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कोरोनाकाल में पटना के श्मशान घाटों पर धधकती रही चिताओं की आग, 50 दिनों के अंदर जले 6000 से अधिक शव

कोरोना के दूसरे लहर ने बिहार को भी चपेट में ले लिया. वर्तमान हालत थोड़ी राहत देने वाली है लेकिन मौत के आंकड़े आज भी सतर्क कर रहे हैं. एक तरफ जहां कोरोना के नये मरीजों की संख्या में जहां रिकॉर्ड कमी आई है वहीं राजधानी पटना में अप्रैल से अधिक मौतें मई महीने में हुई. सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पटना एम्स में अप्रैल से दोगुना मौतें मई महीने के 22 दिनों में हुई. वहीं पटना के श्मशान घाटों पर कोरोनाकाल के 50 दिनों में 6000 से अधिक शव जलाए गए, जिसमें कोविड और नॉन कोविड दोनों तरह के शव शामिल हैं.

कोरोना के दूसरे लहर ने बिहार को भी चपेट में ले लिया. वर्तमान हालत थोड़ी राहत देने वाली है लेकिन मौत के आंकड़े आज भी सतर्क कर रहे हैं. एक तरफ जहां कोरोना के नये मरीजों की संख्या में जहां रिकॉर्ड कमी आई है वहीं राजधानी पटना में अप्रैल से अधिक मौतें मई महीने में हुई. सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पटना एम्स में अप्रैल से दोगुना मौतें मई महीने के 22 दिनों में हुई. वहीं पटना के श्मशान घाटों पर कोरोनाकाल के 50 दिनों में 6000 से अधिक शव जलाए गए, जिसमें कोविड और नॉन कोविड दोनों तरह के शव शामिल हैं.

कोरोना के दूसरे लहर में मौत के आंकड़े बेहद भयावह हैं.मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पटना के पांच श्मशान घाटों पर पिछले 50 दिनों के अंदर 6,088 शव जलाए गए. जिसमें 2841 कोविड मरीजों के शव तो इससे भी अधिक सामान्य शव शामिल थे. पटना के 5 घाटों के अलावा बाहर जलाने वाले शव और कब्रिस्तान में दफनाने वाले शवों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. पटना के सभी घाटों पर अब जलाने की सुविधा मिलने के कारण अब केवल बांस घाट पर भीड़ नहीं जुटाकर अन्य श्मशान घाटों पर भी लोग शवों को ले जा रहे हैं.

पटना के बांस घाट पर मार्च महीने से ही शवों की कतार लगनी शुरु हो गई थी. मार्च महीने में केवल इसी घाट पर कोविड शव जलाए जा रहे थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उस महीने 217 कोविड शवों को तो 12 नॉन कोविड यानी सामान्य शवों को जलाया गया था. अप्रैल के आंकड़ो में यह उछाल चार गुणा से अधिक हो गया और दाह संस्कार किए जाने वाले शवों की संख्या 1464 हो गई जिसमें 939 कोविड शव और 525 सामान्य शव थे. वहीं मई महीने में 704 कोविड शव जलाए गए और 127 सामान्य शवों का भी दाह संस्कार किया गया.

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पटना के गुलाबी घाट पर अप्रैल में 441 कोविड शव व 1029 नॉन कोविड शव जलाए गए. वहीं मई महीने में 516 कोविड शव और 542 नॉन कोविड शवों का दाह संस्कार किया गया. यहां मार्च महीने में कोविड शव नहीं जले लेकिन 504 सामान्य शव जलाए गए. इसके अलावा तीन अन्य घाटों पर भी कई शवों को जलाया गया. बांस घाट, खाजेकलां घाट और गुलाबी घाट पर 28 अप्रैल को एक दिन में 240 कोविड शव जलाए गए थे.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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