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बच्चों के दिमाग में कैसे हिंसा और अश्लीलता के जहर घोल रहे हैं कार्टून कैरेक्टर

पटना : पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर कमल इन दिनों अपने बच्चे की आदतों से काफी परेशान हैं. उनका बच्चा स्कूल से आते ही मोबाइल फोन को लेकर व्यस्त हो जाता है. कभी-कभार वह कमरे में अकेले ही घंटों मोबाइल पर कुछ ना कुछ देखते रहता है. उन्होंने प्रभात खबर डॉट कॉम को बताया कि कमल […]

पटना : पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर कमल इन दिनों अपने बच्चे की आदतों से काफी परेशान हैं. उनका बच्चा स्कूल से आते ही मोबाइल फोन को लेकर व्यस्त हो जाता है. कभी-कभार वह कमरे में अकेले ही घंटों मोबाइल पर कुछ ना कुछ देखते रहता है. उन्होंने प्रभात खबर डॉट कॉम को बताया कि कमल को बाद में पता चला कि वह मोबाइल पर कुछ ऐसा देखता है, जो किसी भी बच्चे केलिए देखना काफी खतरनाक साबित हो सकता है. कमल पटना के पुलिस कॉलोनी में रहते हैं और अब मोबाइल को बच्चे से दूर रखना चाहते हैं. इसी क्रम में नीलू देवी (बदला हुआ नाम) नाम की एक कामकाजी महिला मिलीं. वह भी अचानक मोबाइल के प्रति अपने बच्चे के बढ़े आकर्षण से काफी परेशान हैं. नीलू का कहना है कि उन्होंने तो एक दिन बच्चे को मोबाइल पर कार्टून कैरेक्टर वाले अश्लील वीडियो देखते रंगे हाथों पकड़ लिया. इस घटना के बाद से नीलू सदमे में हैं. वहीं, बच्चे ने अपनी पॉकेट मनी जमा करके नया मोबाइल खरीद लिया है.

मोबाइल बना मुसीबत का घर

उपरोक्त दोनों घटनाएं आज के कई अभिभावकों की समस्या बन गयी है. बच्चों में अचानक बढ़े मोबाइल के प्रति क्रेज को वह समझ नहीं पा रहे हैं. अभिभावक भी बच्चों को मोबाइल देकर खुश होते थे कि उनमें टेक्नोलॉजी के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है और वे इंटरनेट पर अपनी पढ़ाई और प्रोजेक्ट से संबंधित बातों की जानकारी ले रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. जानकारी के मुताबिक, इन दिनों इंटरनेट पर बच्चों के कई पॉपुलर कार्टून कैरेक्टर हिंसक और अश्लील हो गये हैं. ऐसे ही कुछ कार्टून कैरेक्टर बच्चों में सेक्स, हिंसा और संवेदनहीनता को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. ऐसी कई साइटों को बच्चे सर्च करते हैं और उनके वीडियो देखना पसंद करते हैं, जिनमें हिंसा और सेक्स के साथ रेप और रिवेंज की कहानियां भरी पड़ी हैं. इन साइटों पर बच्चों के पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर को पूरी तरह हिंसक और अश्लील चरित्र में पेश किया गया है. जिन्हें देखकर बच्चों की मानसिकता पर एक गहरा असर पड़ता है.

अश्लील हो गये फेवरेट कार्टून

इंटरनेट पर मौजूद ऐसी कई साइटें हैं, जो बच्चों के लिए अश्लील सामग्री परोस रही हैं. इनमें फनीवॉर डाइ डॉट कॉम, डॉर्कली डॉट कॉम, एक्स मास्टर डॉट कॉम के अलावा जेड जेड कार्टून, रेड एचडी ट्यूब, यू एक्स, डीआइएलडीओट्रिपल एक्स ट्यूब और बस्टल जैसी साइटों का नाम प्रमुख है. इनकी खासियत यह है कि इन साइटों में बैटमैन सिरीज के अलावा हेनताइ, अलादीन के साथ बेन टेन जैसे कैरेक्टरों को हिंसक और अश्लील बनाकर पेश किया गया है. इन साइटों को देखने वाले बच्चों को बस मात्र एक बार खोलने की जरूरत है. वीडियो अपने आप शुरू हो जाता है. साइट को देखने के लिए किसी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ती. यह सभी साइट विदाउट रजिस्ट्रेशन वीडियो डाउनलोड होने वाले होते हैं.

सरकार ने खड़े किये थे हाथ

विदेशों से ऑपरेट होने वाले बच्चों की इन अश्लील साइटों पर रोक लगाने में सरकार भी अक्षम रही है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछे गये एक सवाल के जवाब में अपनी असमर्थता जताते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि जहां से यह साइट ऑपरेट होती हैं, वहां भारत का कानून लागू नहीं होता और इस पर कोई रोक नहीं लगायी जा सकती. बच्चों में हिंसा परोसने वाली इस तरह की सभी साइटें देश के बाहर से ऑपरेट होती हैं. इन साइटों पर सरकार अभी तक लगाम नहीं लगा पायी है. परिणामस्वरूप, बच्चे विदेशी कार्टून कैरेक्टरों के अश्लील चरित्र को देखने के लिए ऐसी ही साइट का सहारा लेते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

गौरतलब हो कि इससे पूर्व इसकी गंभीरता को देखते हुए इसी वर्ष फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्न पर रोक लगाये जाने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि इसे देखने और दिखाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाना चाहिए. कोर्ट ने साफ कहा था कि बच्चों को इस तरह के असामाजिक हमलों का शिकार बनते नहीं देखा जा सकता. कोर्ट ने कहा था कि बच्चों का इस्तेमाल किये जाने वाले इस गैर कानूनी काम की इजाजत किसी कीमत पर नहीं दी जा सकती. हालांकि, कोर्ट ने पोर्न साइटों की पाबंदी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना भी की थी. कोर्टने कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी आइपीसी की धारा 292 के तहत आते हैं. अत: इस पर रोक लगाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की बनती है. वहीं केंद्र ने यह जवाब दिया था कि सरकार बच्चों के अश्लील साइटों पर रोक लगाने के पक्ष में है, लेकिन बाकी पोर्न साइट पर रोक नहीं लगायी जा सकती, क्योंकि प्राइवेट में इसे देखना कोई अपराध नहीं है और इन साइटों को देश से बाहर चलाया जाता है, जहां भारत का कानून लागू नहीं होगा.

ऐसी साइटों से बचने के उपाय

बच्चों को ऐसी साइट से बचाने और दूर रखने के बारे में बताते हुए साइबर एक्सपर्ट कृष्ण मोहन का मानना है कि सबसे पहले कम उम्र के बच्चों से मोबाइल को दूर रखें. मोबाइल में लॉक का प्रयोग करें. डिजिट लॉक उसके लिए बेहतर उपाय है. पैटर्न लॉक बच्चे आराम से खोल लेते हैं. बच्चों के आस-पास रहने पर इंटरनेट कनेक्शन ऑफ रखें. उनके सामने मोबाइल ऑपरेट ना करें. मोबाइल में कई तरह के लॉक ऐप हैं, उनकी भी मदद लें. स्वयं भी किसी अश्लील और गंदे साइट को ओपेन ना करें. कई बार जल्दीबाजी में वह साइट ऑन रह जाती है और बच्चे उसे खोलकरदेखने लगते हैं. बच्चों को मोबाइल के नफा-नुकसान के बारे में प्यार से समझाएं. घर में सिस्टम और इंटरनेट मौजूद हो, तो उसके पासवर्ड को हमेशा गुप्त रखें और बच्चों को इसकी जानकारी ना होने दें.

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