23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

‘शराब मुक्त भारत’ के राष्ट्रीय सम्मेलन में बोले सीएम नीतीश कुमार, बापू की सोच को पूरा करने के लिए पूरे देश में शराबबंदी जरूरी

नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि शराबबंदी के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन सराहनीय प्रयास है. बापू की भी यही सोच थी. लेकिन उनकी बात को लोगों ने भुला दिया. वर्ष 1977 में प्रधानमंत्री रहते मोरारजी देसाई ने देशव्यापी शराबबंदी की कोशिश की थी. ऐसी ही पहल बिहार के मुख्यमंत्री रहते जननायक कर्पूरी […]

नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि शराबबंदी के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन सराहनीय प्रयास है. बापू की भी यही सोच थी. लेकिन उनकी बात को लोगों ने भुला दिया. वर्ष 1977 में प्रधानमंत्री रहते मोरारजी देसाई ने देशव्यापी शराबबंदी की कोशिश की थी. ऐसी ही पहल बिहार के मुख्यमंत्री रहते जननायक कर्पूरी ठाकुर ने किया था. लेकिन उनके पद से हटते ही इस कदम को हटा दिया गया. वह रविवार को ‘शराब मुक्त भारत’ के राष्ट्रीय सम्मलेन में बोल रहे थे.
मिलिता ओड़िसा निशा निवारण अभियान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि थे. इसके अलावा राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, गांधीवादी राधा भट्ट भी अतिथि थीं. मुख्यमंत्री ने बिहार में शराबंदी के फैसले पर कहा कि 2005 से पहले बिहार में शराब बिक्री के अनुपात में राजस्व नहीं मिलता था. हमारी सरकार ने पहले नेक्सस को तोड़ा, तो आमदनी बढ़ने लगी. लेकिन मुझे आमदनी से अधिक चिंता लोगों के स्वास्थ्य की थी. ऐसे में शराब से नुकसान के लिए जनजागरण अभियान चलाया.
शराबबंदी से बिहार की जनता के बच रहे हैं 10,000 करोड़
गरीबों के 10,000 करोड़ बच रहे हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबों का शराब पर सालाना दस हजार करोड़ रुपये बर्बाद हो रहे थे. अब वे पैसा बचाकर दूसरी चीजों पर खर्च कर रहे हैं. पहले कहा जा रहा था कि इससे बिहार आने वाले पर्यटक कम हो जायेंगे, लेकिन साल दर साल देशी और विदेशी पर्यटक की संख्या बढ़ी है. शराबबंदी के प्रयोग से साफ संकेत है कि इसका राजस्व से कोई रिश्ता नहीं है. सरकार का काम लोगों का हित देखना है. शराबबंदी से महिलाओं के खिलाफ अपराध, दुर्घटना और अपराधों में कमी आयी है. अगर पूरे देश में ऐसा हो गया, तो बड़ा सामाजिक परिवर्तन आयेगा.
शराबबंदी से सामाजिक बदलाव आये : हरिवंश
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि बिहार में शराबबंदी के बाद आये सामाजिक बदलाव का अध्ययन करना चाहिए. बिहार में शराबबंदी के बाद अपराध में कमी आने के साथ दूध की मांग बढ़ी है. शराब से बचे पैसे का उपयोग लोग गाड़ी खरीदने, घर बनाने और कमाई के दूसरे साधन पर खर्च कर रहे है.
गांधीवादी राधा भट्ट ने कहा कि शराबबंदी साहसिक फैसला है. बिहार के मुख्यमंत्री ने यह कर दिखाया है. देश को नशामुक्त कर गरीबी मिटायी जा सकती है. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट की वकील अधिश अग्रवाल, नशा के खिलाफ अभियान चलाने वाली पूजा भारती, सामाजिक कार्यकर्ता वाणी दास, स्वामी संतोषनंद और अन्य लोग शामिल हुए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें