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बिहार में गरीबी घटी

लंदन में मुख्यमंत्री ने सुनायी बिहार के विकास की गाथा पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने लंदन में बिहार के विकास की कहानी सुनायी. सोमवार को ठेठ हिंदी में मुख्यमंत्री ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में ‘बिहार की कथा-राज्य का पुनरुत्थान, समावेश और विकास’ विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने बिहार के इतिहास के साथ-साथ […]

लंदन में मुख्यमंत्री ने सुनायी बिहार के विकास की गाथा
पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने लंदन में बिहार के विकास की कहानी सुनायी. सोमवार को ठेठ हिंदी में मुख्यमंत्री ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में ‘बिहार की कथा-राज्य का पुनरुत्थान, समावेश और विकास’ विषय पर व्याख्यान दिया.
उन्होंने बिहार के इतिहास के साथ-साथ 2005 के बाद हुए विकास का बखान किया.
राज्य के आला अधिकारियों के साथ लंदन आये मुख्यमंत्री ने प्रदेश की विधि-व्यवस्था, सुशासन, मानव संसाधन पर निवेश, आधारभूत संरचना, कृषि, नारी सशक्तीकरण, वंचित समूहों को मुख्य धारा में लाने के लिए किये गये कामों की चर्चा की. इसके अलावा उन्होंने सरकार की चुनौतियों व प्राथमिकताओं को भी गिनाया. मुख्यमंत्री ने निजी क्षेत्र में निवेश व रोजगार, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का विकास, लोक सेवाओं की गुणवत्ता और अधिक आंतरिक संसाधन पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर के आमंत्रण को मैंने इसलिए स्वीकार किया कि मैं बिहार की कहानी, अपनी सफलताओं और चुनौतियों को एक बड़े समूह के साथ साझा कर सकूं . यह सही है कि हमने बिहार की आर्थिक गतिशीलता को बढ़ाया. इसकी विकास दर भारत के सबसे तेज विकास दर वाले राज्यों में से एक है. मुख्यमंत्री ने कहा, 2005 में जब हमारी सरकार बनी, तो उस समय बिहार को एक असफल राज्य के उदाहरण के रूप में देखा जाता था. विधि- व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त थी. लेकिन, बिहार ने पिछले सात-आठ साल में नाटकीय बदलाव देखा है.
हमारा राज्य, जो शासनहीनता का प्रतीक था, अब इसकी प्रगति, असामान्य प्रगति दर व सुशासन चर्चा का विषय है. हमने कानून का राज स्थापित किया. सड़कों व पुल-पुलियों का निर्माण किया. स्कूलों व अस्पतालों का जीर्णोद्घार किया. सबसे महत्वपूर्ण हमने निराशावादी वातावरण को समाप्त किया और लोगों के मन से असुरक्षा की भावना को निकाला. इन प्रयासों के कारण न केवल लोगों को गुणवत्तापूर्ण जीवन मिला, बल्कि बिहार देश का सबसे तेज विकास दर वाला राज्य बन गया. पिछले सात सालों में बिहार की औसत विकास दर 10 प्रतिशत से ऊपर रही है. बिहार न केवल उच्च गति से विकास कर रहा है, बल्कि इसकी विकास दर ने बहुसंख्यक गरीबों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया है.
2005 में बिहार के 54 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे थे. योजना आयोग के ताजा प्रतिवेदन के अनुसार, वर्ष 2011-12 में बीपीएल अनुपात घट कर 33 प्रतिशत हो गया. सिर्फ छह सालों में गरीबी में 20 प्रतिशत से अधिक की कमी यह दरसाता है कि आर्थिक विकास के लाभों में व्यापक हिस्सेदारी हो रही है. अब सवाल यह उठता है कि कैसे राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाया गया?
मुख्यमंत्री ने कहा कि आठ सालों में बिहार सरकार का प्रयास और उपलब्धियां संतोषजनक है. हमने एक कार्यशील राज्य के विकास के लिए ईमानदारी से प्रयास किया है, जो बिहार में बदलाव के लिए उत्प्रेरक बन सके. बिहार की कहानी लोकतंत्र, राज्य निर्माण और सुशासन की गाथा है. बिहार में प्रशासन के लिए एक समग्र दृष्टि तय की गयी है- ‘न्याय के साथ विकास’ की दृष्टि. इसी को लोग विकास का बिहार मॉडल कहते हैं. यानी प्रगति का ऐसा रास्ता, जो पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ व्यापक सामाजिक समावेश और सबसे कमजोर तबकों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करते हुए आर्थिक विकास करे. हालांकि, हमलोगों ने एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन अब भी बहुत काम करना बाकी है.
हमारे सामने जो चुनौतीपूर्ण काम है, मैं अपना समय और ऊर्जा उनके समाधान में लगाना चाहता हूं. अब भी ऐसी ढेर सारी चुनौतियां हैं, जिनका सामना हम रोज कर रहे हैं. लोगों की जीविका, अधिक समावेशी विकास, आपदाओं का जोखिम, मानव संसाधन का विकास, बैंकिंग का विस्तार, लोक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, व्यापक गरीबी, ऊर्जा संबंधी उपलब्धता, बिहार इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है.
हमने राज्य की प्रगति करने और सुशासन देने की क्षमता की पुनस्र्थापना पूरे उत्तरदायित्व, स्वच्छता और पारदर्शिता के साथ की है.
समारोह में आद्री के सदस्य सचिव और आइजीसी इंडिया-बिहार के सह निदेशक डॉ शैबाल गुप्ता ने बिहार सरकार भूमि सुधार के मुद्दे को गंभीरतापूवर्क लेगी. आइजीसी के प्रो राबिन बर्गेस ने कहा कि बिहार को अपने शहरीकरण की ओर ध्यान देना चाहिए, वहीं डॉ रुथ कत्तूमुरी ने कहा कि बिहार को आवास क्षेत्र की चुनौतियों को के समाधान के लिए बहुमंजिली इमारतों के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए. समारोह में राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, वित्त सचिव रामेश्वर सिंह, कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्र, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार और सचिव संजय कुमार सिंह भी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री ने सुनायी अपनी कहानी
मेरे पिताजी एक बंधुआ मजदूर के रूप में एक सवर्ण जमींदार के यहां काम करते थे. मुझे जमींदार के जानवरों को चराने ले जाना पड़ता था. इसके बदले मुझे खाना मिलता था. मेरे पिताजी मुझे स्कूल भेजना चाहते थे, लेकिन जब उन्होंने यह बात एक दिन जमींदार को बतायी, तो उन्हें पीटा गया. भारत की आजादी के तत्काल बाद जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बावजूद उनके साथ ऐसा हुआ. जमींदारी उन्मूलन का कानून बनाने वाला बिहार पहला राज्य था. कानून बदलना आसान है, लेकिन लोगों की धारणाएं व सामाजिक मूल्यों को बदलना कठिन है.
नीतीश कुमार का किया गुणगान
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परिवर्तन पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व के बिना संभव नहीं था. मुझे उनके मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त है और मैंने बिहार के पुनर्निर्माण के समेकित प्रयासों को निकट से देखा है. बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में मेरा प्रयास है कि मैं बिहार के विकास की इस विरासत को अगले पायदान पर पहुंचाऊ.
जब मैं बिहार के पुनरुत्थान की बात करता हूं, तो हमारी सरकार ने उन करोड़ों लोगों की इच्छाओं-आकांक्षाओं को साकार करने का प्रयास किया है, जिन्होंने पिछड़ेपन से छुटकारा दिलाने और राज्य को विकास, उन्नति और सौहार्द के पथ पर ले जाने का जनादेश हमें दिया. हमारे प्रयास मुख्यत: सफल क्रियान्वयन के साथ संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण और नवाचारी नीतिगत पहल पर आधारित है.

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