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बिहार विधान परिषद की एक सीट पर उपचुनाव, जदयू में उम्मीदवार की तलाश तेज

Bihar Politics : राजद एमएलसी सुनील सिंह की सदस्यता समाप्त होने के बाद हो रहे उपचुनाव को लेकर तैयारी शुरू है. एनडीए में यह सीट जदयू के कोटे में जाएगी. इसे लेकर समहति बन गई है. इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में जदयू नेतृत्व जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर काम करेगी. 2024 में नीतीश कुमार ने ऊंची जाति, मुस्लिम और पिछड़ा समाज को राज्यसभा और विधानपरिषद में भेजकर सम्मान दिया. अति पिछड़ा समाज अब तक इससे वंचित रहा है.

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Bihar Politics : पटना. बिहार विधान परिषद की एक सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं. निर्वाचन आयोग ने तारीख का एलान कर दिया है. राजद विधान पार्षद सुनील सिंह की सदस्यता जाने के बाद रिक्त हुए सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं. रिक्त सीट विधायक कोटे से भरी जानी है. संख्या बल के हिसाब से एनडीए की जीत पक्की मानी जा रही है. यह सीट जदयू के खाते में जायेगी. चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद जदयू ने उम्मीदवार की तलाश तेज कर दी है. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार इस बार अति पिछड़ा समाज के नेता को मैदान में उतार सकते हैं.

अब अति पिछड़ा की बारी

लालू परिवार के खिलाफ बगावत करने पर 2024 में राजद एमएलसी रामबली चंद्रवंशी की विधान परिषद की सदस्यता चली गई. राजद के कंप्लेन के आधार पर विधान परिषद सभापति ने सदस्यता खत्म कर दी. रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता खत्म होने के बाद खाली सीट सत्ताधारी गठबंधन में जदयू के खाते में गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस सीट से पिछड़ा समाज से आने वाले भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद भेजा. पिछले साल(2024) विधान परिषद के 6 वर्ष वाले हुए चुनाव में नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक समाज से आने वाले खालिद अनवर को रिपीट किया. यानि विधान परिषद में दूसरी दफे भेजा.

ब्राह्मण समाज से दो नेता गए रास

जदयू से राज्यसभा गए उपेन्द्र कुशवाहा ने 2023 में इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे से खाली हुई सीट पर हुए उप चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ब्राह्मण समाज से आने वाले राजवर्धन आजाद को रास का उम्मीदवार बनाया. आजाद चुनकर राज्यसभा गए. इसके बाद जदयू ने पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय झा जो ब्राह्मण समाज से आते हैं, इन्हें 2024 में राज्यसभा भेजा. इस तरह से 2023 अक्टूबर से लेकर 2024 तक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक समाज, पिछड़ा समाज और सवर्ण (ब्राह्मण) को विधानपरिषद और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व दिया. इस दौरान अति पिछड़ा समाज वंचित रह गया है. खबर है कि इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अति पिछड़ा समाज के सशक्त जाति से उम्मीदवार बना सकते हैं.

विपक्ष का अति पिछड़ा समाज पर नजर

चूंकि, बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. अति पिछड़ी जातियों पर विपक्ष की जबरदस्त रूप से नजर है. राजद अति पिछड़ों को लामबंद करने की कोशिश में है. वर्तमान में राजद का वीआईपी से गठबंधन है. मुकेश सहनी अति पिछड़ा समाज से आते हैं. बिहार में इस वर्ग की संख्या अच्छी खासी है. इतना ही नहीं राजद का भाकपा-माले जिसका अति पिछड़ों-गरीबों में जबरदस्त प्रभाव है, राजद का माले से गठबंधन है. वहीं कांग्रेस का भी अपना प्रभाव है. ऐसे में सत्ताधारी पार्टी जदयू फूंक-फूंक कर कदम रखेगी. जदयू अगर अति पिछड़ों पर फोकस नहीं करती है तो विधानसभा चुनाव में खेल बिगड़ सकता है. ऐसे में विधान परिषद की एक सीट पर हो रहे उप चुनाव में पार्टी अति पिछड़ा उम्मीदवार दे सकती है. पार्टी के अंदर इस पर जबरदस्त रूप से मंथन चल रहा है.

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