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13 तक निगम की सभी गाड़ियों को नंबर लेना जरूरी : हाइकोर्ट

पटना : पटना हाइकोर्ट ने पटना नगर निगम की बिना निबंधन की राजधानी में चल रही गाड़ियों के मामले पर सुनवाई करते हुए कड़ी नाराजगी जतायी है. कोर्ट ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को 13 जनवरी तक निगम के सभी बचे 36 वाहनों का निबंधन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश […]

पटना : पटना हाइकोर्ट ने पटना नगर निगम की बिना निबंधन की राजधानी में चल रही गाड़ियों के मामले पर सुनवाई करते हुए कड़ी नाराजगी जतायी है. कोर्ट ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को 13 जनवरी तक निगम के सभी बचे 36 वाहनों का निबंधन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है.

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने निर्भय प्रताप द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उपस्थित संबंधित अधिकारियों से पूछा कि बगैर निबंधन के निगम के वाहन दो वर्षों से कैसे चल रहे हैं.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालती आदेश का पालन नहीं करने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कड़े आदेश पारित किये जायेंगे. गौरतलब है कि पटना नगर निगम के वाहन बड़ी संख्या में राजधानी पटना में बगैर निबंधन के चल रहे हैं. कोर्ट के बार-बार के आदेश के बाबजूद अब तक सभी वाहनों के निबंधन का काम पूरा नहीं हुआ है. इस मामले पर अगली सुनवाई 13 जनवरी को की जायेगी.
बीसीसीआइ से चार सप्ताह में मांगा जवाब
पटना. हाइकोर्ट ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के संपन्न हुए चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बीसीसीआइ से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. जस्टिस आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने रवि राज व अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
इन याचिकाओं में इसकी शिकायत की गयी है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के लिए 29 सितंबर, 2019 को हुए चुनाव में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान को निबंधित भी नहीं कराया गया है. कई मतदाता 20 वर्षों से मतदान में हिस्सा ले रहे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
मामले की सुनवाई में बदलाव को लेकर शिकायत
पटना. पटना हाइकोर्ट में बुधवार को वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश संजय करोल से दैनिक सूची में मामले को नये तरीके से सूचीबद्ध करने के मामले को लेकर फरियाद की. उन्हें बताया गया कि वकीलों के सामने एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है.
बुधवार को सैकड़ों वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश की अदालत में घुस कर बताया कि प्रत्येक वकीलों के मामले की सुनवाई कब तक होगी, इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
यह अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है कि दैनिक सूची में छपे मामलों की सुनवाई आखिर कब तक होगी? वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की दो सदस्यीय खंडपीठ को बताया कि प्रत्येक सप्ताह 900 पृष्ठ की दैनिक सूची छपने के बाद भी वकीलों को उनके मुकदमे का पता लगाना कठिन हो गया है.

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