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उठाओ फायदा : भिक्षावृत्ति निवारण योजना, महिलाओं को दी जा रही है अलग पहचान

गरीबी और लाचारी में भिक्षावृत्ति कार्यों में संलिप्त महिलाओं की देखभाल करने व उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना की शुरुआत की गयी है. इसके जरिये महिलाओं को अलग पहचान दिलायी जा रही है. इस योजना का लाभ अत्यंत गरीब और भिक्षावृत्ति में शामिल महिलाओं को दिया जाना है. इसके […]

गरीबी और लाचारी में भिक्षावृत्ति कार्यों में संलिप्त महिलाओं की देखभाल करने व उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना की शुरुआत की गयी है. इसके जरिये महिलाओं को अलग पहचान दिलायी जा रही है.
इस योजना का लाभ अत्यंत गरीब और भिक्षावृत्ति में शामिल महिलाओं को दिया जाना है. इसके लिए जिलों में संचालित इकाई सक्षम में संपर्क कर अपना नामांकन करा सकते हैं. कार्यालय द्वारा उनका पंजीयन करा कर उन्हें पुनर्वासित कराया जायेगा. इसके लिए टॉल फ्री नंबर की सुविधा भी प्रदान की गयी है. ताकि कोई भी व्यक्ति 18003456266 पर संपर्क कर इसका लाभ ले सकेंगे. साथ ही वैसे लोग जो अपने आसपास दिखने वाले भिखारियों की मदद करना चाहते है. इन नंबरों पर कॉल कर कार्यालय को सूचित कर सकते हैं. सूचना मिलने पर सक्षम कार्यालय के कर्मचारी उन तक पहुंच कर उनकी मदद की जाती है.
यह है योजना
वर्ष 2011-12 में समाज कल्याण विभाग की ओर से अति गरीब व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए स्टेट सोसाइटी फॉर रीहैबीलिटेशन ऑफ अल्ट्रा पुअर की स्थापना कर राज्य में भिक्षावृत्ति की कुप्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना की शुरुआत हुई. वैसी महिलाओं की पहचान की जा रही है, जो भीख मांग कर गुजारा कर रहे हैं. यह योजना पटना समेत सात जिलों में चलायी जा रही है.
ये हैं उद्देश्य
इसके तहत भिक्षावृत्ति कार्यों में लगी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करना है. ताकि वे इस कार्य को छोड़ सम्मान पूर्वक जीवन जी सकें. इसके लिए उन महिलाओं की पहले काउंसेलिंग कर परिवार के सदस्यों से जोड़ा जाता है. मानसिक विकृति होने पर होम में रख कर इलाज कराया जाता है. ताकि उनका समुचित इलाज हो सके. साथ ही ऐसी महिलाओं को मानसिक रूप से संबल प्रदान िकया जाता है.
ऐसे मिलती है मदद : कर्मी उनकी पहचान कर पहले उनका स्वास्थ्य जांच कराया जाता है. परिवार नहीं होने पर उन्हें पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है. जहां उनकी काउंसेलिंग के बाद उन्हें कौशल प्रशिक्षण से जोड़ा जाता है. परिवार होने पर उन्हें परिवार से भी जोड़ा जाता है. लेकिन, वह दोबारा भिक्षावृत्ति कार्यों में संलिप्त न हो इसके लिए उन्हें स्वरोजगार से जोड़ आत्मनिर्भर बनाया जाता है.
बेघरों के लिए बसेरा भी : वैसे लोग, जिनका परिवार है और उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है. उनके लिए बसेरा की स्थापना की गयी है. जहां, उनके रहने-खाने की व्यवस्था की गयी है.100 से अधिक महिला भिक्षुकों को इसका लाभ प्रदान किया गया है. 35 महिलाएं पाटलिपुत्र स्थित शांति कुटीर में रह रही हैं.

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