार्किंग होगी. एयरपोर्ट अधिकारियों और कर्मियों के लिए जी प्लस 6 बिल्डिंग भी लगभग बनकर तैयार हो गया है. तीन स्टेट हैंगर में 5 साल में सिर्फ एक ही बन पाया है. अब बरसात के बाद प्रशासकीय भवन के काम में तेजी आने की संभावना है. अलग से टैक्सी ट्रैक के साथ रेलवे लाइन के किनारे आइसोलेशन-वे बन रहा है. अधिकारी के मुताबिक निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद पटना एयरपोर्ट की क्षमता प्रति वर्ष 80 लाख यात्रियों की हो जाएगी. यानी के अभी से दुगुनी.

नहीं उतरेगा एयरबस 120 और बोईंग 737

पटना एयरपोर्ट के विकास पर 1216 करोड़ खर्च किया जा रहा है, लेकिन रनवे नहीं बढ़ रहा है. पटना एयरपोर्ट का रनवे 6800 फीट है. इससे गर्मी में विमान फुल लोड के साथ नहीं आ पाते हैं. एयरपोर्ट की एक तरफ कब्रिस्तान और चिड़ियाघर और दूसरी ओर रेलवे लाइन और मेन रोड है. इस वजह से रनवे नहीं बढ़ सकता. रनवे की लंबाई कम से कम 12 हजार फीट नहीं होने से एयरबस 120, बोईंग 737, भारतीय वायु सेना की ग्लोबमास्टर और अन्य इंटरनेशनल विमानों का ऑपरेशन नहीं हो पाता.

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