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पटना : निर्माण योजनाओं में वृक्ष संवर्द्धन विज्ञानी किये जायेंगे बहाल
पटना : निर्माण योजनाओं खासकर भवनों व सड़कों के निर्माण में वृक्षों के कटने से बचाने के लिए आर्किटेक्ट व डिजाइन कंसल्टेंट की तरह आरबोरिस्ट वृक्ष संवर्द्धन विज्ञानी भी बहाल होंगे. वे निर्माण के दौरान वृक्षों को किस प्रकार एडजस्ट किया जाये, इस पर जानकारी देंगे. योजना के क्षेत्र में पड़ने वाले वृक्षों की पर्यावरणीय […]
पटना : निर्माण योजनाओं खासकर भवनों व सड़कों के निर्माण में वृक्षों के कटने से बचाने के लिए आर्किटेक्ट व डिजाइन कंसल्टेंट की तरह आरबोरिस्ट वृक्ष संवर्द्धन विज्ञानी भी बहाल होंगे.
वे निर्माण के दौरान वृक्षों को किस प्रकार एडजस्ट किया जाये, इस पर जानकारी देंगे. योजना के क्षेत्र में पड़ने वाले वृक्षों की पर्यावरणीय महत्व को देखते हुए उसे स्थल पर ही छोड़ना आवश्यक है, इसे लेकर निर्माण के ले-आउट में बदलाव के बारे में बतायेंगे. पर्यावरण, वन व जलवायु परिर्वतन विभाग ने निर्माण योजनाओं खासकर भवनों व सड़कों के निर्माण में वृक्षों के कटने से बचाने के लिए मानक तय किया है. मानक का पालन करने के लिए सभी विभागों को कहा गया है.
क्या है मानक : मानक में भवनों या सड़कों के निर्माण में निर्माण एजेंसी द्वारा आर्किटेक्ट व डिजाइन कंसल्टेंट की तरह वृक्ष संवर्द्धन विज्ञानी को बहाल करने का प्रावधान किया गया है. निर्माण परियोजना में वृक्षों को समाहित किये जाने के लिए सभी स्टेक होल्डर को कार्यशाला आयोजित करने को कहा गया है. स्थल निरीक्षण में स्थानीय वन प्रमंडल पदाधिकारी के साथ सभी कंसल्टेंट का रहना अनिवार्य होगा.
जिन स्थल पर काम होना है, वहां मूल्यवान, छायादार व जलवायु के लिहाज से वृक्षों को परियोजना डिजाइन में समाहित करना है. इसके लिए निर्माण के ले-आउट में बदलाव कर वृक्षों को बचाया जा सकेगा. जिन परियोजनाओं में कांट्रैक्टर द्वारा वृक्षारोपण किया जाना है.
उनके द्वारा कार्य नहीं करने पर उसे ब्लैक लिस्टेड करना है. जानकारों की राय है कि वृक्षों के कटने से बचाने के लिए भवनों के निर्माण के समय वृक्षों की शाखाओं को थोड़े से इनोवेशन से भवनों के डिजाइन में या चाहरदीवारी में समाहित किया जा सकता है. भवनों के ले-आउट को जियोमेटरिकल पैटर्न के बजाये इरेगूलर पैटर्न में करने से वृक्षों को कटने की संभावना कम होगी.
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