पुलिस मुख्यालय ने सभी एसपी को अपने स्तर पर स्पीडी ट्रायल के मामले देखने का दिया निर्देश
पटना : राज्य में स्पीडी ट्रायल के जरिये मामलों के निपटारे की गति सुस्त पड़ती जा रही है. स्पीडी ट्रायल के जरिये सुनवाई होने के बाद भी कई मामले की सुनवाई आम मामलों की तरह ही लंबे समय से हो रही है. इन मामलों की सुनवाई में काफी समय लगने के कारण ही स्पीडी ट्रायल की संख्या में पिछले 10 सालों में काफी गिरावट आयी है. अब स्पीडी ट्रायल की रफ्तार को फिर से बढ़ाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने इसकी जिम्मेवारी अब सभी एसपी को दे दी है. अब संबंधित जिलों के एसपी की स्पीडी ट्रायल के सभी मामलों की सतत मॉनीटरिंग करने की जवाबदेही होगी. पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में सभी एसपी को लिखित निर्देश जारी किया है.
स्पीडी ट्रायल से जुड़े किसी मुकदमे की सुनवाई के दौरान गवाह को समय पर हाजिर करवाना, गवाहों को उपस्थित करवा कर गवाही दिलवाना, समय पर डायरी, चार्जशीट समेत केस से जुड़े तमाम जरूरी दस्तावेजों को न्यायालय में प्रस्तुत करवाने में एसपी अहम भूमिका निभायेंगे. एसपी पूरे मुकदमे की देखरेख करेंगे. ताकि स्पीडी ट्रायल के माध्यम से समय पर फैसला हो सके और इसका अर्थ सही मायने में सार्थक हो सके. अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलायी जा सके.
दो हजार मामले लंबित पड़े : सभी जिलों में स्पीडी ट्रायल के करीब दो हजार मामले लंबित हैं. इसमें कई मामले पांच-छह साल या उससे ज्यादा से लंबित पड़े हैं. सुनवाई में देरी की वजह से इन मामलों में अपराधियों को फायदा मिल रहा है.
कई मामलों में कमजोर केस डायरी या साक्ष्य की वजह से अपराधियों को बेल भी मिल जा रहा है. इस कारण से सभी जिलों के एसपी को स्पीडी ट्रायल के मामलों को गति देने के लिए इसकी बागडोर अपने हाथ में लेने को कहा गया है.
सुनवाई में देरी की वजह से अपराधियों को फायदा
10 साल में आयी काफी कमी
हाल में गृह विभाग की तरफ से स्पीडी ट्रायल से जुड़ी एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी स्पीडी ट्रायल में पिछले 10 साल में सजा दिलाने में आयी गिरावट पर काफी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इसमें तेजी लाने के लिए पुलिस महकमे को कहा था. इसके मद्देनजर ही पुलिस विभाग ने यह कदम उठाया है. पिछले 10 साल में सिर्फ आर्म्स एक्ट के मामलों में अपराधियों को सजा दिलाने की रफ्तार में काफी गिरावट आयी है. 2006 में 1069 अभियुक्तों को सजा दिलायी गयी थी. वहीं, 2015 में यह घटकर महज 281 हो गयी है. ऐसी ही स्थिति अन्य मामलों की भी है.
महत्वपूर्ण होते हैं स्पीडी ट्रायल के मामले
स्पीडी ट्रायल में उन्हीं मामलों की सुनवाई की जाती है, जो बेहद महत्वपूर्ण, संवेदनशील, बेहद चर्चित, विधि-व्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले या किसी बड़े नामचीन कांड या व्यक्ति से जुड़े होते हैं. किसी बेहद शातिर मामलों या वारदात की सुनवाई भी इसके जरिये होती है. इसमें हत्या, आर्म्स एक्ट, लूट, अपहरण, बलात्कार समेत अन्य किसी तरह के मामले हो सकते हैं.
