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बिहार में शहीद की पत्नी से जब सेना ने पूछी अंतिम इच्छा, आधे घंटे बंद कमरे में रहा जवान का पार्थिव शरीर

बिहार के शहीद रामबाबू सिंह का पार्थिव शरीर सिवान स्थित उनके गांव पहुंचा तो सबकी नामें नम हो गयी. सेना के जवानों ने शहीद की पत्नी से उनकी आखिरी इच्छा पूछी तो जो मांग की गयी उसे सुनकर सबलोग भावुक हो गए.

भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान बॉर्डर पर तैनात बिहार निवासी आर्मी जवान रामबाबू सिंह पिछले दिनों शहीद हो गए. उनका पार्थिव शरीर बुधवार को सिवान जिले के बड़हरिया प्रखंड स्थित वसिलपुर गांव स्थित उनके पैतृक घर लाया गया. हजारों की भीड़ उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी. महज छह महीने पहले रामबाबू की शादी हुई थी. पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो मां और पत्नी शव से लिपटकर रोती रहीं. सेना के जवानों ने शहीद के अंतिम संस्कार से पहले उनकी पत्नी से आखिरी इच्छा पूछी तो वहां मौजूद सभी लोग भी भावुक होकर रोए.

शहीद से लिपटकर रोती रहीं मां और पत्नी

सेना के जवान रामबाबू के पार्थिव शरीर को लेकर उनके पैतृक गांव वसिलपुर पहुंचे. राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद के दरवाजे पर ताबुत आते ही वहां मौजूद महिलांए दहाड़ मारकर रोने लगीं. अपने बेटे के पार्थिव शरीर से लिपटकर उनकी मां विलाप करती रहीं. पत्नी अंजली को उनकी मां ढांढस बंधा रही थीं. रो-रोकर उनका बुरा हाल था.

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सेना के अफसरों ने पूछी अंतिम इच्छा

शहीद की मां अपने बेटे का नाम ले-लेकर बार-बार अचेत हो जा रही थी. पत्नी और मां को किसी तरह लोग संभाल रहे थे. इस दौरान जब सेना के अधिकारियों ने दरवाजे पर रखे पार्थिव शरीर को अंत्येष्टि स्थल तक ले जाने से ठीक पहले जब शहीद की पत्नी से पूछा कि क्या कोई ऐसी इच्छा है जो वो पूरा करवाना चाहती हैं. तो शहीद की पत्नी ने जो कहा वो सुनकर हर कोई भावुक हो गया.

पत्नी की अंतिम इच्छा, रामबाबू को उनके कमरे में लाया जाए

शहीद की पत्नी अंजलि ने सेना के अफसरों से कहा कि वो चाहती हैं कि अंतिम संस्कार के लिए ले जाने से पहले रामबाबू के पार्थिव शरीर को उनके कमरे तक ले जाया जाए. यह सुनकर सेना के जवानों ने फौरन ही कंधा देकर रामबाबू के पार्थिव शरीर को उनके कमरे तक लेकर गए. करीब आधे घंटे तक कमरा बंद रहा और रामबाबू के परिजन अंदर में रहे. बहादुर रामबाबू सिंह का पार्थिव शरीर थोड़ी देर बाद बाहर लाया गया और नम आंखों से सबने शहीद सपूत को विदाई दी.

छह महीने पहले ही हुई थी शादी

रामबाबू सिंह की शादी महज छह महीने पहले ही हुई थी. शादी के बाद वो अधिकतर समय ड्यूटी पर ही रहे. शहादत के दिन भी सुबह उन्होंने अपनी पत्नी से फोन पर बात की थी. शाम में फिर कॉल करने का वादा किया था. अचानक उनके शहादत की खबर घरवालों को मिली.

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