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सीएम नीतीश ने प्रवासियों से की बातचीत, बोले- हमारी मंशा, मजबूरी में किसी को ना छोड़ना पड़े बिहार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को 20 जिलों के 40 क्वॉरेंटिन सेंटरों का जायजा लिया और वहां रह रहे कई प्रवासियों से बातचीत भी की. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी चाहत है कि किसी को मजबूरी में बिहार से बाहर नहीं जाना पड़े. लोग बाहर जाकर कार्य कर रहे है, उन्हें वहां कष्ट झेलना पड़ता है.

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को 20 जिलों के 40 क्वॉरेंटिन सेंटरों का जायजा लिया और वहां रह रहे कई प्रवासियों से बातचीत भी की. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी चाहत है कि किसी को मजबूरी में बिहार से बाहर नहीं जाना पड़े. लोग बाहर जाकर कार्य कर रहे है, उन्हें वहां कष्ट झेलना पड़ता है. सीएम नीतीश ने कहा कि हमारी इच्छा है कि आप सबलोग बिहार में ही रहिये. आप सभी लोग बिहार के विकास में भागीदार बनें. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सर्वे का कार्य पूर्ण करायें कि कौन कहां से आया है, क्या रोजगार करता है. उनको यहां कैसे रोजगार उपलब्ध कराया जाए ताकि उन्हें बाहर नहीं जाना पड़े.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर के बेला स्थित महिला प्ले कॉलेज कैंप पर पंजाब के जालंधर से आयी प्रवासी महिला से बातचीत के दौरान पूछा कि वो कब आयी, वहां क्या करती थी, यहां कितने दिनों से है. प्रवासी महिला ने बताया कि, वो जूता फैक्ट्री में काम करती थी, पति भी वहीं साथ थे. 18 मई को वे यहां आयी हैं यहां किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है. समय पर भोजन मिलता है, दूध और बच्चों को बिस्किट भी मिल रहा है. मुख्यमंत्री द्वारा यहां रहने के पूछे गये सवाल के जवाब में महिला ने कहा कि बिहार में ही रहेंगे और यहीं काम करेंगे.

वैशाली के हाजीपुर महिला कॉलेज केंद्र पर दिल्ली से आये प्रवासी श्रमिक ने मुख्यमंत्री को बताया कि वह वेल्डिंग का काम करता था, 17 मई को यहां आने के बाद किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 दिन यहां रहने के बाद आप अपने घर जाएंगे, यह आपके स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है. प्रवासी ने बताया कि वे बिहार में ही रहने का मन बना चुके हैं.

समस्तीपुर के ताजपुर के एलकेवीडी कॉलेज सेंटर पर मुंबई से आये प्रवासी ने मुख्यमंत्री को बताया कि वे मुंबई में रहकर सिलाई का काम करते थे और वे 21 मई को आयेे हैं. उन्होंने यहां आने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस बात का धन्यवाद देता हूं कि हमलोगों को ट्रेन के माध्यम से अपने राज्य वापस बुलाया. प्रवासी ने बताया कि यहां सभी प्रकार की सुविधाएं हैं, किसी प्रकार की कोई दिक्कत यहां नहीं हैं.

सारण के रिविलगंज राजकीय मिडिल स्कूल केंद्र पर रेवाड़ी हरियाणा से आयी महिला ने मुख्यमंत्री को बताया कि वो आइसक्रीम फैक्ट्री में काम करती थी. अब उन्हें यहीं रहने की इच्छा है. महिला से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने पूछा कि इस केंद्र पर उन्हें क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं, महिला ने जवाब दिया कि यहां उन्हें मच्छरदानी, बिछावन के अलावे, बरतन, साबुन, कपड़े एवं अन्य जरुरी सामान भी मिले हैं.

गोपालगंज जिले के भोरे के भोला प्रसाद सिंह कॉलेज में मुंबई से आये महेश प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया कि वे वहां सेंटरिंग का काम करते थे. लेकिन, अब वे यहीं रहकर काम करना चाहते हैं. यहां अपने राज्य में आकर उन्हें खुशी हो रही है. मुख्यमंत्री को यहां बुलाने के लिए बहुत धन्यवाद भी दिया.

अररिया के फारबिसगंज एमएस टेढ़ी मसहरी केंद्र पर 10 मई को हरियाणा के चंडीगढ़ से आये प्रवासी मजदूर ने बताया कि वे वहां इलेक्ट्रीशियन का काम करते थे. लेकिन, अब वे अपने राज्य में रहकर ही काम करना चाहते हैं. उन्होंने सीएम को बताया कि इस केंद्र पर उन्हें तीनों समय ठीक ढंग से भोजन मिलता है और उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है.

किशनगंज जिले के पोठिया केंद्र पर कर्नाटक के हुबली से आये प्रवासी ने बताया कि वे वहां कपड़ा फेरी का काम करते थे. यहां आने पर उनका मेडिकल जांच कराया गया और सेंटर पर क्वॉरेंटिन रहने के दौरान खाने-पीने के साथ-साथ अन्य सारी सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं. वहां से लौटने के बाद अब वे यहीं काम करना चाहते हैं.

सहरसा के नौहट्टा कन्या मध्य विद्यालय केंद्र पर दिल्ली से आये मो. इकबाल ने मुख्यमंत्री को बताया कि वो वहां फास्ट फूड का दुकान चलाते थे. इस केंद्र पर सभी प्रकार की सुविधाएं उन्हें मिल रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सबको घबराने की जरुरत नहीं है, आपको यहीं काम मिलेगा आप यहीं रहिए. मुख्यमंत्री को उन्होंने मुबारकवाद भी दी, उसके बाद मुख्यमंत्री ने भी उन्हें ईद की बधाई दी.

खगड़िया के जेएनकेपी केंद्र पर दिल्ली से आये एक श्रमिक ने बताया कि वे वहां टेलरिंग का काम करते थे. यहां आने पर उनका मेडिकल जांच कराया गया और सेंटर पर क्वारेंटिन रहने के दौरान खाने-पीने के साथ-साथ अन्य सारी सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं.

सीवान के अमरोली बीपी पब्लिक स्कूल में गाजियाबाद से आये एक प्रवासी श्रमिक ने बताया कि वे वहां मेट्रो प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन में काम करते थे. मगर अब वे अपने बिहार में ही रहकर काम करना चाह रहे हैं. उन्होंने बताया कि कैंप में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.

पटना के बक्तियारपुर इंजीनियरिंग कालेज केंद्र पर भरौंच से आये भोला ठाकुर, जो कि वहां फर्नीचर बनाने का काम करते थे, ने कहा कि वे बिहार में ही रहने का मन बना चुके हैं. औरंगाबाद के बीएड कॉलेज, महामाया बिगहा सेंटर पर दिल्ली से आयी देवंती कुंवर ने मुख्यमंत्री से बातचीत में बताया कि वे वहां सिलाई के साथ कढ़ाई का काम करती थीं. उन्होंने बताया कि यहां सभी प्रकार की सुविधाएं हैं. वे अपने राज्य में ही रहना चाहती हैं, बाहर नहीं जाना चाहती हैं.

लखीसराय के बालिका उच्च विद्यालय, हलसी केंद्र पर सूरत से आये राजकुमार पांडेय ने मुख्यमंत्री को बताया कि वो कपड़े के मिल में काम करते थे, वे यहां 22 मई को आये हैं. अब उन्हें यहीं रहने की इच्छा है. सीएम के सवाल पर उसने कहा कि यहां उन्हें सारी सुविधाएं मिल रही है. वहीं, शेखपुरा के घाट कुसुंबा ब्लॉक मॉडल सेंटर पर दिल्ली से आयी एक प्रवासी महिला ने बताया कि वे वहां 5-6 वर्षों से सब्जी की दूकान चलाती थीं. लेकिन, अब वे यहीं रहकर काम करना चाहती हैं. मुख्यमंत्री को यहां बुलाने के लिए बहुत धन्यवाद भी दिया.

भोजपुर के कुल्हड़िया हाई स्कूल केंद्र पर मेरठ से आये दीपक कुमार ने बताया कि वे वहां बेकरी का काम करते थे. लेकिन, अब वे अपने राज्य में रहकर ही काम करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस केंद्र पर उन्हें तीनों समय ठीक ढंग से भोजन मिलता है और कोई दिक्कत नहीं है. नालंदा जिले के गिरियक सेंटर पर कोलकाता से आये श्यामसुंदर ने बताया कि वे वहां 34 वर्षों से कारपेंटर का काम कर रहे थे. वहां से लौटने के बाद अब वे यहीं काम करना चाहते हैं.

कैमूर के डीएवी स्कूल, रतवास केंद्र सूरत से आये संजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वे 17 मई को वे यहां आये हैं और वहां वे साड़ी छपाई का काम करते थे. उन्हें अब यहां से बाहर जाने का मन नहीं हैं. अब वे यहीं रहकर काम करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि इस केंद्र पर सभी प्रकार की सुविधाएं उन्हें मिल रही है. नवादा के विश्वकर्मा हाई स्कूल, अकबरपुर केंद्र पर मुंबई से आए प्रवासी श्रमिक ने बताया कि वह मुंबई में कपड़ा हैंडलूम का काम करते थे. यहां आने पर उनका मेडिकल जांच कराया गया और सेंटर पर खाने-पीने के साथ-साथ अन्य सारी सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं.

सुपौल के उच्च माध्यमिक विद्यालय केंद्र पर नयी दिल्ली से आये प्रवासी श्रमिक ने बताया कि वे वहां लेडिज पर्स बनाने का काम करते थे. मगर अब वे अपने बिहार में ही रहकर काम करना चाह रहे हैं. मधेपुरा के पीएस कॉलेज केंद्र पर दिल्ली से आये प्रवासी श्रमिक ने बताया कि वे वहां गाड़ी चलाने का काम करते थे और 16 मई को यहां आये हैं. उन्होंने बताया कि यहां सभी प्रकार की सुविधाएं हैं, किसी प्रकार की कोई दिक्कत यहां नहीं हैं.

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