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पटना : 11 फरवरी को होने वाली बिजली कर्मियों की हड़ताल अवैध घोषित

पटना : 11 फरवरी को बिजली कर्मियों की प्रस्तावित 24 घंटे की हड़ताल को ऊर्जा विभाग ने अवैध घोषित कर दिया है. पेसा (पावर इंजीनियरिंग सर्विस एसोसिएशन) और जेसा (जूनियर इंजीनियर सर्विस एसोसिशन ) ने यह हड़ताल बुलायी है. विभाग के प्रधान सचिव और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के सीएमडी प्रत्यय अमृत ने गुरुवार […]

पटना : 11 फरवरी को बिजली कर्मियों की प्रस्तावित 24 घंटे की हड़ताल को ऊर्जा विभाग ने अवैध घोषित कर दिया है. पेसा (पावर इंजीनियरिंग सर्विस एसोसिएशन) और जेसा (जूनियर इंजीनियर सर्विस एसोसिशन ) ने यह हड़ताल बुलायी है.

विभाग के प्रधान सचिव और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के सीएमडी प्रत्यय अमृत ने गुरुवार को कहा कि सरकार या कंपनी के स्तर पर निजीकरण का कहीं कोई प्रस्ताव नहीं है. इसके बाद भी यदि आम लोगों को बिजली आपूर्ति रोक कर तकलीफ पहुंचाने की कोशिश की गयी तो हड़ताल पर जाने वाले कर्मियों के खिलाफ एस्मा के तहत कार्रवाई की जायेगी. इसके तहत आपराधिक मुकदमा के साथ-साथ नौकरी भी समाप्त की जा सकती है.

चेतावनी के साथ ही उन्होंने इस हड़ताल में शामिल होने वालों से 10 फरवरी तक अपना नाम देने को कहा, जिससे कि उनकी जगह काम के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा सके. पेसा ने 11 फरवरी की सुबह छह बजे से 12 फरवरी की सुबह छह बजे तक (24 घंटे) सांकेतिक हड़ताल पर जाने का नोटिस दिया है. सीएमडी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य सरकार बिजली के क्षेत्र में कई बेहतर कार्य कर रही है. सौभाग्य योजना, हर घर बिजली और यहां की टैरिफ प्लान पर केंद्र और दूसरे राज्य अमल कर रहे हैं. वहीं, कुछ लोगों द्वारा सिर्फ अफवाह फैलाकर आम लोगों को संकट में डालने की साजिश रची जा रही है. उन्होंने इस मामले में किसी बड़ी साजिश की संभावना से इन्कार नहींं किया.

सीएमडी सह प्रधान सचिव ने पटना हाइकोर्ट के 2007 के एसेंशियल सेवा से जुड़े लोगों को हड़ताल पर नहीं जाने के संबंध में दिये गये फैसले का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी हाल में बिजली बाधित करने वाले कर्मियों से सरकार सख्ती से निबटेगी. उन्होंने कहा कि कई बार हमलोगों ने बिजली कर्मियों को बताया है कि निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है. बुधवार को ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री आरके सिंह से बात की. इस बातचीत में कहीं से भी निजीकरण का मामला नहीं आया. इसके बाद भी किसी साजिश के तहत बिजली कंपनियों के निजीकरण का अफवाह फैलायी जा रही है.

पेसा और जेसा नहीं हैं सोसायटी एक्ट के तहत निबंधित

एक सवाल के जवाब में सीएमडी प्रत्यय अमृत ने कहा कि पेसा राज्य सरकार के सोसायटी एक्ट के तहत निबंधित संस्था नहीं है. कुछ दिन पहले इसकी जानकारी कंपनी को मिली है. ऐसे में किसी भी अवैध संस्था के आह्वान पर कर्मियों के हड़ताल पर जाने का निर्णय भी अवैध है. उन्होंने बताया कि हड़ताल की आह्वान करने वाली दूसरी संस्था जेसा भी निबंधित नहीं है. निबंधन विभाग के एआइजी ने पावर होल्डिंग कंपनी को लिखित तौर पर बताया हैै कि पेसा नाम से कोई भी संस्था निबंधित नहीं है.

हड़ताल के खिलाफ हाइकोर्ट में पीआइएल

11 फरवरी को प्रस्तावित िबजली कर्मियों की इस हड़ताल को रोकने को लेकर पटना हाइकोर्ट में गुरुवार को लोकहित याचिका दायर की गयी है. इसमें पटना हाइकोर्ट के पूर्व के आदेश का हवाला दिया गया है.

निबंधित नहीं होने के कारण पेसा के अध्यक्ष ने दिया है इस्तीफा: इस बात की जानकारी मिलने पर कि पेसा सोसायटी एक्ट के तहत निबंधित नहीं हैं, पेसा के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पेसा के दूसरे पदधारियों के मनोनयन और पेसा की आमदनी की भी जांच करायी जा रही है.

बिजली कंपनी के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं: आरके

केंद्रीय उर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने गुरुवार को साफ कहा कि बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी का निजीकरण नहीं हो रहा है. ऐसा कोई प्रस्ताव भी नहीं है. गुरुवार की शाम वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिजली कंपनी के अधिकारियों से उन्होंने बात की.

श्री सिंह ने स्पष्ट किया कि निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार बिजली लॉस कम करने के उपायों पर काम कर रही है. बिहार ने एटी एंड सी लॉस के क्षेत्र में तीन-चार साल में बेहतर काम किया है. यह 43.2% से घटकर अब 27% पर आ गया है. बिहार की यह सराहनीय उपलब्धि है. ऐसे में बिहार में तो बिजली के निजीकरण का सवाल ही नहीं उठता है. यह पूरी तरह अफवाह है.

उन्होंने बिजली अधिकारियों के सवालों के जवाब में कहा कि कई ऐसी बिजली कंपनियां हैं, जो अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रत्येक महीने का वेतन देर से दे रही हैं.

लेकिन, बिहार की बिजली कंपनी पूरे देश में बेहतर है, जहां वेतन का संकट नहीं है. एक अधिकारी ने पूछा कि बजट में कई डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों का जिक्र था, वह क्या है? इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बेहतर कंपनी चुनने की वैकल्पिक व्यवस्था है और यह अनिवार्य नहीं है. उन्होंने कहा, सरकार का मकसद बेहतर तकनीक द्वारा बिजली के लॉस में कमी लाना है. इसके लिए ही स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं. वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में बिजली कंपनी के सीएमडी प्रत्यय अमृत सहित अन्य आला अधिकारी मौजूद रहे.

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