अनुज शर्मा/ Bihar News: गृह मंत्रालय ने शनिवार-रविवार की दरमियानी रात को बिहार सहित देश के अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले राज्यों के गृह सचिवों के साथ बैठक की. राज्यों को सतर्क करते हुए विशेष निगरानी और नागरिक सुरक्षा उपायों को तत्काल लागू करने का निर्देश दिया है. चेताया है कि नेपाल की अस्थिरता और सीमाई इलाकों की संवेदनशीलता को देखते हुए पूर्वी बिहार स्लीपर सेल के लिए ‘सॉफ्ट एंट्री ज़ोन’ बन सकता है. ऐसे में निगरानी में एक पल की चूक भी भारी पड़ सकती है. डीजीपी विनय कुमार ने सीमावर्ती ज़िलों के डीएम और एसपी को कड़े निर्देश दिए हैं कि निगरानी में किसी भी स्तर पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सभी थाना क्षेत्रों में रात्रिकालीन गश्त, संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग, किरायेदार सत्यापन और होटल- लॉज की निगरानी को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा जाए.
नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने सतर्क रहने का दिया निर्देश
नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने भी ग्राम रक्षा दल, स्वयंसेवकों और गृह रक्षा वाहिनी को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं. सीमावर्ती थानों से हर दिन सुबह तक एक्शन रिपोर्ट भेजने को कहा गया है. राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि कहीं से लापरवाही की सूचना मिली तो संबंधित अधिकारी की व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जाएगी. राज्य पुलिस मुख्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने हाल के दिनों में स्लीपर सेल मॉड्यूल की गतिविधियों में हरकत के संकेत दिए हैं. विशेष रूप से किशनगंज, अररिया और पूर्वी चंपारण ज़िले को संवेदनशील माना गया है. नेपाल के वीरगंज, विराटनगर और जनकपुर से जुड़े मार्गों पर सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी), बिहार पुलिस और खुफिया इकाइयों की संयुक्त तैनाती पहले से है.
पूर्वोत्तर से लेकर उत्तर बिहार तक संभावित नेटवर्क
सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान स्थित एजेंसियां नेपाल के रास्ते आतंकियों की घुसपैठ कराकर पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल और बिहार में स्लीपर सेल को दोबारा सक्रिय करने की कोशिश कर सकती हैं. नेपाल के कई शहरी क्षेत्र लंबे समय से जाली पासपोर्ट, हवाला नेटवर्क और कट्टरपंथी संगठनों की शरणस्थली माने जाते रहे हैं. ऐसे में सीमावर्ती ज़िलों के थानों को भी सतर्क कर दिया गया है कि वे किरायेदार सत्यापन, होटल चेकिंग और संदिग्ध सोशल मीडिया गतिविधियों पर फोकस करें.
राजनीतिक अस्थिरता बना रही संकट गहराने की ज़मीन
एक अधिकारी ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि नेपाल में चल रहे राजतंत्र समर्थक और प्रजातंत्र समर्थक आंदोलनों के बीच भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा व्यवस्था नेपाल क्षेत्र में ढीली पड़ती दिख रही है. इसका प्रमुख कारण नेपाली सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ ) की तैनाती में कमी और भीड़ नियंत्रण पर केंद्रित संसाधनों की वजह से सीमा क्षेत्रों में निगरानी शिथिल हुई है, जिसका फायदा भारत विरोधी तत्व या संगठन उठा सकते हैं.
Also Read: मुजफ्फरपुर में आग का कहर, तीन महीने में 316 परिवार हुए बेघर, छह लोगों की दर्दनाक मौत