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पटना : डीएलएड को क्यों नहीं दी गयी मान्यता, हाइकोर्ट ने मांगा जवाब

जनहित याचिका पर हाइकोर्ट ने की सुनवाई पटना : पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में पंचायत शिक्षकों की बहाली के लिए डेढ़ वर्ष के डिप्लोमा एजुकेशन को राज्य सरकार द्वारा मान्यता नहीं देने पर सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने […]

जनहित याचिका पर हाइकोर्ट ने की सुनवाई
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में पंचायत शिक्षकों की बहाली के लिए डेढ़ वर्ष के डिप्लोमा एजुकेशन को राज्य सरकार द्वारा मान्यता नहीं देने पर सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने मानवोत्कर्ष नामक संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
कोर्ट को याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि राज्य सरकार पूर्व की भांति डेढ़ साल के डिप्लोमा पाठ्यक्रम को मान्यता नहीं दे रही है. इससे राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति प्रभावित हो रही है. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एनसीटीइ ने पहले ही दिशा-निर्देश जारी कर दिया है कि दो वर्ष के डिप्लोमा एजुकेशन की योग्यता धारण करने वाले उम्मीदवारों को ही पंचायत शिक्षकों की बहाली के योग्य माना जायेगा. इस कारण सरकार के हाथ बंधे हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जायेगी.
पीएमसीएच की खराब डायलिसिस मशीन पर दो सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
पटना : पटना हाइकोर्ट ने राजधानी पटना स्थित पीएमसीएच में डायलिसिस मशीन, वेंटिलेटर और टीएमटी मशीन के बेकार पड़े रहने पर राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया.
अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि पीएमसीएच में ये जीवनरक्षक मशीनें बहुत पहले लाकर रखी गयी हैं, लेकिन उन्हें अभी तक चालू नहीं किया गया है. इन मशीनों के चालू नहीं होने के कारण यहां इलाज कराने राज्य के कोने-कोने से आने वाले मरीजों को काफी परेशानी होती है. मरीजों को जांच कराने के लिए बाहर जाना पड़ता है. बाहर जांच के नाम पर मनमाना पैसा वसूला जाता है.
पटना : 31 जनवरी तक मधेपुरा मेडिकल कॉलेज को मिल जायेंगी सारी सुविधाएं
पटना : पटना हाइकोर्ट को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार ने बताया कि मधेपुरा के जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज में 31जनवरी, 2020 तक सारी व्यवस्थाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध करा दी जायेंगी, ताकि उसे पूर्ण रूप से चालू किया जा सके.
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ को मनौर आलम द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस मेडिकल कॉलेज में अप्रैल, 2020 से शैक्षणिक सत्र भी चालू हो जायेगा. कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि लंबे समय से इस मेडिकल कॉलेज को बनाये जाने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी तक इस कॉलेज को चालू नहीं किया गया है.

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