पटना : राज्य में सूखे की आशंका को देखते हुए सहकारिता विभाग पिछले साल की खरीफ फसलों की फसल सहायता योजना के तहत किसानों को राशि उपलब्ध करा रहा है. फसल सहायता योजना देश में अपनी तरह की अलग योजना है. यह भी फसल बीमा की ही तरह है, लेकिन इसके लिए किसानों या जोतदारों को कोई राशि प्रीमियम के रूप में नहीं देनी होती है.
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इस महीने किसानों को मिल जायेगा योजना का लाभ
पटना : राज्य में सूखे की आशंका को देखते हुए सहकारिता विभाग पिछले साल की खरीफ फसलों की फसल सहायता योजना के तहत किसानों को राशि उपलब्ध करा रहा है. फसल सहायता योजना देश में अपनी तरह की अलग योजना है. यह भी फसल बीमा की ही तरह है, लेकिन इसके लिए किसानों या जोतदारों […]
इस महीने के अंत तक सभी लाभुक किसानों के खाते में राशि पहुंच जायेगी. अब तक 3.65 लाख से अधिक किसानों के खाते में फसल सहायता बीमा योजना की करीब तीन सौ करोड़ की राशि भेजी जा चुकी है. इस साल की रबी की राशि अगस्त तक मिलेगी.
साल 2018-19 में खरीफ फसल के लिए राज्य के 4133 ग्राम पंचायत के किसानों को फसल सहायता योजना के तहत राशि मिलनी है. न्यूनतम 500 रुपये मिलेंगे. अधिकतर दो हेक्टेयर के लिए सरकार राशि उपलब्ध करायी जायेगी. 20 फीसदी तक नुकसान होने पर 7500 रुपये प्रति हेक्टेयर और उससे अधिक नुकसान होने पर 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता मिलेगी.
खरीफ के लिए कुल 11.50 लाख किसानों ने आवेदन किया था. इनमें 6.35 लाख रैयती और 5.15 लाख गैर रैयती किसान शामिल हैं. 15 हजार से अधिक ऐसे किसान हैं, जिनकी सहायता राशि पांच सौ रुपये से कम है. अब विभाग ने तय कर लिया है कि न्यूनतम सहायता राशि पांच सौ रुपये होगी. जल्द ही ऐसे किसानों के खाते में राशि चली जायेगी. जिन किसानों के खाते में राशि नहीं गयी है उनसे 15 जून तक एलपीसी, आधार अदि दुरुस्त कराने को कहा गया है, ताकि उनके खाते में राशि भेजी जा सके.
रबी के लिए 17 लाख किसानों ने किया आवेदन
इस साल रबी फसल के लिए 17 लाख किसानों ने फसल सहायता योजना के तहत आवेदन किया है. इसमें 8.35 लाख रैयती और 8.65 लाख गैर रैयती किसान हैं. रबी की सहायता राशि अगस्त तक किसानों के खाते में जायेगी. सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि खरीफ के लिए 301 करोड़ की राशि दी जा चुकी है. इस महीने के अंत तक सभी चयनित किसानों के खाते में राशि चली जायेगी. प्राथमिकता के आधार पर आवेदनों की जांच की जा रही है. नियमित इसकी मॉनीटरिंग की जा रही है.
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