नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने इन्सेफेलाइटिस की बीमारी से मुजफ्फरपुर में 100 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में सोमवार को केंद्र और बिहार सरकार को सात दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बीआर गवई की अवकाश पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस बीमारी से राज्य में हुई मौतों के बारे में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. पीठ ने बिहार सरकार को चिकित्सा सुविधाओं, पोषण एवं स्वच्छता और राज्य में स्वच्छता की स्थिति के बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया है.
SC issues notice to Centre, Bihar & Uttar Pradesh govts asking them to file affidavits within 7 days giving details of facilities dealing with public health, nutrition and sanitation, for treatment of children suffering from Acute Encephalitis Syndrome (AES) in Muzaffarpur. pic.twitter.com/7eyytB2lQM
— ANI (@ANI) June 24, 2019
मामले की सुनवाई के दौरान एक वकील ने न्यायालय को बताया कि उत्तर प्रदेश में भी पहले इसी तरह से कई लोगों की जानें जा चुकी हैं. न्यायालय ने इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले में अब 10 दिन बाद आगे सुनवाई की जायेगी. अधिवक्ता मनोहर प्रताप ने बिहार में इन्सेफेलाइटिस की बीमारी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत की घटनाओं को लेकर न्यायालय में याचिका दायर की है.
याचिका में कहा गया है कि पिछले सप्ताहों मं इस बीमारी से 126 से अधिक बच्चों, जिनमें अधिकतर एक से दस साल की आयु के हैं, की मृत्यु होने से याचिकाकर्ता व्यथित है, क्योंकि मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. याचिका में कहा गया है कि बच्चों की मौत इस महामारी की स्थिति से निबटने के प्रति बिहार और यूपी सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की प्रत्यक्ष लापरवाही का परिणाम है. याचिका में कहा गया है कि यह बीमारी हर साल होती है और इसे जापानी बुखार भी कहा जाता है. याचिका में दावा किया गया है कि इस बीमारी की वजह से हजारों बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन सरकारें इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही हैं.
याचिका के अनुसार, ”इस साल इस बीमारी का केंद्र बिहार में मुजफ्फरपुर जिला है, जहां पिछले एक सप्ताह में 126 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आसपास के अस्पतालों में चिकित्सकों, चिकित्सा सुविधाओं, सघन चिकित्सा केंद्रों और दूसरे मेडिकल उपकरणों की बहुत अधिक कमी है और इन सुविधाओं की कमी की वजह से बच्चों की लगातार मौत हो रही है़” याचिका में इस बीमारी का पिछले साल केंद्र रहे यूपी के गोरखपुर जिले में इसकी रोकथाम और प्राथमिक उपचार के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी संभव कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. मनोहर प्रताप ने सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण इस बीमारी से अपनी संतान खोनेवाले प्रत्येक परिवार को दस दस लाख रुपये मुआवजा दिलाने का अनुरोध भी न्यायालय से किया है. इसके अलावा, याचिका में तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सकों का एक बोर्ड गठित करने और उसे मुजफ्फरपुर भेजने का केंद्र को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र और बिहार सरकार को इस बीमारी से ग्रस्त जिले में बच्चों के इलाज के लिए आवश्यक संख्या में चिकित्सकों के साथ तत्काल 500 सघन चिकित्सा इकाईयों की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि इस रोग से प्रभावित बच्चों का प्रभावी तरीके से उपचार हो सके. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2008 से 2014 के दौरान इन्सेफेलाइटिस के 44,000 से अधिक मामले सामने आये और इस दौरान करीब 6,000 लोगों की मृत्यु हुई.