13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Chhath Puja: शेरशाह सूरी ने 500 साल पहले खुदवाया था कुआं, छठ पूजा से जुड़ा कनेक्‍शन, जानकर रह जाएंगे हैरान

Chhath Puja: मुगल बादशाह शेरशाह सूरी ने शेखपुरा में 500 साल पहले एक कुआं खुदवाया था, जो आज दाल कुआं के नाम से प्रसिद्ध है. यह कुआं छठ व्रतियों के लिए बेहद खास बन गया है. आइए जानते है-

रंजीत कुमार, शेखपुरा/ Chhath Puja: करीब पांच सौ साल पहले शेरशाह के द्वारा बनाए गए शेखपुरा का दाल कुआं छठ व्रत की मुख्य आस्था का केंद्र बन गया है. शासक के द्वारा बनाया गया दाल कुंआ का मीठा पानी छठ व्रत में खरना का प्रसाद बनाने के लिए इस्तेम्मल लिया जाता है. प्राकृतिक स्रोतों कि रक्षा, सामाजिक सौहार्द एवं मनोकामनाओं से जुड़ी इस छठ व्रत में दाल कुआं के मीठे पानी का अलग ही महत्व है. अमीर हो या गरीब सभी महिलाएं और पुरुष नंगे पांव घर से निकलकर कुआं तक पहुंचाते हैं और खरना का प्रसाद बनाने के लिए दाल कुआं का पानी भरा हुआ वर्तन अपने सर पर रख कर घर तक ले जाते हैं. इसके लिए खरना के दिन सुबह 5:00 बजे से ही बड़ी संख्या में पानी लेने के लिए छठवर्ती एवं उनके परिजन बड़ी संख्या में दाल कुआं के पास पहुंचते हैं.

500 साल पुरानी है दाल कुआं

जानकारों की माने तो करीब 500 साल पूर्व अफगान शासक शेरशाह शेखपुरा के रास्ते अपने सैनिकों के साथ गुजर रहे थे. इसी दरम्यान शहर में पहाड़ी की चोटी पर अपने सैनिकों के साथ उन्होंने विश्राम किया था. तभी सैनिकों के सहयोग से शेखपुरा शहर के दल्लू चौक से चांदनी चौक जाने वाली मुख्य सड़क निर्माण के लिए पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया था. इसके साथ ही उन्होंने खांडपर राम जानकी मंदिर के समीप दाल कुआं का भी निर्माण कराया था.

1534 में शेरशाह ने किया था दाल कुंआ का निर्माण

पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां पेयजल की समस्या होती थी. ऐसी स्थिति में दाल कुआं में जब मीठा पानी निकला तब कोसों दूर इस पानी की मांग होने लगे. बुजुर्ग लखन महतो कहते हैं जमींदार अपने सुरक्षा कर्मियों के माध्यम से बैलगाड़ी पर दाल कुआं का पानी मंगवाने के लिए मीलों की यात्रा करते थे. 1903 में प्रकाशित मुंगेर गजेटियर में दाल कुएं के ऐतिहासिक महत्व का भी जिक्र है गजेटियर के मुताबिक 1534 में शेरशाह ने इस दाल कुएं का निर्माण करवाया था.

सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है दाल कुआं

स्थानीय युवा राहुल कुमार बताते हैं कि भले ही शासक शेरशाह ने ऐतिहासिक दाल कुएं का निर्माण कराया हो, लेकिन आज यह कुआं छठ बिहारवासियों के लिए आस्था का केंद्र है. छठवर्ती अपनी मन्नतों को पूरा करने एवं भगवान भास्कर के प्रति अपनी आस्था जताने के लिए कुएं के मीठे पानी से ही खरना प्रसाद बनाने की चाह रखते हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि मुस्लिम शासक शेरशाह के द्वारा बनाए गए दाल कुआं का हिंदुओं की आस्था की कहानी गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है.

Also Read: Chhath Puja 2025: बिहार के गंगा घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel