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IIT पटना जूम, वाट्सएप व गूगल पे जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म करेगा विकसित, रॉइनेट के साथ हुआ करार

आइआइटी पटना ने पिछले तीन दिनों में रेलटेल, एप्लाइड मैटेरियल्स इंडिया और रॉइनेट के साथ तीन अलग-अलग एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं. जिन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गये हैं, वे सब समाज को नये आविष्कार और विकास की ओर ले जायेंगे.

आइआइटी पटना ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट को लेकर गुरुवार को रॉइनेट सोल्यूशन के साथ एमओयू साइन किया. इसके बाद अब आइआइटी, पटना जूम, वाट्सएप व गूगल पे जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म विकसित करेगा. इसका नाम फॉरेक्स प्लेटफॉर्म दिया जायेगा. इसमें आइआइटी, पटना एकेडमिक स्तर पर और रॉइनेट सोल्यूशन बाजार पर काम करेगी.

रॉइनेट के साथ हुआ करार

आइआइटी, पटना के निदेशक प्रो टीएन सिंह ने कहा कि इसका उद्देश्य अत्याधुनिक समाधान विकसित करना है. शोध की दिशा में बेहतर काम करना है. रॉइनेट सोल्यूशन और आइआइटी पटना संयुक्त रूप से अगले तीन वर्षों में डिजिटल पेमेंट, धन प्रबंधन, सीमा पार भुगतान, सुरक्षित ऑडियो-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और उन्नत प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के क्षेत्र में अनुसंधान परियोजनाएं शुरू करेंगे, जिनमें मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स आदि शामिल हैं. रॉइनेट सोल्यूशन के प्रबंध निदेशक समीर माथुर और आइआइटी पटना के निदेशक प्रो टीएन सिंह ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये.

बिहार बौद्धिक परंपरा का ज्ञाता रहा है, यहां काफी रिसर्चर : डॉ लिम चोन-फंग

एमओयू के हस्ताक्षर समारोह के उपलक्ष्य पर रॉइनेट सोल्यूशन के निदेशक डॉ लिम चोन-फंग ने कहा कि आइआइटी, पटना के साथ एमओयू साइन करने का मकसद बिहार है. बिहार ज्ञान की भूमि रही है. देश-विदेश के कई बड़े कंपनियों में बिहारी है. इसलिए हम भी बिहार की धरती से नयी शुरुआत कर रहे हैं. यहां का माइंड काफी तेज है. हम हर तरह से आइआइटी पटना को सहयोग करेंगे. एकेडमिक सहयोग आइआइटी का रहेगा. आइआइटी पटना अपने शोध और अकादमिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है. यह साझेदारी हमें आइआइटी पटना की विशेषज्ञता का लाभ उठाने में सक्षम बनायेगी.

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तीन दिनों में तीन एमओयू

प्रो सिंह ने कहा कि आइआइटी पटना पिछले तीन दिनों में रेलटेल, एप्लाइड मैटेरियल्स इंडिया और रॉइनेट के साथ तीन अलग-अलग एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं. जिन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गये हैं, वे सब समाज को नये आविष्कार और विकास की ओर ले जायेंगे. आने वाले तीन सालों में बिहार के तकनीकी क्षेत्र में रोजगार की कमी नहीं रहेगी.

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