छोटे को नापने में देरी नहीं
कई आइपीएस अधिकारियों के खिलाफ कई तरह के आरोपों से जुड़े मामले वर्षों से पड़े हैं लंबित
पटना : पुलिस महकमा में इन दिनों तेजी से दोषी पदाधिकारियों को चिन्हित कर इन्हें थानेदारी या फिल्ड में कोई अहम ड्यूटी से दूर रखा जा रहा है. दूसरी तरफ महकमा के बड़े अधिकारियों पर आरोप लगने के बाद मामला ठंडा बस्ते में चला जाता है.
न तो इन पर तत्परता से कार्रवाई होती और न ही विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया ही शुरू हो पाती है. ऐसे 10 के आसपास आइपीएस अधिकारी होंगे, जिन पर कई तरह के आरोप लगे, लेकिन उनकी सेहत या नौकरी पर कोई फर्क नहीं पड़ा. ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी किसी तरह की कोई शंटिंग पोस्टिंग तक नहीं हुई है. इसमें एसपी से लेकर डीआइजी, आइजी और ऊपर तक के अधिकारी शामिल हैं.
पटना रेंज जब हुआ करता था, तब यहां के एक बड़े अधिकारी के खिलाफ पद के दुरुपयोग करने से संबंधित कई शिकायतें आयी थीं.
इन्होंने कुछ इंस्पेक्टर को आनन-फानन में आरोप मुक्त कर दिया था, ताकि उसे डीएसपी में प्रोन्नति मिल सके. इसी तरह कुछ दारोगा को गलत तरीके से आरोप मुक्त करवा दिया था. इन दोनों मामलों में पैसे की लेन-देन की बात भी सामने आयी थी. इस पूरे मामले को लेकर संबंधित अधिकारी पर दो बार पुलिस मुख्यालय ने शो-कॉज भी किया था.
बावजूद इसके ये अपने पद पर बदस्तूर बने रहे. इसी तरह दो-तीन जिलों के एसपी के बारे में भी व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी, लेकिन इन मामलों की जांच तक शुरू नहीं हुई. इसके अलावा डीएसपी रैंक के एक अधिकारी ने आइपीएस में प्रोन्नति लेने के लिए अपने आरोप पत्र को मुख्यालय से ही गायब करवा दिया था. इसका फायदा भी उन्हें मिला और प्रोन्नति पाकर एसपी भी बन गये.
बाद में जब मामले की जानकारी ऊपर से अधिकारियों को हुई, तो उनके आरोप-पत्र को फिर से खोजवा कर जांच गठन करने की प्रक्रिया शुरू की गयी. परंतु अभी भी वह एसपी के पद पर बने हुए हैं. डीआइजी रैंक के एक अन्य अधिकारी के खिलाफ उनके सीनियर ने मुख्यालय से शिकायत तक की थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई तक शुरू नहीं हुई. ऐसे कई मामलों की फाइलें पुलिस मुख्यालय में धूल खा रही हैं. जहां का तहां जांच ठहरा हुआ है.
कुछ दिनों पहले हंगामा करने के मामले में करीब 300 प्रशिक्षु सिपाहियों को आनन-फानन में निलंबित कर दिया गया था. इस मामले में अभी तक कोई सुनवाई शुरू नहीं हुई है. इस मामले को लेकर कई स्तर के पुलिस कर्मियों और उनके संगठनों में विरोध शुरू हो गया है.