पटना : देश में पहली बार किसानों की समस्याओं का पंचायत स्तर पर ही समाधान करने के लिए बिहार के सभी पंचायतों में कृषि कार्यालय खाेले जायेंगे.
राज्य के कुल 8405 पंचायतों में से 1465 में इस पर काम शुरू हो गया है. अगले साल 2020-21 में बचे हुए 6940 पंचायतों में इसे खोलने का काम शुरू होगा. राज्य में छह नये कृषि विज्ञान केंद्र खुलेंगे. इनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, समस्तीपुर, मधुबनी और गया शामिल हैं.
वहीं, 38 कृषि विज्ञान केंद्रों में विशेषज्ञों के खाली छह-छह खाली पदों पर नियुक्ति होगी. राज्य में लेयर फार्मिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह जानकारी राज्य के कृषि विभाग के मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने गुरुवार को बिहार विधान परिषद की दूसरी पाली में वार्षिक बजट पर सरकार का जवाब पेश करने के दौरान दिया. मंत्री ने कहा कि आठ जिलों को स्मार्ट क्लाइमेट विलेज के रूप में चयन किया गया है.
सौ गांवों में कम पानी से सिंचाई की तकनीक का प्रयोग हो रहा है. इसके तहत ड्रिप सिस्टम से फसलों की सिंचाई होगी. इससे करीब 60 फीसदी पानी की बचत होगी और 25 फीसदी उत्पादन बढ़ जायेगा. सरकार की प्राथमिकता जैविक खेती है. इसके लिए पटना से भागलपुर तक नौ जिलों के किसानों का चयन किया गया है. केंद्र की जल संरक्षण की योजना संचय जल, बेहतर कल और जल शक्ति पर बिहार में भी काम शुरू किया गया है. गन्ने की खेती में भी सुधार किया जा रहा है.
किसानों की सुविधा पर मंत्री ने कहा कि राज्य में 54 बाजार समितियों को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जा रहा है. सभी 534 प्रखंडों में से 455 में किसान भवन बन चुके हैं. अन्य जगह बनाये जा रहे हैं. खरीफ और रबी मौसम के पहले सभी 8405 पंचायतों में चौपाल लगाये जा रहे हैं.