पटना:बिहारके उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहाहै कि भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने देश को पहली बार चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की वास्तविक शक्ति से परिचित कराया और बैलेट पेपर से मतदान वाले दौर में होने वाली बूथ-लूट और चुनावी हिंसा को रोकने में प्रभावी भूमिका निभायी. शेषन ने चुनाव सुधार के लिए पहचान पत्र लागू करने-जैसे जो कड़े कदम उठाये, उससे बिहार में जंगलराज के अंत की शुरुआत हुई. उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने में शेषन के योगदान हमेशा याद किये जायेंगे. बिहार की जनता की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
सुशील मोदी ने आगे कहा कि वर्ष 1990 से 1996 के जिस दौर में शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे, उस समय बिहार में लालू प्रसाद मुख्यमंत्री थे और प्रदेश बूथलूट से चुनावी हिंसा तक के लिए बदनाम था. शेषन की सख्ती से परेशान लालू प्रसाद ने बिहारियों को गाली देना का मनगढंत आरोप लगाते हुए विधानसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया था, लेकिन वे उस महान प्रशासक को सच्चाई के रास्ते से विचलित नहीं कर पाये. शेषन न होते तो न चुनाव आयोग सशक्त होता, न बिहार में निष्पक्ष चुनाव होते और न विकास का दौर शुरू करने वाली एनडीए सरकार आती.
उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी राज में 1990 से लेकर 2004 तक हुए लोकसभा, विधानसभा व पंचायत के कुल 9 चुनावों की हिंसक घटनाओं में 641 लोग मारे गये थे. 2000 के विधानसभा चुनाव में 39 स्थानों पर फायरिंग हुई थी तथा चुनावी हिंसा में 61 लोग मारे गये थे. जो लोग बूथलूट के बल पर राज कर रहे थे और मतपेटी से जिन्न निकलने की शेखी बघारते थे, उनके दिन लद गये. शेषन-संस्कारित चुनाव आयोग ने ईवीएम के प्रयोग से जब चुनाव को बूथलूट से मुक्ति दिला दी है, तब महागठबंधन के लोग ईवीएम पर सवाल उठाते हैं.

